भगवान की पूजा में पुष्पों का क्या महत्व है और पुष्पार्चन करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए व कैसे फूल भगवान को नहीं चढ़ाने चाहिए ?
पुष्प किसे कहते हैं ? जिससे पुण्य की वृद्धि, पापों का नाश व प्रचुर मात्रा में उत्तम फलों की प्राप्ति होती है, उसे ‘पुष्प’ कहा जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि—‘देवस्य मस्तकं कुर्यात् कुसुमोपहितं सदा।’ अर्थात् देवता का मस्तक सदैव पुष्प से सजा रहना चाहिए।
भगवान को पुष्प चढ़ाने का फल!!!!!
भगवान को सोना-चांदी, हीरे-जवाहरात आदि चढ़ाने से वे उतना प्रसन्न नहीं होते हैं जितना कि वे एक पुष्प चढ़ाने से प्रसन्न होते हैं । भगवान की पुष्पों से अर्चना करके राजा नृग, ययाति, नहुष, रघु, भगीरथ और न जाने कितने राजाओं ने चक्रवर्ती साम्राज्य प्राप्त किया और अनेकों को यक्ष, विद्याधर, गंधर्व व देवता के पद की प्राप्ति हुई । फूलों की तुलना में माला चढ़ाने से दुगुना फल मिलता है । भगवान को पुष्प चढ़ाने से होती है इन कामनाओं की पूर्ति—
दरिद्रता दूर होती है और लक्ष्मी की वृद्धि होती है । अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है ।
परिवार में मंगल होता है। ऐश्वर्य बढ़ता है ।
पुष्पों की सुगंध की तरह मनुष्य की कीर्ति सब जगह फैलती है । मन प्रसन्न रहता है। मनुष्य के तेज और बल की वृद्धि होती है । वंश वृद्धि होती है। शत्रु शान्त हो जाते हैं। आरोग्य की प्राप्ति होती है।
(भगवान की पूजा का सबसे सुन्दर साधन पुष्प , Bhagavan Ki Pooja Ka Sabase Sundar Sadhan Pushp)
पुष्पार्चन में रखें इन बातों का ध्यान!!!!!
तुलसीपत्र, बेलपत्र और अगस्त्य के फूल कभी बासी नहीं होते हैं । कमल ११ दिन तक और कुमुद ५ दिन तक बासी नहीं होते हैं ।
तुलसी, बेलपत्र, पान व आमलकी के टूटे-फूटे पत्ते भी भगवान को चढ़ाये जा सकते हैं ।
चम्पा की कली को छोड़कर किसी दूसरे पुष्प की कली भगवान पर नहीं चढ़ानी चाहिए ।
कोई भी पत्र, पुष्प या फल भगवान पर उलट कर नहीं चढ़ाना चाहिए । ‘यथोत्पन्नं तथार्पणम’ जैसे उत्पन्न होते हैं वैसे ही चढ़ाने चाहिए किन्तु भगवान को पुष्पांजलि देते समय पुष्प और बेलपत्र को उलटकर ही चढ़ाया जाता है।
दोपहर के बाद पुष्प तोड़ने का निषेध है ।
तुलसी रविवार और द्वादशी को नहीं तोड़नी चाहिए।
घर पर लगाये गए कनेर व दोपहरिया के पुष्प भगवान पर नहीं चढ़ाये जाते हैं।
माली के घर रखे हुए फूलों में बासी का दोष नहीं होता है।
भगवान को न चढ़ायें ऐसे फूल!!!!!!
जो फूल बायें हाथ से तोड़ा हो,जो पुष्प अपने आप भूमि पर गिर जाते हैं उन्हें उठा कर भगवान को अर्पित न करें।
भगवान पर चढ़ाया हुआ फूल ’निर्माल्य’ पुन: भगवान पर न चढ़ाएं,दूसरे के बगीचे से तोड़े हुए,किसी से मांगे हुए,सूंघा हुआ और अपने शरीर पर लगाया हुआ,कुम्हलाये हुए, जिसकी पंखुड़ियां बिखर गयी हों।
(भगवान की पूजा का सबसे सुन्दर साधन पुष्प , Bhagavan Ki Pooja Ka Sabase Sundar Sadhan Pushp)
कटे फटे, कीड़ों से काटे गए, चूहे के काटे हुए
जो अभी पूरी तरह से खिले न हों,जिन पुष्पों में बाल लगा हो,बासी फूल,पैर से छुए हुए,जिसमें खट्टी गंध या सड़ांध आती हो,अपने पहनने वाले अधोवस्त्र में रखकर लाया गया हो
तेज गन्ध वाले,चुराये हुए पुष्प।
किस देवता को कौन सा फूल पसंद है, क्या आप जानते हैं?
गणपति की पूजा के फूल!!!!!!
गणपतिजी को तुलसी छोड़कर सभी पुष्प प्रिय हैं । गणपति को दूर्वा व शमीपत्र विशेष प्रिय है। दूर्वा की फुनगी में तीन या पांच पत्ती होनी चाहिए ।
भगवान शंकर की पूजा के पुष्प!!!!!!!
भगवान शंकर पर फूल चढ़ाने का विशेष महत्व है । बिल्वपत्र और धतूरा भगवान शंकर को विशेष प्रिय हैं । शंकरजी के प्रिय पुष्प हैं—अगस्त्य, गुलाब (पाटला), मौलसिरी, शंखपुष्पी, नागचम्पा, नागकेसर, जयन्ती, बेला, जपाकुसुम (अड़हुल), बंधूक, कनेर, निर्गुण्डी, हारसिंगार, आक, मन्दार, द्रोणपुष्प, नीलकमल, कमल, शमी का फूल आदि । जो-जो पुष्प भगवान विष्णु को पसन्द है, उनमें केवल केतकी व केवड़े को छोड़कर सब शंकरजी पर भी चढ़ाए जाते हैं । भगवान शंकर को दूर्वा चढ़ाने से आयु और धतूरा चढ़ाने से पुत्र की प्राप्ति होती है । भगवान शंकर पर कुन्द और केतकी के पुष्प नहीं चढ़ाये जाते हैं ।
भगवान शिव को कमल कितने प्रिय हैं इससे सम्बन्धित एक कथा पुराणों में मिलती है । देवताओं के कष्ट दूर करने के लिए भगवान विष्णु प्रतिदिन शिवसहस्त्रनाम के पाठ से शिवजी को एक सहस्त्र कमल चढ़ाते थे । एक दिन भगवान शिव ने उनकी भक्ति की परीक्षा करने के लिए एक कमल छुपा दिया । एक कमल कम होने पर भगवान विष्णु ने अपना एक कमल-नेत्र शिवजी के चरणों में अर्पित कर दिया । यह देखकर भगवान विष्णु अत्यन्त प्रसन्न हुए और दैत्यों के विनाश के लिए उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया ।
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के फूल!!!!!!
महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को अपने प्रिय पुष्पों के बारे में बताते हुए कहा—कुमुद, कनेर, मल्लिका, जाती, चम्पा, तगर, पलाश के पत्ते व पुष्प, दूर्वा, भृंगार और वनमाला मुझे अति प्रिय हैं । कमल का पुष्प लक्ष्मी का निवास होने से अन्य पुष्पों की अपेक्षा हजार गुना अधिक प्रिय है और कमल से भी हजार गुना तुलसी प्रिय है ।
भगवान विष्णु की पूजा के पुष्प!!!!!!
भगवान विष्णु को काली और गौरी दोनों तुलसी अत्यन्त प्रिय हैं । एक ओर ताजी मालती, चम्पा, कनेर, बेला, कमल और मणियों की मालाएं हों और दूसरी ओर बासी तुलसी हो तो भगवान बासी तुलसी ही अपनाएंगे ।
तुलसी की तरह का एक पौधा होता है ‘दौना’, भगवान विष्णु को यह बहुत प्रिय है । दौना की माला भगवान को इतनी प्रिय है कि वे इसे सूख जाने पर भी स्वीकार कर लेते हैं ।
(भगवान की पूजा का सबसे सुन्दर साधन पुष्प , Bhagavan Ki Pooja Ka Sabase Sundar Sadhan Pushp)
भगवान विष्णु को कमल का पुष्प, सफेद और लाल पुष्प जैसे पारिजात (हारसिंगार) और कुछ लाल पुष्प जैसे अड़हुल, बन्धूक (दोपहरिया) लाल कनेर और बर्रे के पुष्प अत्यन्त प्रिय हैं ।
प्रह्लादजी ने भगवान विष्णु को प्रिय पुष्पों के बारे में कहा है—जाती, शतपुष्पा, चमेली, मालती, यावन्ति, बेला, कटसरैया, कुंद, कठचंपा, बाण, चम्पा, अशोक, कनेर, जूही, पाटला, मौलसिरी, अपराजिता, तिलक, अड़हुल—ये सब पुष्प भगवान विष्णु को प्रिय हैं ।
भगवान विष्णु पर आक, धतूरा नहीं चढ़ाया जाता है ।
देवी की पूजा के पुष्प!!!!!!!
देवी को सभी लाल पुष्प (गुलाब, जपाकुसुम, लाल कनेर) और सुगन्धित श्वेत फूल प्रिय है । अपामार्ग का पुष्प उन्हें विशेष प्रिय है । देवी पर आक (मंदार) का पुष्प व दूर्वा नहीं चढ़ायी जाती है ।
लक्ष्मी पूजा में पुष्प!!!!!!!
लक्ष्मीजी का सभी पुष्पों में वास है परन्तु उन्हें कमल बहुत प्रिय है । लाल गुलाब और गुड़हल के पुष्प व दूर्वा से की गई पूजा से वे शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं ।
सूर्य की पूजा के पुष्प!!!!!!
भगवान सूर्य को एक आक का पुष्प चढ़ाने से सोने की दस अशर्फियां चढ़ाने का फल मिलता है । भगवान सूर्य को हजार गुड़हल से बढ़कर एक कनेर का फूल प्रिय है, हजार कनेर के फूलों से बढ़कर एक बिल्वपत्र, हजार बिल्वपत्रों से बढ़कर एक पद्म का फूल, हजारों पद्म पुष्पों से बढ़कर एक मौलसिरी का फूल, हजारों मौलसिरी से बढ़कर एक कुश का फूल, हजार कुश के फूलों से बढ़कर एक शमी का फूल, हजारों शमी के फूलों से बढ़कर एक नीलकमल और हजारों लाल व नीले कमलों से बढ़कर एक लाल कनेर का फूल प्रिय है ।
भगवान सूर्य पर तगर का फूल नहीं चढ़ाया जाता है ।
भगवान पर चढ़ाये जाने वाले सभी फूलों का नाम गिनाना अत्यन्त कठिन है और सभी फूल सब जगह मिलते भी नहीं हैं । अत: जो पुष्प जिस देवता के लिए निषिद्ध हैं, उन्हें छोड़कर सुन्दर रंग-रूप व सुगंध वाले पुष्प भगवान को चढ़ाने चाहिए ।
भाव पुष्पों से ही मानसिक पूजा!!!!!!!
यदि किसी के पास पुष्प नहीं हैं तो वह अहिंसा, इन्द्रिय निग्रह, दया, क्षमा, तप, सत्य, ध्यान, ज्ञान आदि भाव पुष्पों से ही भगवान की मानसिक पूजा कर सकता है । इन भाव-पुष्पों से अर्चना करने वालों को नरक यातना नहीं सहनी पड़ती है ।