डेंगू (Dengue) के बारे में इस समय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं समाचार-पत्र आदि में काफी सुनने व पढने को मिल रहा है। इस समय यह रोग भयानक रूप से फैलता हुआ दिखाई दे रहा है।
डेंगू दुनिया भर में पाया जाने वाला एक खतरनाक वायरल रोग है जो की संक्रमित मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है। अकेला एक संक्रमित मच्छर ही अनेक लोगों को डेंगू रोग से ग्रसित कर सकता है।
डेंगू के लक्षण (Dengue Symptoms in Hindi)
o तेज बुखार,
o मांस पेशियों एवं जोड़ों में भयंकर दर्द,
o सर दर्द,
o आखों के पीछे दर्द,
o जी मिचलाना,
o उल्टी
o दस्त तथा
o त्वचा पर लाल रंग के दाने
o इत्यादि
मरीज की स्थिति गम्भीर होने पर प्लेट लेट्स (platelets) की संख्या तेजी से कम होते हुए नाक, कान, मुँह या अन्य अंगों से रक्त स्राव शुरू हो जाता है, रक्त चाप काफी कम हो जाता है। यदि समय पर उचित चिकित्सा ना मिले तो रोगी कोमा में चला जाता है।
उपरोक्त लक्षणों के सम्बन्ध में यह बात ध्यान रखने योग्य है कि बहुत से अन्य रोगों एवं अन्य बुखार आदि के लक्षण भी डेंगू से मिलते जुलते हो सकते हैं और कभी कभी रोगी में बुखार के साथ सिर्फ 1 – 2 लक्षण होने पर भी डेंगू पॉजिटिव आ सकता है। इसलिए सभी लक्षणों के प्रकट होने का इंतजार नहीं करना चाहिए। यदि बुखार 1 – 2 दिन में ठीक ना हो तो तुरन्त डॉक्टर के पास जाकर चेक-अप करवाना चाहिए क्योंकि कोई भी बुखार डेंगू हो सकता है।
डेंगू से बचाव एवं उपचार (Prevention & Treatment of Dengue in Hindi) –
1. घर में एवं घर के आसपास पानी एकत्र ना होने दें, साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
2. यदि घर में बर्तनों आदि में पानी भर कर रखना है तो ढक कर रखें। यदि जरुरत ना हो तो बर्तन खाली कर के या उल्टा कर के रख दें।
3. कूलर, गमले आदि का पानी रोज बदलते रहें। यदि पानी की जरूरत ना हो तो कूलर आदि को खाली करके सुखायें।
4. ऐसे कपड़े पहनें जो शरीर के अधिकतम हिस्से को ढक सकें।
5. मच्छर रोधी क्रीम, स्प्रे, लिक्विड, इलेक्ट्रॉनिक बैट आदि का प्रयोग मच्छरों के बचाव हेतु करें।
डेंगू से बचने के आयुर्वेदिक एवं प्राकृतिक तरीके (Ayurvedic and Natural Treatment for Dengue in Hindi)
1. घर की खिड़की आदि में तुलसी का पौधा लगाने से मच्छरों से बचाव होता है।
2. नीम की सुखी पत्तियों एवं कर्पूर की घर में धूणी करने से मच्छर मर जाते हैं या कोने एवं पर्दों आदि के पीछे छिपे हुए मच्छर घर के बाहर भाग जाते हैं।
3. नीम, तुलसी,गिलोय ,पिप्पली , पपीते की पत्तियों का रस, गेंहू के ज्वारों का रस, आँवला व ग्वारपाठे का रस डेंगू से बचाव में बहुत उपयोगी है। इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है तथा डेंगू के वायरस से मुकाबला करने की ताकत आती है।
4. 25 ग्राम ताजी गिलोय का तना लेकर कूट लें , 4 – 5 तुलसी के पत्ते एवं 2 – 3 काली मिर्च पीसकर 1 लीटर पानी में उबालें। 250 M.l. शेष रखें , इसे तीन बार में बराबर मात्रा में विभक्त करके लें। यह काढ़ा डेंगू, स्वाइन फ्लू एवं चिकन गुनिया जैसे वायरल इन्फेक्शन से बचाने में बहुत उपयोगी है।
5. याद रखें डेंगू की कोई विशिष्ट चिकित्सा अभी तक उपलब्ध नहीं है। सिर्फ लाक्षणिक चिकित्सा ही की जाती है। बुखार कैसा भी हो इन दिनों में यदि जल्दी आराम ना मिले तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए और मच्छरों से बचाव एवं शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढायें। यही डेंगू से बचने का सर्वोत्तम उपाय है।
डेंगू वायरस से फैलने वाला एक खतरनाक रोग है जो कि संक्रमित एडीज एजिप्टी नामक मच्छर के काटने से फैलता है।मच्छरों से बचाव एवं शरीर की इम्युनिटी पावर बढ़ाना ही डेंगू से बचने के सर्वोत्तम उपाय है।
डेंगू में उपयोगी जड़ी बूटियाँ / Home remedies for Dengue in Hindi
o पपीते की पत्ती – पपीते की पत्तियों के रस को डेंगू में बहुत उपयोगी पाया गया है। इसके लिये कुछ पत्तों को पानी से अच्छी तरह धोकर मिक्सी या पत्थर पर पीस कर, छानकर जूस को 1-2 चम्मच मात्रा दिन में तीन-चार बार पिलाया जाता है। इससे शरीर के विषाक्त तत्व बाहर निकलते हैं। शरीर में प्लेटलेट्स की मात्रा तेजी से बढ़ती है।
o तुलसी ( Basil leaf decoction ) – तुलसी के कुछ पत्तों को पानी में उबालकर छानकर रोगी को पिलाया जाता है। डेंगू तथा अन्य वायरल ज्वरों ( Viral fever ) में यह बहुत फायदेमंद है। सर्दी (Co।d ),खाँसी ( Cough ), जुकाम में भी बहुत लाभदायक है।
o अनार का जूस ( Pomegranate juice) – अनार का जूस डेंगू तथा अन्य ज्वरों में बहुत उपयोगी है। अनार का जूस खून की कमी को दूर करता है।
o गिलोय – गिलोय का काढ़ा बुखार ( Fever ), जुकाम, खाँसी को दूर करने में बहुत उपयोगी है। इसके लिये 3-4 इंच का अंगूठे साइज का एक टुकड़ा लेकर उसे कूट पीस लेते हैं। दो कप पानी में उबालकर आधा कप शेष रहने पर पिलाना बचाव तथा चिकित्सा दोनों में उपयोगी है।
o चिरायता ( Chirata ) – बुखार उतारने की आयुर्वेद की यह प्रसिद्ध जड़ी बूटी है। स्वाद में यह जितनी कड़वी है गुणों में उतनी ही मधुर है। इसका काढ़ा लें या चूर्ण पानी से लेते हैं।
o आँवला ( Gooseberry in hindi ) – आँवला विटामिन सी ( Vitamin C ) का श्रेष्ठ स्रोत है। आँवला शरीर में जाने पर शरीर लौह तत्व का ज्यादा अवशोषण करता है। जिससे खून बढ़ता है।
o ऐलोवेरा ( A।oe vera in hindi ) – ग्वार पाठे का जूस पाचन शक्ति को सही रखता है। लीवर को उत्तेजित करता है। भूख बढ़ाता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक ( immunity power ) बढ़ाकर रोगों से लड़ने की शक्ति जाग्रत करता है।
उपरोक्त उपाय ज्ञानवर्धन के लिये बताये गये हैं यह उपाय चिकित्सक की राय का विकल्प नहीं हैं। डेंगू शीघ्र ही गंभीर बीमारी का रूप धारण कर लेता है अतः डेंगू होने पर चिकित्सक को अवश्य दिखायें तथा डॉक्टर की राय से ही उपरोक्त उपायों का सेवन करें।