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पंडित जवाहरलाल नेहरु की जीवनी - Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

पंडित जवाहरलाल नेहरु की जीवनी - Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

                                                      
1947 में नेहरु (Jawaharlal Nehru) स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने | ये एक ऐसे देश के प्रधानमंत्री चुने गये जो हजारो समस्याओ से जूझ रहा था | ऐसे देश को मुख्य धारा में लाना नेहरु के सामने चुनौती थी | अंग्रेजो ने करीब 500 विदेशी रियासतों को एक साथ स्वंतंत्र किया था | उस वक्त सबसे बड़ी समस्या इन्हें एक झंडे के नीचे लाना था | इन्होने भारत के पुनर्गठन के रास्ते में उभरी हर चुनौती का समझदारी पूर्वक सामना किया था | नेहरु (Jawaharlal Nehru) ने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी | इन्होने योजना आयोग का गठन किया और तीन पंचवर्षीय योजनाओ का शुभारम्भ किया था | आइये नेहरु (Jawaharlal Nehru) की जीवनी के बारे में आपको विस्तार से बताते है |
जवाहरलाल नेहरु का प्रारम्भिक जीवन | Early Life of Jawaharlal Nehru
जवाहरलाल नेहरु (Jawaharlal Nehru) का जन्म 14 नवम्बर 1889 को ब्रिटिश भारत के इलाहाबाद के एक नामचीन वकील प.मोतीलाल नेहरु के घर में हुआ था | मोतीलाल नेहरु (Motilal Nehru) कश्मीरी पंडित परिवार से ताल्लुक रखते थे स्वाधीनता संग्राम के दौरान दो बार राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके थे | उनकी माता स्वरुपनी थुस्सू भी लाहोर से आये एक जाने माने कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखती थी |जवाहर लाल अपने माता पिता के इकलौते पुत्र थे | इनकी दो बहने विजय लक्ष्मी पंडित और कृष्णा हठी सिंह थी | इनकी प्रारम्भिक शिक्षा तो घर पर ही हुयी लेकिन उच्च शिक्षा के लिए उन्हें विदेश जाना पड़ा था |
नेहरु (Jawaharlal Nehru) अक्टूबर 1907 में कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज में पढने के लिए गये और 1910 में होनर्स डिग्री के साथ उन्हें विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की | 1910 में अपनी डिग्री हासिल करने के बाद नेहरु लन्दन गये और दो साल तक उन्होंने वहा पर कानून की पढाई की | दुनिया के प्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों से तालीम हासिल करने के बाद अगस्त 1912 में नेहरु भारत लौटे और वकालात शुरू की |  नेहरु अलाहाबाद में वकालत करने लगे और बेरिस्टर के रूप में स्थापित हो गये | हालांकि उनको अपने पिता की तरह कानून की पढाई से ज्यादा पॉलिटिक्स में ज्यादा रूचि थी जिसकी वजह से ही वो अपने पेशे में कम रूचि लेते थे |

Struggle for Indian Independence (1912–47)
नेहरु (Jawaharlal Nehru) को भारतीय राजनीति में रूचि तो ब्रिटेन में रहने के दौरान ही हो गयी थी और 1912 में भारत लौटने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय कांग्रेस के वार्षिक आयोजन में भाग लिया था | राजनीति में इनकी असली दीक्षा 1913 में हुयी जब इनकी मुलाक़ात महात्मा गांधी से हुए | उस समय गांधीजी ने रोलेट एक्ट के खिलाफ अभियान छेड़ रखा था | नेहरु , गांधीजी के अहिसंक सविनय अवज्ञा आन्दोलन को लेकर खासे उत्साहित थे | गांधीजी ने युवा नेहरु (Jawaharlal Nehru)  में भारत का भविष्य देखा और इन्हें आगे बढने के लिए प्रेरित किया | इन्होने 1920-22 के असहयोग आन्दोलन में भी सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था | इस दौरान पहली बार नेहरु जी (Jawaharlal Nehru) को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था जहा से कुछ महीनो बाद ही रिहा हो सके |
1924 में नेहरु जी (Jawaharlal Nehru) ने इलाहाबाद नगर निगम का चुनाव लड़ा था जिसमे ये अध्यक्ष चुने गये लेकिन ये कहकर इन्होने इस्तीफ़ा दे दिया कि ब्रिटिश अधिकारी सहयोग नही देते | 1926 से 19 28 तक नेहरु अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव रहे | 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पार्टी का अध्यक्ष चुना गया | इसी अधिवेशन में एक प्रस्ताव को पारित किया गया जिसमे भारत की स्वतन्त्रता की माग की गयी | 26 जनवरी 1930 को लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान का एक जिला ) में नेहरु जी ने ही सबसे पहले स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया | नेहरु जी 1936 ,1937 और 1946 में भी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे |स्वाधीनता आन्दोलन में गांधीजी के बाद नेहरु का नाम ही प्रमुखता से लिया जाता है | 1942 में हुए भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान नेहरु जी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया | 1945 में रिहा होने पर ये पुन: आन्दोलन में सक्रिय हो गये | सन 1947 में भारत एवं पाकिस्तान की स्वतंत्रता और बंटवारे के समय इन्होने ब्रिटिश सरकार के साथ हुयी वार्ता में अहम भूमिका अदा की थी |

प्रधानमंत्री के रूप में | JawaharLal Nehru as Prime Minister [1947–64]
नेहरु (Jawaharlal Nehru) ने भारत की विदेश निति को वृहद स्तर तक पहुचाने में प्रमुख भूमिका निभाई | नेहरु ने मिस्त्र के अब्दुल गमाल नासिर और युगोस्लाविया के जोसेफ ब्राज टीटो के साथ मिलकर Asia और Africa में उपनिवेशवाद क खत्म करने के लिए गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की रचना की | इन्होने स्वेज नहर विवाद , कोरियाई युद्ध के अंत और कांगो समझौते में अपना महत्वपूर्ण रोल अदा किया था |नेहरु जी ने अपने पड़ौसी देशो से मित्रतापूर्वक रहने की कोशिस की लेकिन दुर्भाग्य से पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों ने उनके इस विश्वास को गहरी ठेस पहुचाई | इतना ही नही चीन ने तो 1962 में धोखे से भारत पर हमला कर दिया | भारत-चीनी भाई भाई का नारा देने वाले नेहरु के लिए इससे बड़ा आघात क्या हो सकता था | शायद यही कारण था कि वो इस सदमे को सहन नही कर पाए थे और 1964 में हृदयाघात से उनकी मृत्यु हो गयी थी |
नेहरु (Jawaharlal Nehru) ने भारत में परमाणु कार्यक्रमों की शुरुवात करने वाले पहले भारतीय थे | इन्होने ये पहले ही भांप लिया था कि बिना परमाणु तकनीक के भारत आगे नही बढ़ सकता इसलिए इन्होने 1948 में देश के परमाणु उर्जा आयोग का गठन किया | यह आयोग सीधे नेहरु के निर्देशन में कार्य करता था | इसका अध्यक्ष वैज्ञानिक डा.होमी जहांगीर भाभा को बनाया था | 6 वर्ष बाद इन्होने अलग से परमाणु विभाग भी गठित कर दिया | 1956 में भारत के पहले परमाणु  रिएक्टर ने काम करना शुरू कर दिया | इसका मुख्यालय मुम्बई में रखा गया |नेहरु का मानना था कि भारत परमाणु उर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को समर्पित है | इस उर्जा के विकास से बड़े पैमाने पर बिजली का उत्पादन सम्भव है | नेहरु के प्रधानमंत्री काल के दौरान ही भारत की वैज्ञानिक क्षमता इतनी बढ़ गयी थी कि परमाणु बम भी बनाया जा सकता था |
जब देश आजाद हुआ था तब शिक्षा की स्थिति दयनीय थी | 1951 में देश की साक्षरता दर केवल 16.50 प्रतिशत थी |देश में गिने चुने कॉलेज और विश्वविद्यालय थे | प्राथमिक और उच्च दोनों ही तरह के शिक्षा प्रतिष्ठानों में भारी कमी थी | आजादी के समय देश में विश्वविद्यालयो की संख्या मात्र 18 थी और इनमे केवल तीन लाख छात्र अध्ययन रत थे | नेहरु जी के प्रयासों की वजह से ही विश्वविद्यालयो की संख्या में तीन गुना इजाफा हुआ और इनकी संख्या 54 हो गयी थी | महाविद्यालयो की संख्या भी 2500 के पार पहुच गयी थी |इतने बड़े स्तर पर विश्वविद्यालयो और महाविद्यालयों के खुलने से स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों की संख्या 6 लाख से अधिक हो गयी | नेहरु ने शिक्षा के लिए आवंटित बजट में भी बढ़ोतरी की | 1951-52 में जहा शिक्षा के लिए मात्र 20 करोड़ रूपये का प्रावधान था वही 1964-65 में इसको 146 करोड़ रूपये से भी ज्यादा कर दिया गया |
आजादी के समय पूरा देश मुलभुत सुविधाओं के लिए तरस रहा था | न तो सडके थी ना ही रेल और संचार की ही कोई माकूल व्यवस्था थी हालांकि अंग्रेजो ने इस क्षेत्र में काम तो किया था लेकिन स्थानीय संसाधनो का दोहन करने के लिए सड़क और रेलवे का जाल फैलाया था | उस समय देश में मुलभुत सुविधाओं के क्षेत्र में काम करने की सख्त जरूरत थी इसलिए नेहरु ने अपने एजेंडे इन सेवाओं को प्रमुखता से लिया था | नेहरु ने सामुदायिक विकास कार्यक्रम के माध्यम से गाँवों के विकास का कार्यक्रम हाथ में ले लिया | हाथ ही पंचायतीराज के विकास और सुदृढीकरण पर भी जोर देने का लक्ष्य रखा |सर्वागीण विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं की निति रखी गयी | इनके प्रधानमंत्रीत्व काल में पहली ,दुसरी उअर तीसरी पंचवर्षीय योजनाओ ने खूब सफलता अर्जित की |

Death of Jawaharlal Nehru
नेहरु जी (Jawaharlal Nehru) की तबियत तो 1962 के बाद से ही लगातार खराब होती जा रही थी और ज्यादातर इतिहासकार इसका कारण भारत-चीनी युद्ध मानते है | 26 मई 1964 को देहरादून की अपनी यात्रा पुरी करने के बाद जब वापस लौटे थे तब बिलकुल ठीक थे लेकिन रात को 11 बजे अचानक उन्हें बैचनी महसूस हुयी जो सुबह 6 बजे तक चलती रही थी | नेहरु इसे कमर दर्द बता रहे थे | नेहरु से डॉक्टरों ने बातचीत की और उसके तुरंत बार वो मूर्छित हो गये और 27 मई 1964 को दिन के 2 बजे उन्होंने अंतिम साँसे ली | उनकी मौत का कारण हृदयाघात ही बताया गया था | 28 मई को यमुना नदी के किनारे शांतिवन में पुरे विधि विधान ने उनका अंतिम संस्कार किया गया |

जवाहरलाल नेहरु से जुड़े विवादित तथ्य | Controversial Facts of Jawaharlal Nehru
मित्रो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री होने के नाते हम जवाहरलाल नेहरु Jawaharlal Nehru का सम्मान करते है लेकिन इन्टरनेट युग आने पर उनसे जुडी अनेक ऐसी बाते सामने आयी जिनके कारण उनका सम्मान बहुत कम हुआ है | कई लोग इन्हें देशद्रोही तक कहते है जिन्होंने सत्ता के लोभ में भारत का बंटवारा होना स्वीकार किया था | यही कारण है कि उनके जीवन पर ना कोई Documentary या फिल्म नही बनी | इन्टरनेट पर इनके ऐसे कई फोटो उपलब्ध है जिनसे इनकी छवि को काफी नुकसान पहुचा है जो शायद सच भी हो सकता है | इन्टरनेट पर प्रचलित इन्ही तथ्यों के आधार पर हम आपको उनसे जुड़े विवादित तथ्यों से आपको रूबरू करवाते है |
जवाहरलाल नेहरु (Jawaharlal Nehru) के जन्म से जुड़ा एक विवादित तथ्य इन्टरनेट पर यह प्रचलित है कि उनका जन्म आनद भवन में नही बल्कि एक रेड लाइट इलाके में हुआ था जहा मोतीलाल नेहरु अपनी दुसरी पत्नी स्वरूपिणी के साथ रहते थे |यही कारण है कि इतिहास में उनके बचपन के आठ वर्षो का जिक्र कही नही होता है | सौजन्य : India Opines
जवाहरलाल नेहरु जब अपनी माता के गर्भ में थे तब गंगा के तट पर एक पंडित ने भविष्यवाणी की थी कि ये बच्चा देश के लिए विनाशकारी साबित होगा | उस पंडित ने धीरे से मोतीलाल को बताया था कि वो अपनी पत्नी को जहर दे दे लेकिन जब फुसफुस को मोतीलाल की पत्नी ने सुना तो उसने केवल “जहर” शब्द सुना तो मोतीलाल ने तर्क दिया कि वो उनके पुत्र का नाम जवाहर रखने के लिए कह रहे है इस तरह हमारे प्रथम प्रधानमंत्री का नाम जवाहर रखा गया | सौजन्य : India Opines
नेहरु जी की पहली पत्नी का जल्द ही देहांत हो गया था | इस दौरान उनके लार्ड माउंटबेटन की पत्नी के साथ अच्छी दोस्ती हो गयी थी | आपने कई फोटो में उनको साथ साथ भी देखा होगा | इसी कारण ऐसी अफवाहे फ़ैल गयी थी कि इन दोनों के बीच प्रेम सम्बध है | दुसरी ओर जिन्ना को भी एडविना बेहद पसंद थी जिससे लव ट्रायंगल बन गया था | सौजन्य : India Opines
किसी भी व्यक्ति विशेष को इन विवादित तथ्यों से अगर आपत्ति हो तो तुरंत हमे बताये और हम इन्हें अपने ब्लॉग से हटा देंगे क्योंकि इन सभी तथ्यों की सत्यता की प्रमाणिकता भी हम नही करते है यह सारे तथ्य इन्टरनेट पर प्रचलित तथ्यों से लिए गये है |

जवाहरलाल नेहरु का जन्मदिन बाल दिवस के रूप में
जिस तरह जवाहरलाल नेहरु (Jawaharlal Nehru) एक विवादित नेता के रूप में नजर आये थे उसी प्रकार उनके जीवन के कुछ अच्छे पहलू भी थे जिसमे से उनको बच्चो से बेहद प्यार था और अक्सर बच्चो से घिरे रहते थे | बच्चो से अपने इसी लगाव के कारण उनके जन्मदिन को भारत की जनता बाल दिवस के रूप में मनाती है जो एक अच्छी बात है | बाल दिवस पर विद्यालयों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है और नेहरु जी के बच्चो के साथ प्रेम को याद किया जाता है | जिस तरह सिक्के के दो पहलू होते है उसी तरह इन्सान के भी दो पहलू होते है | जवाहरलाल नेहरु के जीवन में भी दो पहलू थे जिसमे एक में वो विवादित और एक में एक बाल प्रेमी इन्सान | निर्भर यह करता है आपको उनका कैसा रूप पसंद है | वैसे बचपन में हम खुद भी जवाहरलाल नेहरु (Jawaharlal Nehru) को एक अच्छे इन्सान के रूप में जानते है और आशा है कि भारतीय नेताओ की छवि को भारत के बाहर के नेता धूमिल न करे तो ज्यादा बेहतर होगा |

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