बृहदेश्वर या बृहदीश्वर मंदिर दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु के तंजौर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। तमिल भाषा में इसे बृहदीश्वर के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर भगवान शिवशंकर को समर्पित है। यह मंदिर अपनी सुन्दरता, वास्तुशिल्प और केन्द्रीय गुम्बद से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचता है। इसे देखने हर साल लाखों की संख्या में दुनियाभर से पर्यटक आते है। जिसका निर्माण राजा राजा चोल I द्वारा 1010 ईस्वी में करवाया गया था। बृहदेश्वर भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख मंदिर है जिसमें उनकी नृत्य की मुद्रा में मूर्ति स्थित है जिसको नटराज कहा जाता है।
मंदिर को राजेश्वर मंदिर, राजराजेश्वरम और पेरिया कोविल के नाम से भी जाना जाता है। बृहदेश्वर मंदिर एक शानदार वास्तुशिल्प निर्माण है, जो भी इस मंदिर को देखने के लिए जाता है वो इसकी संरचना को देखकर हैरान रह जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर को बनने के लिए 130,000 टन से अधिक ग्रेनाइट का उपयोग किया गया था। यह मंदिर दक्षिण भारतीय राजाओं की स्थापत्य कौशल और आत्मीयता को दर्शाता है।
बृहदेश्वर मंदिर का इतिहास – Brihadeeswarar Mandir History In Hindi
बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण चोल शासक महाराजा राजराज प्रथम ने 1004 ई और 1009 ई के दौरान 5 साल में करवाया था। जिस राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया उन्ही के नाम से इस मंदिर का नाम राजराजेश्वर रखा गया था।
आपको बता दें कि चोल राजाराजा भगवान शिव के भक्त थे और उन्होंने बृहदेश्वर मंदिर समेत शिव के कई मंदिरों का निर्माण करवाया था। माना जाता है कि बृहदेश्वर मंदिर को राजा ने अपने साम्राज्य को आशीर्वाद दिलाने के लिए बनवाया था। 1000 सालों से भी ज्यादा पुराना यह मंदिर उस समय की सबसे बड़ी संरचनाओं में से एक है।
बृहदेश्वर मंदिर के रोचक तथ्य
- आपको जानकर हैरानी होगी कि बृहदेश्वर मंदिर निर्माण 1,30,000 टन ग्रेनाइट से किया गया है, बताया जाता है कि इस ग्रेनाइट यहां के पास के इलाके से नहीं लाया गया। यह ग्रेनाइट कहा से लाई गई है यह अब तक एक बड़ा रहस्य है, क्योंकि उस समय इतनी मात्रा में ग्रेनाइट लाना एक बहुत बड़ी बात है।
- बृहदेश्वर मन्दिर भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है और चोल वंश की वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है।
- बृहदेश्वर मंदिर का पूरा निर्माण ग्रेनाइट से किया गया है। मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थलों की सूचि में भी जगह दी गई है।
- बृहदेश्वर मंदिर अपनी विशिष्ट वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर के गुंबद की छाया धरती पर नहीं पड़ती। इसकी यह चमत्कारी वास्तुकला कई पर्यटकों आकर्षित करती है।
बृहदेश्वर मंदिर दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर :
13 मंजिला इस मंदिर को तंजौर के किसी भी कोने से देखा जा सकता है। मंदिर की ऊंचाई 216 फुट (66 मीटर) है और संभवत: यह विश्व का सबसे ऊंचा मंदिर है।
लगभग 240.90 मीटर लम्बां और 122 मीटर चौड़ा है। यह एक के ऊपर एक लगे हुए 14 आयतों द्वारा बनाई गई है, जिन्हें बीच से खोखला रखा गया है। 14वें आयतों के ऊपर एक बड़ा और लगभग 80 टन भारी गुम्बद रखा गया है जो कि इस पूरी आकृति को बंधन शक्ति प्रदान करता है। इस गुम्बद के ऊपर एक 12 फीट का कुम्बम रखा गया है। चेन्नई से 310 कि.मी. दूर स्थित है तंजावुर का यह मंदिर कावेरी नदी के तट पर 1000 सालों से अविचल और शान से खड़ा हुआ है।
मंदिर में विशालकाय शिवलिंग :
इस मंदिर में प्रवेश करते ही एक 13 फीट ऊंचे शिवलिंग के दर्शन होते है। शिवलिंग के साथ एक विशाल पंच मुखी सर्प विराजमान है जो फनों से शिवलिंग को छाया प्रदान कर रहा है। इसके दोनों तरफ दो मोटी दीवारें हैं, जिनमें लगभग 6 फीट की दूरी है। बाहरी दीवार पर एक बड़ी आकृति बनी हुई है, जिसे ‘विमान’ कहा जाता है। मुख्य विमान को दक्षिण मेरु कहा जाता है।
बृहदेश्वर मंदिर जाने का अच्छा समय
Brihadeeswarar Mandir तमिलनाडु राज्य में स्थित है, जहां पूरे साल उष्णकटिबंधीय जलवायु रहती है। गर्मियों में आमतौर पर यहां चिलचिलाती धूप रहती है जबकि मानसून के साथ हल्की बारिश होती है।
साल में बृहदेश्वर मंदिर की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का मौसम होता है। सुखद जलवायु परिस्थितियों के कारण यह मंदिर यात्रा के लिए सबसे अच्छा होता है।
बृहदेश्वर मंदिर कैसे पहुंचे –
तंजावुर का प्रमुख निकटतम शहर तिरुचिरापल्ली है जो निकटतम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन दोनों है। आसपास के सभी प्रमुख शहरों से परिवहन के सभी साधन तंजावुर के लिए आसानी से उपलब्ध हैं।
हवाई जहाज से कैसे जाये :
तंजावुर शहर का निकटतम हवाई अड्डा तिरुचिरापल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो 1 घंटे की दूरी पर स्थित है। दोनों शहरों के बीच नियमित टैक्सी और कुछ बस सेवाएं चलती हैं, जिससे यात्रा आरामदायक और परेशानी मुक्त हो जाती है।
ट्रेन से कैसे जाये :
तिरुचिरापल्ली तंजावुर शहर का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है। कोयम्बटूर, रामेश्वरम, चेन्नई, कन्याकुमारी, सलेम और मदुरै जैसे सभी प्रमुख शहरों से रेलमार्ग द्वारा तिरुचिरापल्ली से जुड़ा हुआ है। त्रिची पहुंचने के लिए अब आप किसी किसी भी शहर से ट्रेन ले सकते हैं और रेलवे स्टेशन से तंजावुर तक टैक्सी या कैब की मदद से आसानी से पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग से कैसे जाये :
बेंगलुरु, चेन्नई, मदुरै, भुवनेश्वर, कोयंबटूर और तिरुचिरापल्ली जैसे प्रमुख शहरों और कस्बों को शहर से जोड़ने वाली सड़कों के साथ तंजावुर एक अच्छे नेटवर्क पर स्थित है। यहां पर कई नियमित निजी और राज्य द्वारा संचालित बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं। कोई भी तंजावुर तक अपनी पसंद के अनुसार एक निजी टैक्सी बुक करके जा सकता है।