भारतीय न होते हुए भी जिन्होंने भारत के सामाजिक और राजनितिक जीवन को अपने समय में बहुत प्रभावित किया ,उनमे एनी बीसेंट (Annie Besant) का महत्वपूर्ण स्थान है | एनी बीसेंट (Annie Besant) का जन्म 1 अक्टूबर 1847 को लन्दन में हुआ था | सेवा की भावना और स्वतंत्र विचारों का उदय उनके अंदर प्रारम्भिक शिक्षा के समय ही हो चूका था | 1867 में पादरी फ्रैंक बीसेंट से उनका विवाह हुआ , दो संताने भी हुयी पर 1873 में उन दोनों का तलाक हो गया |
एनी बीसेंट (Annie Besant) बड़ी विद्रोही स्वभाव की थी | उन्होंने इसाई धर्म की रुढियो का विरोध आरम्भ किया | धर्म पर से उनकी आस्था हट गयी | इस पर उनका बड़ा विरोध हुआ पर वे अपने मार्ग से नही हटी | गरीबो की दशा सुधारने के लिए उन्होंने लन्दन में श्रमिक संघठन की स्थापना की | सेवा के जो अवसर मिले ,सबमे उन्होंने आगे बढकर भाग लिया | इसी बीच एनी बीसेंट (Annie Besant) की थियोसोफिकल सोसायटी के संबध में पुस्तक पढने और उस संघठन की अध्यक्ष मैडम ब्लेवस्त्स्की के सम्पर्क में आने का अवसर मिला |
अनीश्वरवादी एनी बीसेंट (Annie Besant) पूर्णत: आध्यात्म की ओर मुड़ गयी | बाद में वे इस सोसाइटी की अध्यक्ष चुनी गयी और जीवनपर्यन्त उस पद पर बनी रही | एनी बीसेंट थियोसोफिकल सोसायटी के विचारो का प्रचार करने के लिए पहली बार 1893 में भारत आयी | 1895 से वह बनारस में रहने लगी | शिक्षा प्रसार के लिए उन्होंने 1898 में Central Hindu School की स्थापना की जो थोड़े दिन बाद कॉलेज बन गया | बाद में पंडित मदन मोहन मालवीय के प्रयत्न से यही कॉलेज वर्तमान में हिन्दू विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ |
एनी बीसेंट (Annie Besant) देश के स्वतंत्रता संग्राम से भी अभिन्न रूप से जुड़ गयी | अपने विचारों के प्रचार के लिए उन्होंने “कॉमनविल” और “न्यू इंडिया” नामक पत्रों का प्रकाशन किया | अपने लेखो और भाषणों के द्वारा उन्होंने देश की स्वतंत्रता के पक्ष में जोरदार आन्दोलन किया | 1914 में वे कांग्रेस की प्रतिनिधि बनी | 1916 में उन्होंने स्वतंत्रता के आन्दोलन को आगे बढाने के लिए “होमरूल लीग” की स्थापना की जिसमे पंडित जवाहरलाल नेहरु भी सम्मिलित हो गये थे |
एनी बीसेंट (Annie Besant) की आलोचनाओं से भयभीत होकर मद्रास के गर्वनर ने इनसे भारत छोडकर चले जाने के लिए कहा | जब इन्होंने इंकार किया तो कुछ सहयोगियों के साथ इन्हें नजरबंद कर लिया गया | लेकिन देश और विदेशो में व्यापक विरोध देखकर कुछ समय बाद उन्हें रिहा करना पड़ा | एनी बीसेंट का राजनैतिक क्षेत्र में इतना सम्मान था कि 1917 में कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन का उन्हें अध्यक्ष चुना गया | इस समय तक कांग्रेस का आन्दोलन मुख्यत: प्रस्तावों और मांगो तक सिमीत रहता था |
लेकिन इसके बाद गांधीजी के आगमन से असहयोग और सत्याग्रह की बाते होने लगी | इस नई स्थिति से समझौता न कर पाने के कारण एनी बीसेंट कांग्रेस से अलग हो गयी और उन्होंने अपने शेष जीवन शिक्षा और थियोसफी के प्रचार में लगाया | उन्होंने देश में स्काउट आन्दोलन आरम्भ किया और महिला संघठन की नींव डाली | अडियार (मद्रास) का थियोस्फी का मुख्य केंद्र उनकी एक बड़ी देन है | 21 सितम्बर 1933 को एनी बीसेंट (Annie Besant) का देहांत हो गया |
एनी बीसेंट जीवन एक नजर में | Annie Besant Facts in Hindi
पूरा नाम एनी बीसेंट
जन्म तिथि 1 अक्टूबर 1847
जन्म स्थान क्लेफम, लन्दन , यूनाइटेड स्टेट्स
मृत्यु 20 सितम्बर 1933 (आयु 85)
मृत्यु स्थान अड्यार, मद्रास प्रेसिडेंसी ,ब्रिटिश इंडिया
पिता विलियम वुड
माता एमिली मोरिस
राष्ट्रीयता ब्रिटिश
प्रसिद्धि थियोसोफिस्ट, महिला अधिकारवादी, लेखक और वक्ता
राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
आन्दोलन भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन
पति फ्रैंक बीसेंट (विवाह 1867 ; तलाक 1873)
बच्चे आर्थर , मबेल