‘लोकनायक” की उपाधि और “जे.पी.” के संक्षिप्त नाम से लोकप्रिय प्रसिद्ध समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण (Jayaprakash Narayan) का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को विजयादशमी के दिन बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा नामक स्थान में हुआ था | अध्ययन के लिय पटना जाने पर उनका परिचय अनेक देशभक्त युवको से हुआ था | 1920 में गांधीजी के असहयोग आन्दोलन में वे भी सरकारी विद्यालय का अध्ययन छोडकर बिहार विद्यापीठ आ गये |
बाद में कोलकाता की एक संस्था से छात्रवृति मिलने पर वे आगे के अध्ययन के लिए अमेरिका गये और 8 वर्ष तक अमेरिका में रहे | इससे पहले ही उनका विवाह हो चूका था | उनके विदेश प्रवास के वर्षो में उनकी पत्नी प्रभावती गांधीजी के साबरमती आश्रम में रही थी | अमेरिका में अध्ययन पूरा करने पर जयप्रकाश को वही अध्यापन का काम मिल गया था किन्तु माँ की बीमारी की सुचना मिलने पर वे 1929 में भारत वापस आ गये |
भारत आकर भी उन्हें अध्यापन का काम मिल रहा था किन्तु 1929 की लाहौर कांग्रेस द्वारा पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद जयप्रकाश के जीवन की दिशा बदल गयी | समाजवादी विचारों का अध्ययन उन्होंने अमेरिका में ही किया था | नेहरु जी ने उन्हें कांग्रेस संघठन में श्रमिक एकांक का प्रभारी बना दिया | इसके बाद स्वतंत्रता प्राप्त होने तक जयप्रकाश कांग्रेस के और 1934 के बाद से “कांग्रेस समाजवादी पार्टी” के प्रमुख नेता रहे |
जयप्रकाश (Jayaprakash Narayan) 1932 में गिरफ्तार हुए 1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध आरम्भ होते ही वे फिर जेल में डाल दिए गये | 1942 के “भारत छोड़ो आन्दोलन” को आगे बढाने के उद्देश्य से नवम्बर 1942 में वे बिहार की हजारीबाग जेल की दीवार फांदकर बाहर निकल आये थे | अंग्रेजो के विरुद्ध आन्दोलन तेज करने के लिए उन्होंने सशस्त्र “आजाद दस्ता” गठित किया था | बाद में वे जब गिरफ्तार हुए तो उन्हें जेल में बड़ी यातनाये दी गयी |
1946 में जेल से बाहर आने के बाद जयप्रकाश ने अपनी शक्ति समाजवादी संघठन को सुदृढ़ करने में लगाई | उन्होंने केन्द्रीय मंत्रीमंडल में सम्मिलित होने का नेहरु की का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया | वे विनोभा भावे के भूदान आन्दोलन में भाग लेने लगे और 1954 में उन्होंने इसके लिए अपने “जीवन दान” की घोषणा कर दी | 1974 में जयप्रकाश पुन: राजनितिक क्षेत्र में सक्रिय हुए | उन्होंने बिहार और गुजरात के आन्दोलन का जो बाद में हिंसक हो चला ,नेतृत्व किया और सम्पूर्ण क्रान्ति का नारा दिया |
इसके साथ ही देश में आपातकाल की घोषणा हुयी और अन्य नेताओं के साथ जयप्रकाश भी जेल में डाल दिए गये लेकिन गुर्दे की बीमारी के कारण उन्हें जल्दी रिहा कर दिया गया | उन्ही की प्रेरणा से इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को हराकर , केंद्र की जनता पार्टी की सरकार 1977 में बनी लेकिन जयप्रकाश (Jayaprakash Narayan) पद लिप्सा से अंत तक दूर रहे | लम्बी बीमारी के बाद 8 अक्टूबर 1979 को उनका देहांत हो गया |