Ambika Chakrabarty Biography in Hindi - क्रांतिकारी अम्बिका चक्रवती की जीवनी
Ambika Chakrabarty Biography in Hindi - क्रांतिकारी अम्बिका चक्रवती की जीवनी

चटगाँव (बंगाल) शस्त्रागार केस के प्रसिद्ध क्रांतिकारी और कम्युनिस्ट नेता अम्बिका चक्रवती (Ambika Chakrabarty) का जन्म 1892 में म्यांमार (बर्मा) में हुआ था | बाद में उनका परिवार चटगाँव में आकर रहने लगा | अंबिका (Ambika Chakrabarty) के उपर उस समय के क्रान्तिकारियो और स्वामी विवेकानंद के विचारों का बड़ा प्रभाव पड़ा | उनके विचार और कार्य क्रांतिकारी थे पर प्रकट रूप से उन्होंने कांग्रेस संघठन से भी निकट का संबध रखा | शीघ ही वे क्रान्तिकारियो के चटगाँव समूह के नेता बन गये | 1924 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 1928 तक वे जेल में रहे |
बाद में अपने कुछ अन्य साथियों के साथ अम्बिका ने चटगाँव को अंग्रेजो से स्वतंत्र कराने की योजना बनाई | इसके लिए दो दलों का गठन किया गया | एक दल ने टेलीफोन और तारघर पर कब्जा किया और दुसरे ने शस्त्रागार अपने कब्जे में किया | लेकिन दुर्भाग्य से अंग्रेजो ने कारतूस कही ओर छिपाकर रखे थे | अत: कब्जे में आये हथियार बेकार साबित हुए | ऐसी स्थिति में दल को पुनसंघठित करने के इरादे से अम्बिका अपने साथियो को लेकर जलालाबाद की पहाडियों में चले गये |
पर शीघ्र ही इस पहाडी पर अंग्रेजो ने आक्रमण कर दिया | उनके अन्य साथी तो बच निकले परन्तु पुलिस की गोली से घायल अम्बिका (Ambika Chakrabarty) घसीटते हुए एक गाँव में पहुचे और वहा के साहनुभूतिशील लोगो के इलाज से स्वास्थ्य लाभ करके भूमिगत हो गये | 1930 में पुलिस ने अंतत: अम्बिका (Ambika Chakrabarty) को खोज निकाला और आजीवन कैद की सजा देकर उनको अंडमान भेज दिया गया | अंडमान में साम्यवादी साहित्य के अध्ययन से उनके विचारों में परिवर्तन हुआ और 1946 में जेल से बाहर आने पर वे कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बन गये |
कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में भी उन्होंने 1949 से 1951 तक जेल की सजा काटी | 1952 में कम्युनिस्ट उम्मीदवार के रूप में अम्बिका पश्चिमी बंगाल की विधान सभा के सदस्य चुने गये | दस वर्ष बाद 6 मार्च 1962 को इस वीर और साहसी देशभक्त का एक सडक दुर्घटना में निधन हो गया |