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स्वाइन फ्लू से बचने के आयुर्वेदिक उपाय

स्वाइन फ्लू से बचने के आयुर्वेदिक उपाय

                                                                                 
स्वाइन फ्लू श्वसन प्रणाली (रेस्पिरेटरी सिस्टम ) से सम्बंधित वायरस से फ़ैलाने वाली एक गंभीर बीमारी है। इसके वायरस का नाम H1N1 है। आज सम्पूर्ण मानव जाति इससे त्रस्त है। इस बीमारी से बचना ही सबसे बेहतर उपाय है।

रोग का प्रचार – जब कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है तो उसके मुहं से कफ के छोटे छोटे कण निकलते हैं इन्ही कफ के कणों में वायरस छिपे रहते हैं जब कोई स्वस्थ व्यक्ति इन कफ की बूंदो के संपर्क में आता है तो वह इन वायरस से संक्रमित हो जाता है।

लक्षण- तेज बुखार, नाक का लगातार बहना, गले में खराश, अत्यधिक थकान, छींकें आना, तेज सिरदर्द होना। ये ऐसे लक्षण हैं जो सामान्य सर्दी, जुकाम एवं फ्लू में भी होते हैं अंतर ये है की स्वाइन फ्लू में ये गंभीर किस्म के होते है। कभी कभी उल्टी दस्त जैसे पाचन संस्थान के लक्षण भी साथ में होते है। यदि उपरोक्त में से ३-४ लक्षण भी लगातार बने रहें और दवा लेने के बावजूद लक्षणों में आराम न हो तो तुरंत आलस्य त्याग कर बड़े अस्पताल में जाएँ।

इनका रखें विशेष ध्यान- बुजुर्ग, छोटे बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को इस रोग के प्रति विशेष ध्यान रखना चाहिए। साथ ही वे लोग जो दिल गुर्दे या फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित है इन्हें जुकाम खांसी का शुरुआती स्तर पर ही इलाज कर लेना चाहिए।

स्वाइन फ्लू से बचाव एवं उपचार-
हम हमेशा से सुनते आये हैं (prevention is better then cure) – यह बात स्वाइन फ्लू के मामले में तो बिलकुल फिट बैठती है।

(1) खांसी या छींक आने पर मुहं पर रुमाल रखें या टिशू पेपर उपयोग करें।
(2) नाक साफ़ करने, शौचालय जाने के बाद एवं खाना खाने से पहले साफ़ पानी एवं साबुन से हाथ धोएं। अकेली यह आदत अनेक संक्रामक बिमारियों से बचा सकती है।
(3) भीड़ भाड़ वाली जगहों जैसे शादी विवाह, मेलों आदि में जाने से बचें।
(4) जुकाम, खांसी, flu से पीड़ित लोगों से थोड़ी दुरी बनाकर रखें।
(5) पानी पीने में आलस्य न करें, पानी खूब पीयें ताकि शरीर से विष पेशाब, पसीने आदि के द्वारा निकलता रहे।
(6) पर्याप्त आराम जरूर करें।

आयुर्वेद के उपाय –
(1) काढ़ा पियें:- सर्दी, जुकाम, खांसी एवं flu में आयुर्वेद के काढ़े बहुत फायदेमंद हैं साथ ही स्वाइन flu से बचाव के लिए भी ये बहुत उपयोगी हैं।
o इसके लिए गिलोय का एक छोटा टुकड़ा, १-२ तुलसी पत्र, १-२ काली मिर्च, १ लॉन्ग, अदरक छोटा टुकड़ा, इन सब को कूटकर २ कप पानी में उबालें।
o 1 cup शेष रहने पर थोड़ा शहद डालकर पी लें। काढ़ा पीने के बाद 15-20 मिनट तक ठंडा पानी न पियें न ही ठंडी , खुली हवा में जाएँ
o यदि व्यक्ति की तशीर गर्म है तो उपरोक्त द्रव्यों की मात्रा काम कर दें।।
o गर्भवती एवं प्रसूति महिलाएं जिनके बच्चे छोटे हो उन्हें न दे।
o यह काढ़ा 2-3 दिन तक सुबह शाम पी सकते हैं , साथ ही इसके जैसा गोजिह्वाड़ी क्वाथ या काढ़ा आता है। यह भी सर्दी , खांसी , flu में बहुत उपयोगी है।
(2) गरम दूध में चुटकी भर हल्दी डालकर पीना बहुत फायदेमंद है।
(3) तुलसी , काली मिर्च , लौंग एवं अदरक की चाय भी सर्दी , खांसी , flu में बहुत फायदेमंद है।
(4) आयुर्वेद की दवाएं:- आयुर्वेद की कुछ औषधियां सर्दी,  खांसी , जुकाम एवं फ्लू में बहुत फायदेमंद है किन्तु इन्हे चिकित्सक की राय से ही सेवन करें। जैसे:-
o लक्ष्मी विलास रस,
o सितोपलादि चूर्ण,
o त्रिकटु चूर्ण ,
o अभ्रक भस्म,
o संजीवनी वटी आदि।

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