भारत के प्रमुख राष्ट्रवादी नेता मौलाना अबुल कलाम आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) का जन्म 1888 में मक्का में हुआ था | उनके पिता खैरुद्दीन 1857 की अस्थिर स्थिति में अपने नाना के साथ मक्का चले गये थे और वही उन्होंने विवाह भी किया | अबुल कलाम आजाद का बचपन का नाम मुहिउदीन अहमद था | जब उनके पिता अपनी हड्डी का इलाज कराने के लिए कोलकाता आये तो फिर वही के होकर रह गये और कुछ दिन बाद उनका परिवार भी भारत आ गया |
धार्मिक विचारों के खैरुद्दीन पश्चिमी शिक्षा को हानिकारक समझते थे इसलिए अबुल कलाम (Maulana Abul Kalam Azad) की सारी शिक्षा घर पर ही हुयी | अबुल कलाम इतने कुशाग्र बुद्धि थे कि 25 वर्ष की उम्र में पुरी होने वाली इस्लामी शिक्षा उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में ही पुरी कर ली और विद्यार्थियों को दर्शन और तर्कशास्त्र जैसे विषय पढाकर अपनी योग्यता प्रमाणित कर दी | इस बीच सर सैयद अहमद खा के लेख पढकर उन्हें पश्चिमी शिक्षा की आवश्यकता का अनुभव हुआ |
अबुल कलाम (Maulana Abul Kalam Azad) ने अपने एक मित्र की सहायता से अंग्रेजी वर्णमाला सीखी और थोड़े ही समय में कोश और समाचार पत्रों की मदद से इतनी अंग्रेजी सीख ली कि उस भाषा के गम्भीर ग्रंथो का अध्ययन करने लगे | यह भारत के नवजागरण का समय था | मौलाना पर भी इसका असर पड़ा | वे अबुल कलाम “आजाद” के नाम से उर्दू पत्रों में लेख लिखने लगे | इसी बीच उन्हें कई बाहरी देशो में जाकर अपने राजनैतिक विचार स्थिर करने का अवसर मिला |
भारत आकर राष्ट्रीयता के प्रचार के लिए उन्होंने “अलहिलाल” नामक पत्र निकाला | जब ब्रिटिश सरकार ने इस पत्र को जब्त कर लिया तो मौलाना ने “अलबबाग़” नामक दूसरा पत्र निकालकर अपना आन्दोलन जारी रखा | यह प्रथम विश्वयुध्द का जमाना था | 1916 ईस्वी में मौलाना रांची में नजरबंद कर लिए गये और एक जनवरी 1920 को ही वहा रिहा हो सके | इस बीच गांधीजी के भारत आने से राष्ट्रीय आन्दोलन नया मोड़ ले चूका था | मौलाना (Maulana Abul Kalam Azad) गांधीजी से मिले और तब से जीवनपर्यन्त राष्ट्रीय आन्दोलन के चोटी के नेता बने रहे |
असहयोग आन्दोलन से लेकर 1942 तक के भारत छोड़ो आन्दोलन तक हर बार उन्हें गिरफ्तार किया गया | खिलाफत आन्दोलन में भी उन्होंने आगे बढकर भाग लिया | 1923 और 1940 में दो बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये | 1945 में रिहाई के बाद उन्होंने ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधियों से समझौता वार्ता में भाग लिया और स्वतंत्रता के बाद भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री बने | मौलाना आजाद (Maulana Abul Kalam Azad) सहिष्णु विचारो के व्यक्ति थे | उनकी मान्यता थी कि जब सब धर्म एक ही परमेश्वर की प्राप्ति का मार्ग है तो उसमे संघर्ष क्यों हो |
अबुल कलाम (Maulana Abul Kalam Azad) बड़े प्रभावशाली वक्ता और उर्दू भाषा के उच्च कोटि के लेखक थे | उनकी पुस्तके उर्दू गध्य का आदर्श मानी जाती है | अंग्रेजी में भी उन्होने ख़ास महत्वपूर्ण लेखन किया | India Wins Freedom इस दृष्टि से उनकी उल्लेखनीय कृति है | राष्ट्रीय जीवन की मुख्य धारा के समर्थक मौलाना आजाद देश की मिली जुली संस्कृति के उदाहरण थे | 22 फरवरी 1958 को मौलना अबुल कलाम (Maulana Abul Kalam Azad) आजाद का निधन हो गया