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Hemu Kalani - किशोर क्रांतिकारी शहीद हेमू कालाणी की जीवनी

Hemu Kalani - किशोर क्रांतिकारी शहीद हेमू कालाणी की जीवनी

                                                                            
किशोर क्रांतिकारी शहीद हेमू कालाणी की जीवनी Hemu Kalani History in Hindiभारत को स्वतंत्र कराने में देश के नन्हे क्रांतिकारी हेमू कालाणी Hemu Kalani का नाम गौरवान्वित एवं अजर अमर रहेगा | 18 अक्टूबर 1983 को देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एवं शेर-ए-सिंध शहीद हेमू कालाणी की माताजी जेठी बाई कालाणी की उपस्थिथि में नन्हे क्रांतिकारी हेमू कालाणी पर डाक टिकिट जारी किया गया था | गुलामी की जंजीरों में जकड़ी भारत माता को आजाद कराने में दो नन्हे क्रांतिकारियों को कभी नही भुलाया जा सकता है |ये दोनों नन्हे क्रांतिकारी थे खुदीराम बोस और हेमू कालाणी
Hemu Kalani हेमू कालाणी का जन्म अविभाजित भारत के सिंध प्रदेश के सक्खर जिले में 23 मार्च 1924 को हुआ था | हेमू के पिता का नाम श्री वेसुमल एवं दादा का नाम मेघराम कालाणी था | Hemu Kalani हेमू बचपन से साहसी तथा विद्यार्थी जीवन से ही क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय रहे | Hemu Kalani हेमू कालाणी जब मात्र 7 वर्ष के थे तब वह तिरंगा लेकर अंग्रेजो की बस्ती में अपने दोस्तों के साथ क्रांतिकारी गतिविधियों का नेतृत्व करते थे |
1942 में 19 वर्षीय किशोर क्रांतिकारी ने “अंग्रेजो भारत छोड़ो ” नारे के साथ अपनी टोली के साथ सिंध प्रदेश में तहलका मचा दिया था और उसके उत्साह को देखकर प्रत्येक सिंधवासी में जोश आ गया था |Hemu Kalani हेमू समस्त विदेशी वस्तुओ का बहिष्कार करने के लिए लोगो से अनुरोध किया करते थे | शीघ्र ही सक्रिय क्रान्तिकारी गतिविधियों में शामिल होकर उन्होंने हुकुमत को उखाड़ फेंकने के संकल्प के साथ राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रियाकलापों में भाग लेना शूरू कर दिया |अत्याचारी फिरंगी सरकार के खिलाफ छापामार गतिविधियों एवं उनके वाहनों को जलाने में हेमू सदा अपने साथियों का नेतृत्व करते थे |
Hemu Kalani हेमू ने अंग्रेजो की एक ट्रेन ,जिसमे क्रांतिकारियों का दमन करने के लिए हथियार एवं अंग्रेजी अफसरों का खूखार दस्ता था | उसे सक्खर पुल में पटरी की फिश प्लेट खोलकर गिराने का कार्य किया था जिसे अंग्रेजो ने देख लिया था | 1942 में क्रांतिकारी हौसले से भयभीत अंग्रजी हुकुमत ने Hemu Kalani हेमू की उम्र कैद को फाँसी की सजा में तब्दील कर दिया | पुरे भारत में सिंध प्रदेश में सभी लोग एवं क्रांतिकारी संघठन हैरान रह गये और अंग्रेज सरकार के खिलाफ विरोध प्रकट किया | हेमू को जेल में अपने साथियों का नाम बताने के लिए काफी प्रलोभन और यातनाये दी गयी लेकिन उसने मुह नही खोला और फासी पर झुलना ही बेहतर समझा |
फाँसी की खबर सुनकर हेमू कालाणी Hemu Kalani का वजन आठ पौंड बढ़ गया | नन्हे वीर हेमू की माँ ने अपने आंसुओ को रोकना चाहा लेकिन ममतामयी आँखों से असू छलक आये | ममता और निडरता का नजारा देख दुसरे अन्य कैदी रो दिए किन्तु हेमू की आँखों में एक अनोखी चमक थी | माँ की चरण वन्दना करते हुए हेमू ने कहा “माँ मेरा सपना पूरा हुआ , अब जननी भारत को आजाद होने से कोई नही रोक सकता “| 21 जनवरी 1943 को इस किशोर क्रांतिकारी को फांसी दे दी गयी और भारत की आजादी में शहीद होने वालो में एक नाम ओर जुड़ गया |संसद के प्रवेश द्वार पर अमर शहीद हेमू कालाणी की प्रतिमा देश की आहुति देने वाले भारत के सच्चे सपूत हेमू कालाणी के प्रति सच्ची श्रुधान्जली है |

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