अंग्रेजी की एक कहावत है कि ‘फर्स्ट इंप्रेशन इज द लास्ट इंप्रेशन’ और कई मायनों में ये सही भी है। पहली मुलाकात में हमारा जैसा स्वभाव या बोल चाल का तरीका होगा, वैसी ही छाप हम अपने सामने वाले व्यक्ति पर छोड़ेगे। आमतौर पर हमारे व्यक्तित्व की पहचान हमारे रहन-सहन और कपड़े पहनने के तरीके से ही की जाती है, जिसमें जूतों का बहुत बड़ा योगदान होता है। कपड़ों और जूते को एक दूसरे का कारक माना जाता है। किसी भी व्यक्ति ने कितने भी अच्छे कपड़े क्यों न पहने हों, लेकिन अगर उसके जूते ठीक नहीं हैं तो उसका व्यक्तित्व प्रभावित हो सकता है।
ज्योतिष में व्यक्ति की कुंडली का आठवां भाव पैरों के तलवों से जुड़ा होता है और जूते आठवें भाव को ही महत्व देते हैं। आइए जानते हैं ज्योतिष की नजर से जूतों का क्या महत्व है।
1. फटे जूते या उधड़े हुए जूते पहनकर रोजगार की तलाश या किसी जरूरी काम के लिए न जाएं, असफलता मिल सकती है।
2. किसी के भेंट किए हुए जूते नहीं पहनने चाहिए। ऐसा करने से शनिदेव आपके काम में दिक्कत करते हैं। जूते ना तो किसी से भेंट में लेने चाहिए और ना ही देने चाहिए।
3. ध्यान रखें कि चुराए हुए जूते भी कभी नहीं पहनने चाहिए। कई बार हमारे जूते या चप्पल किसी धार्मिक स्थल के बाहर से चोरी हो जाते हैं, ऐसा करने वाले ध्यान रखें कि चोरी के जूते-चप्पल पहनने से वो अपने ही स्वास्थ्य और धन की हानि कर रहे हैं।
4. ऑफिस या काम करने की जगह पर भूरे रंग के जूते पहनकर नहीं जाना चाहिए, ऐसा करने से व्यक्ति के काम में रुकावट आ सकती है।
5. कॉफी रंग के जूते बैंक के कर्मचारियों और अध्ययन क्षेत्र से जुड़े हुए लोगों को नहीं पहनने चाहिए। इससे आपकी कार्यशैली में दिक्कतें पैदा हो सकती है।
6. जो भी व्यक्ति बाहर से आकर अपने चप्पल, जूते-मोजे घर में इधर-उधर फेंकता है, उन्हें शत्रु परेशान कर सकते हैं। साथ ही काम में भी बाधा आती सकती है और उनकी कार्य योजना ठीक तरह से पूरी नहीं हो सकती है।
7. वास्तु के मुताबिक जूते-चप्पल रखने के लिए शुभ स्थान दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम और पश्चिम दिशा मानी गई है। इन दिशाओं में उचित स्थान पर शू-रैक बनाकर जूतों को उसमें ढककर रखें। ध्यान रहे कि शू-रैक घर के मेन गेट या उसके सामने न हो, इसे अच्छा नहीं माना जाता। सीढी के कोने में भी बने शू-रैक रखना घर की उन्नति के लिए शुभ नहीं होता है।