प्रसिद्ध क्रांतिकारी रास बिहारी बोस (Rash Bihari Bose) का जन्म 25 मई 1886 को बंगाल में वर्दमान जिले में सुबल हूद नामक स्थान में हुआ था | बचपन से ही वे बड़े साहसी थे | देशभक्तिपूर्ण साहित्य के अध्ययन से 18 वर्ष की उम्र में ही उनके क्रांतिकारी विचार पक्के हो चुके थे | वे सेना में भर्ती होकर भारतीय सैनिको को अंग्रेजो के विरुद्ध तैयार करना चाहते थे पर सेना में प्रवेश नही मिल सका अत: इन्होने देहरादून के वन अनुसन्धान संस्थान में नौकरी कर ली और उसकी आड़ में उत्तर भारत में क्रान्तिकारियो का संघठन करते रहे |
लाला हरदयाल के अमरीका चले जाने के बाद रास बिहारी बोस ही भारत के क्रान्तिकारियो के नेता थे | बंग-भंग के बाद जब अंग्रेज राजधानी कोलकाता से दिल्ली लाये ,उसी समय 23 दिसम्बर 1912 को रास बिहारे बोस (Rash Bihari Bose) और उनके साथियो ने दिल्ली के चांदनी चौक बाजार में वायसराय लार्ड हार्डिंग के उपर बम फेंककर तहलका मचा दिया था | पर वे पुलिस के हाथ नही आये , अब उन्होंने अपने अन्य सहयोगियों के साथ सैनिक छावनियो में जाकर प्रचार करना प्रारम्भ किया |
अनेक बटालियने उनका साथ देने के लिए तैयार भी हो गयी थी | कुछ समय बाद जब प्रथम विश्वयुद्ध चल रहा था 21 फरवरी 1915 की रात में क्रान्ति का शुभारम्भ करने और अंग्रेज अफसरों को गिरफ्तार करने की योजना बनाई | पर दो देशद्रोहियों ने जो अंग्रेजो के एजेंट थे और क्रान्तिकारियो के वेश में दल में शामिल हो गये थे भेद खोल दिया | इस प्रकार यह योजना सफल न हो सकी | रास बिहारी (Rash Bihari Bose) ने अंग्रेजो के हाथो फांसी चढने के बदले देश के बाहर स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष करने का निश्चय किया और पी.एन.. टैगोर के नाम से पासपोर्ट बनवा कर वे टोकियो (जापान) चले गये |
ब्रिटिश सरकार ने उन्हें पकड़ मंगवाने के लिए बड़े प्रयत्न किये किन्तु बोस को जापान के बुद्धिजीवियो से प्राप्त संरक्षण के कारण यह सम्भव नही हुआ | रास बिहारी बोस ने जापानी भाषा सीखी , एक जापानी युवती से विवाह किया और उस देश की नागरिकता स्वीकार कर ली | फिर भी अंग्रेजो के गुप्तचर उनके पीछे पड़े रहे | इसी कारण बोस दम्पति को 8 वर्ष में 17 बार अपना निवास स्थान बदलना पड़ा था | उन्होंने अंग्रेजो के विरुद्ध भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना अभियान जारी रखा | इसके लिए उन्होंने 16 पुस्तके लिखी , “भारतीय समाज” और “भारत जापान मैत्री संघठन” बनाया |
द्वितीय विश्वयुद्ध आरम्भ होने पर उन्होंने “इंडियन इंडिपेंडेंस लीग” की अध्यक्षता और “आजाद हिन्द फ़ौज” का गठन किया | 1943 में जब नेताजी सुभाष चन्द्र बोस सिंगापुर पहुचे तो रास बिहारी बोस ने “इंडियन independence लीग ” की स्थापना की अध्यक्षता और “आजाद हिन्द फ़ौज” का प्रधान सेनापतित्व उनको सौप दिया | उन्होंने कहा “अब मै बुढा हो गया हु और यह काम युवको के लायक है ” | नेताजी ने उनको अपना सर्वोच्च परामर्शदाता बनाये रखा था | अस्वस्थता के कारण रास बिहारी बोस (Rash Bihari Bose) को चिकित्सा के लिए टोकियो जाना पड़ा | वही 21 जनवरी 1945 को इस महान देशभक्त और क्रांतिकारी का देहांत हो गया |