चितरंजन दास (Chittaranjan Das) का जन्म 5 नवम्बर 1870 को ढाका के विक्रमपुर नगर के तेलिरबाग़ में हुआ | उनके पिता भुवन मोहन दास थे तथा माता दुर्गा मोहन दास | ब्रह्मसमाज के दुर्गामोहन दास उनके चाचा थे | उनके परिवार में कई प्रतिष्टित राजनितिक नेता ,शिक्षक एवं न्यायविद एवं न्यायधीश हुए | सिद्धार्थ शंकर रे उनके जयेष्ट पौत्र रहे है | प्रारम्भिक शिक्षा भारत में ग्रहण कर वे इंग्लैंड बैरिस्टरी करने गये | 1909 में उनका करियर शुरू हुआ जब उन्होंने अलीपुर बम काण्ड में फंसे अरविन्द घोष का मुकदमा लड़ा |
1919-1922 के असहयोग आन्दोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही | अंग्रेजो के द्वारा भारतीयों पर किये गये अत्याचारों , देश की गरीबी , दुर्दशा ने उन्हें दुखी कर दिया और वे देश की आजादी के लिए उठ खड़े हुए | सबसे पहले उन्होंने विदेशी कपड़ो की होली जलाई | अपने यूरोपियन कपड़ो को त्यागकर खादी पहनना शुरू किया | ब्रिटिशराज के विरुद्ध अपनी लड़ाई को गति देने के लिए उन्होंने फॉरवर्ड पत्र निकाला जिसका नाम बाद में लिबर्टी कर दिया |
आन्दोलन में प्रसिद्ध होने के कारण ब्रिटिश सरकार ने उन्हें सपत्नीक पकडकर 6-6 महीने की सजा दी | 1921 में अहमदाबाद कांग्रेस के वे अध्यक्ष चुने गये | ये उस समय जेल में थे अतैव इनके प्रतिनिधि के उर्प में ह्कील अजमल खां ने अध्यक्ष भार सम्भाला | इनका अध्यक्षीय वक्तव्य सरोजिनी नायडू ने पढकर सुनाया | जेलस से छुटने के बाद इन्होने आन्दोलन को बाहर से न कर काउंसिलो में घुसकर विरोध करने की निति अपनानी चाही | पर उनका प्रस्ताव “गया-कांग्रेस” में स्वीकृत नही हुआ तब उन्होंने वहा से त्यागपत्र देकर स्वराज्य दल की स्थापना की |
1923 में दिल्ली में हुए कांग्रेस के अतिरिक्त में उनका प्रस्ताव अंतत: स्वीकृत हो गया | प्रस्ताव के अनुसार ये बंगाल काउंसलिंग में स्वयं घुसे तथा अपने स्वराज्य दल के कई लोगो ओ घुसाया | बंगाल काउंसलिंग में इनका दल निर्विरोध चुना गया | ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सब कार्य करते रहे | 1924-25 में कलकत्ता महापालिका में भी उनके पक्ष के बहुत लोग घुसे तथा वे स्वयं मेयर बने | इन्ही दिनों गोपीनाथ साहा नामक बंगाली ने एक अंग्रेज की हत्या कर दी |
सरकार और इनके दल के बीच झगड़ा शुरू हुआ | सरकार ने संदेह में 80 लोगो को पकड़ा | कलकत्ता कारपोरेशन ने भी सरकार की इस निति का विरोध किया | सरकारी विज्ञाप्ति की धाराए बंगाल क्रिमिनल लॉ एमेद्मेंट बिल में सम्मिलित की गयी | स्वराज्य दल ने बिल अस्वीकार कर दिया | व्यक्तिगत रूप में वे अहिंसावादी थे तथा राजनीतीशास्त्र के रूप में हिंसा का प्रयोग अनुचित समझते थे | वे हिन्दू-मुस्लिम एकता तथा साम्प्रदायिक समन्वय के सिद्धांत में विशवास रखते थे | सामान्यजनों के दुःख से द्रवित होकर उनके कल्याण के कार्य करने की वजह से ही उन्हें लोग प्यार एवं आदरपूर्वक देशबन्धु देश का मित्र कहने लगे थे |
चितरंजन दास (Chittaranjan Das) के वक्तित्व के अन्य कई पहलू भी थे | वे उच्चकोटि के राजनीतिज्ञ एवं नेता होने के साथ साथ बंगला भाषा के अच्छे कवि एवं पत्रकार भी थे | बंग साहित्य के आंदोलनों में उनका प्रमुख हाथ रहता था | सागर संगीत , अन्तर्यामी तथा किशोर-किशोरी इनके काव्य ग्रन्थ है | सागर संगीत का उन्होंने तथा अरविन्द घोष ने मिलकर सोंग्स ऑफ़ दी सी नाम से अनुवाद किया और प्रकाशित किया | नारायण नामक वैष्णव साहित्य प्रधान मासिक पत्रिका भी उन्होंने काफी समय तक चलाई |
कवि का हृदय अत्यंत भावुक होता है वह दुखीजनों को देखकर द्रवित हो जाता है | उन्होंने बेलगाँव कांग्रेस में 148 न. रूसा रोड कलकत्ता वाला मकान स्त्रियों और बच्चो के लिए अस्पताल बनाने के लिए दे दिया | महात्मा गांधी ने सी.आर.दास. स्मारक निधि के रूप में दस लाख रूपये एकत्रित कर उनकी अंतिम इच्छा पुरी की |