महात्मा गांधी की जीवनी - Mahatma Gandhi Biography in Hindi
महात्मा गांधी की जीवनी - Mahatma Gandhi Biography in Hindi
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के मुख्य नेता थे और अहिंसा आन्दोलन से पुरे विश्व को प्रेरित करने वाले महान नायक थे | 2 अक्टूबर 1869 में जन्मे महात्मा गांधी ने कानून की पढाई की और भारत व साउथ अफ्रीका के मानवाधिकारो की लड़ाई लड़ी | भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में अहिंसक तरीके से उन्होंने अंग्रेजो का बहिष्कार किया | 1948 में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की विभाजन के बाद हत्या हो गयी | आइये अब बापू की जीवनी के बारे में विस्तार से बताते है |
Early life of Mahatma Gandhi in Hindi | महात्मा गांधी का प्रारम्भिक जीवन
Mahatma Gandhi मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिले में एक बनिया परिवार में हुआ | Mahatma Gandhi के पिता करमचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे | उनकी माता पुतली बाई एक धार्मिक महिला थी जो लगातार उपवास किया करती थी | गांधी परिवार का उद्गम जूनागढ़ के एक गाँव से हुआ जहा 18 वी सदी में लालजी पोरबंदर आये और यहा के राणा के लिए काम किया | 19वी सदी में महात्मा गांधी के दादाजी , उत्तमचंद गांधी पोरबंदर के राणा के अधीन दीवान बने | गांधीजी के पिताजी करमचंद ने चार शादिया की | उनकी दो पत्निया जवानी में ही मर गयी और उनकी तीसरी पत्नी के कोई संतान नही थी |
करमचन्द गांधी ने अपनी तीसरी पत्नी की अनुमति से पुतलीबाई से विवाह किया | एक दशक के भीतर उनके तीन सन्तान , पुत्र लक्ष्मीदास पुत्री रालियताबेन और दूसरा पुत्र करसनदास था| सबसे अंत में मोहनदास का जन्म हुआ |Mahatma Gandhi का बचपन भगवान विष्णु की पूजा और जैन धर्म का अनुसरण करते हुआ | जैन धर्म के अनुसरण के कारण उन्होंने बचपन से ही अहिंसा , उपवास , ध्यान और शाकाहार सिख लिया था |
Mahatma Gandhi Marriage and Children महात्मा गांधी की शादी और संताने
गांधीजी (Mahatma Gandhi) बचपन से ही बहुत शर्मीले स्वभाव और डरपोक किस्म के थे जो हमेशा लाइट चलाकर सोते थे | 13 वर्ष की उम्र में उनका विवाह व्यापारी की पुत्री 14 वर्ष की कस्तूरबाई माखनजी कपाडिया “कस्तूरबा” से हो गया | बाद के वर्षो में Mahatma Gandhi किशोर गांधी ने उसके नौकरों को धुम्रपान करने , मांस खाने और चोरी करने का विरोध किया | 1885 में Mahatma Gandhi गांधी के पिता की मौत हो गयी | इसके कुछ दिनों बाद ही गांधीजी की पहली सन्तान हुयी लेकिन कुछ दिनों तक ही जीवित रही |इसके बाद मोहनदास करमचन्द गांधी के चार संतान 1888 में हरीलाल, 1892 में मणिलाल, 1897 में रामदास ,1900 में देवदास चारो पुत्र हुए |
गांधीजी बचपन से ही डॉक्टर बनना चाहते थे लेकिन उनके पिता उन्हें सरकारी पद पर देखना चाहते थे | उनका परिवार उनको कानूनी पेशे में लाना चाहते थे | Mahatma Gandhi के चार बच्चो में से पहले बच्चे के जन्म के बाद 18 वर्ष की उम्र में गांधी कानून की पढाई करने के लिए लन्दन रवाना हो गये |Mahatma Gandhi गांधीजी ने पाश्चात्य संस्कृति अपनाने में बहुत संघर्ष किया | तीन वर्ष लन्दन में रहते हुए London Vegetarian Society में सम्मिलित होकर मांसरहित भोजन खाया और विश्व धर्मो के पवित्र ग्रथो को पढना शुरू किया |1891 में भारत लौटने पर पता चला कि उनकी माँ कुछ सप्ताह पहले ही मर गयी थी | अब Mahatma Gandhi ने वकालत में अपने कदम जमाना शुरू कर दिया |
Mahatma Gandhi के पहले अदालती मामले में बैचैन गांधी अपने गवाह के बचाव में कुछ नही बोल सके | इसके बाद अपने मुवक्किल को पैसे लौटाने के बाद तुरंत अदालत से भाग गये | एक वर्ष तक काम की तलाश में भटकने के बाद उन्हें साउथ अफ्रीका में एक वर्ष तक कानूनी सेवा देने का प्रस्ताव आया | Mahatma Gandhi के दुसरे पुत्र के जन्म के तुरंत बाद वो अप्रैल 1893 में अफ्रीका के लिए रवाना हो गये |
Gandhi and the Africans गांधीजी और अफ्रीकन
जब Mahatma Gandhi गांधी साउथ अफ्रीका पहुचे तो वहा पर अंग्रेजो द्वारा प्रवासी भारतीयों पर रंग भेदभाव और नस्लीय अलगाव को देखकर चकित रह गये | Durban अदालत में जब Mahatma Gandhi पहली बार गये तब उनको अपनी पगड़ी उतारने को कहा | उन्होंने पगड़ी उतारने से मना करके अदालत से निकल गये | स्थानीय विज्ञापक ने अखबारों में “An Unwelcome Visitor ” कहकर मजाक उड़ाया |1893 में Pretoria में रेल यात्रा के दौरान Mahatma Gandhi के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया जब एक श्वेत आदमी ने उनके रेल के प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठने का विरोध किया जबकि उनके पास उसका टिकिट था | रेल के उस डिब्बे से जाने के लिए गांधीजी ने मना कर दिया लेकिन Mahatma Gandhi को बलपूर्वक स्टेशन पर उतार दिया |
सविनय अवज्ञा के इस कृत्य को देखकर उनकी नींद खुल गयी और Mahatma Gandhi ने रंगभेद के खिलाफ आवाज उठाने का प्रण लिया | उस रात के बाद एक छोटे शर्मीले आदमी ने जनता के अधिकारों के खिलाफ विशाल बल लगाना शुरू कर दिया | गांधी ने 1894 में रंगभेद के खिलाफ लड़ने के लिए South Africa ने प्रवासी भारतीय Indian Congress की स्थपाना की | Mahatma Gandhi ने अपना एक साल का अनुबंध तोडकर भारत लौटने का फैसला किया | अप्रवासी भारतीयो ने गांधी को वही रुककर कानून के खिलाफ लड़ने को कहा | हालाँकि Mahatma Gandhi गांधी कानून नही तोड़ सकते थे इसलिए उन्होंने इस अन्याय का ध्यान अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ओर किया |
1896 के अंत और 1897 के प्रारम्भ में भारत में छोटी छोटी यात्राये करने के बाद Mahatma Gandhi गांधी अपनी पत्नी और दो बच्चो के साथ साउथ अफ्रीका से वापस लौट आये | साउथ अफ्रीका में रहते हुए कस्तूरबा गांधी ने दो ओर बच्चो को जन्म दिया |Mahatma Gandhi गांधी ने अपने कानूनी तैयारी जारी रखी और Mahatma Gandhi ने दक्षिणी अफ्रीका के किसानो की लड़ाई प्रारम्भ की | उन्होंने 1100 स्वयंसेवकों को इक्कठा कर अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाई | Mahatma Gandhi ने कहा कि “अगर भारतीयों को ब्रिटिश राज में नागरिकता का अधिकार की अपेक्षा रखते है तो अंग्रेजो को भी उनका दायित्व समझना चाहिए” |
Satyagraha Movement in South Africa साउथ अफ्रीका सत्याग्रह आन्दोलन
Mahatma Gandhi गांधी ने साउथ अफ्रीका में रहते हुए विश्व धर्मो का अध्ययन किया |Mahatma Gandhi ने यहा रहते हुए लिखा कि “धार्मिक भावना मुझे जीने का साहस देती है “| Mahatma Gandhi हिन्दू धर्मिक ग्रंथो में तल्लीन हो गयी और साधारण जीवन जीने का फैसला किया | 1906 में गांधी ने साउथ अफ्रीका में अपना पहला नागरिक अवज्ञा अभियान चलाया जिसे सत्याग्रह कहते है | इसके जवाब में सरकार ने भारतीयों के अधिकारों में नई बंधिशे लगा दी जिसमे हिन्दू विवाह को मान्यता नही दी जाती थी | कई वर्षो तक विद्रोह करने के बाद सरकार ने 1913 में गांधीजी Mahatma Gandhi सहित कई भारतीयों को जेल में डाल दिया |
साउथ अफ्रीकन सरकार ने दबाव में आकर Mahatma Gandhi गांधीजी और General Jan Christian Smuts के बीच बातचीत में एक समझौता स्वीकार किया गया जिसमे हिंदू विवाह को मान्यता और भारतीयों के लिए सर्वेक्षण कर उन्मूलन की बात हुयी | Mahatma Gandhi गांधीजी 1914 में साउथ अफ्रीका से भारत के लिए रवाना हो गये | इसके बाद कई महीनों तक प्रथम विश्व युद्ध के दौरान लंदन में रहे और 1915 में गांधीजी भारत लौट आये | उस समय भारत अंग्रेजो की गुलामी में था और उन्होंने सभी जातियों के लिए अहमदाबाद में एक आश्रम खोला | साधारण लंगोटी और शाल ओढकर Mahatma Gandhi गांधीजी ने ईश्वर की आराधना , व्रत उपवास और योग करते हुए सादा जीवन बिताना शुरू कर दिया | अपने इसी साधारण आचार विचार के कारण उनको “महात्मा ” कहा जाने लगा जिसका अर्थ महान आत्मा होता है |
Non-cooperation Movement असहयोग आन्दोलन
1919 में Mahatma Gandhi गांधीजी को फिर से राजनितिक जागरूकता आयी जब ब्रिटिश सरकार ने रोलेट एक्ट अधिनियम जारी किया जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को शक के आधार पर बिना जांच के जेल भेजा जा सकता था | इसके विरोध में Mahatma Gandhi गांधीजी ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन और हड़ताले कर सत्याग्रह आन्दोलन चलाया |
उनके इस सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान हिंसा भडक उठी जब 13 अप्रैल 1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में आम सभा हो रही थी और अंग्रेज ब्रिगेडियर जनरल डायर ने बिना किसी सुचना के जमा हुयी भीड़ पर अंधाधुंध गोलिया चलाना शुरू कर दिया जिसमे लगभग 400 लोग मारे गये |ब्रिटिश सरकार की अवमानना करते हुए Mahatma Gandhi गांधीजी ने साउथ अफ्रीका में मिले सारे सैन्य सेवाओ में मिले मैडलो को लौटा दिया और भारतीयों के प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेज सेना की तरफ से लड़ने का विद्रोह किया |
स्वराज आन्दोलन में Mahatma Gandhi गांधीजी एक मुख्य चेहरा बन गये | बड़े पैमाने पर बहिष्कार का आह्वान करने पर उन्होंने राजकीय अधिकारियो को नौकरी छोड़ने , छात्रों को राजकीय पाठशालाओ में जाने से मना करने , सैनिको को अपना पद छोड़ने से रोकने , नागरिको को कर देने से मना करने और अंग्रेज वस्तुओं को खरीदने से मना करने का आह्वान किया | ब्रिटिश निर्मित कपड़ो खरीदने के बजाय उन्होंने चरखे से खादी के कपड़े बनाना शुरू कर दिया और जल्द जी चरखा भारतीय स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरताका प्रतीक बन गया |
Mahatma Gandhi गांधीजी ने Indian National Congress का नेतृत्व किया और स्वराज पाने के लिए अहिंसा और असहयोग के सिद्धांत को अपनाने की वकालत की |1922 में Mahatma Gandhi गांधीजी को अंग्रेजो ने राजद्रोह के तीन मामलों में दोषी पाए जाने पर गिरफ्तार कर लिया | छ: साल की सजा सुनाने के बाद फरवरी 1924 को सर्जरी के बाद रिहा कर दिया | रिहा होने पर Mahatma Gandhi ने महसूस किया कि जेल में रहते हुए भारत के हिन्दू और मुस्लिम एकता कम हो रही है और जब इन दो समुदायों के बीच हिंसा बढ़ गयी तो उन्होंने एकता का आग्रह करने के लिए 1924 में तीन सप्ताह का उपवास शुरू कर दिया
Salt Satyagraha नमक सत्याग्रह
1920 के अंत में राजनीति में दूर रहने के बाद 1930 में Mahatma Gandhi गांधी ने फिर अंग्रेजो के नमक अधिनियमों के खिलाफ विद्रोह किया जिसमे भारतीयो को नमक इकट्टा करने और बेचने की मनाही थी लेकिन नमक पर लगे करो से भारत की गरीब जनता बहुत प्रभावित हुयी | Mahatma Gandhi गांधी ने एक नया सत्याग्रह आन्दोलन की योजना बनायी जिसमे अरब सागर तक 390 किमी की यात्रा कर अंग्रेज सरकार की मनमानी विरोध में नमक बनाने का फैसला किया जो भारत के इतिहास में “दांडी यात्रा ” के नाम से प्रसिद्ध हो गया |
दांडी यात्रा से एक दिन पहले Mahatma Gandhi ने ब्रिटिश वायसराय लार्ड इरविन को पत्र लिखा जिसमे उन्होंने लिखा “मेरा उद्देश्य अहिंसा से ना केवल अंग्रेजो को बदलने बल्कि उनको ये बताना है कि उन्होंने भारत के साथ गलत किया है ” | हाथ से बुनी हुयी शाल ओढ़े और हाथ में लकड़ी लेकर 12 मार्च 1930 को गांधीजी कुछ दर्जन भर अनुयायियों के साथ अपने धार्मिक स्थान साबरमती से रवाना हो गये | समय के साथ इस रास्ते में यात्रा के दौरान कई प्रदर्शनकारी जुड़ते गये और 24 दिन के बाद दांडी के तट पर पहुचे जहा Mahatma Gandhi ने नमक कानून को तोड़ते हुए समुद्र के पानी से नमक बनाया |
दांडी यात्रा से इसी तरह के विरोध प्रदर्शनों का उदय हुआ और पुरे देश में बड़े पैमाने पर सविनय अवज्ञा आंन्दोलन शुरू हो गया | नमक कानून तोड़ने के लिए मई 1930 में गांधीजी सहित लगभग 60000 भारतीयो को जेल में डाल दिया | नमक कानून के विरोध में चल रहे विद्रोहों ने गांधीजी को पुरे विश्व में एक उत्कृष्ट चेहरा बना दिया और 1930 में Mahatma Gandhi को Time magazine में “Man of the Year” का ख़िताब दिया गया |
Untouchables and Round Table Confrence गोल मेज सम्मेलन
जनवरी 1931 को Mahatma Gandhi गांधीजी को जेल से रिहा कर दिया गया और उसके दो महीने बाद उन्होंने लार्ड इरविन के साथ समझौता किया जिसमे उन्होंने नमक सत्याग्रह खत्म करने के बदले हजारो राजनितिक कैदियों को छोड़ने की शर्त रखी | इस समझौते का नमक अधिनियम पर बहुत बड़ा प्रभाव हुआ और समुद्र तट पर रहने वालो को नमक बनाने का अधिकार मिल गया | इस समझौते को स्वराज का मील का पत्थर मानते हुए Indian National Congress का एकमात्र प्रतिनिधि बनकर Mahatma Gandhi गांधीजी ने अगस्त 1931 में भारतीय संवैधानिक सुधार के लिए गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया | हालंकि ये सम्मेलन निरर्थक निकला |
Mahatma Gandhi गांधीजी ने भारत लौटकर नये वायसराय Lord Willingdon कारवाई की मांग पुरी ना करने के विरोध में जनवरी 1932 खुद को एक बार फिर खुद को जेल में बंद होने का फैसला लिया |उसी साल उन्होंने जाति प्रथा में अछूतों को अलग निर्वाचन क्षेत्र आवंटित करने अंग्रेजो के खिलाफ छ: दिन का उपवास किया | जनता की हाहाकार ने अंग्रेजो को प्रस्ताव मानने पर दबाव डाला | अंत में उनके जेल से रिहाइ के बाद Mahatma Gandhi गांधीजी ने 1934 में Indian National Congress छोड़ दी और नेतृत्व जवाहरलाल नेहरु को सौप दिया | एक बार फिर उन्होंने राजनीति से दूर रहकर शिक्षा , गरीबी और ग्रामीण क्षेत्रो की समस्याओ में अपना ध्यान लगाना शुरू कर दिया |
Quit India Movement भारत छोड़ो आन्दोलन
1942 में जब ग्रेट ब्रिटेन द्वितीय विश्व युद्ध से घिरा हुआ था और इधर Mahatma Gandhi गांधीजी ने “भारत छोड़ो आन्दोलन” शुरू कर दिया जिसमे उन्होंने अंग्रेजो को देश से चले जाने को कहा | अगस्त 1942 में अंग्रेजो ने गांधीजी , उनकी पत्नी और Indian National Congress के नेताओ को गिरफ्तार कर वर्तमान पुणे में स्तिथ आगा खान जेल में डाल दिया | लेकिन Mahatma Gandhi के गिरते स्वास्थ्य को देखकर 19 महीनो के बाद उनकी सजा रोकते हुए उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया लेकिन उससे पहले फरवरी 1944 उनके 74 वर्षीय पत्नी की मौत हो गयी थी |
Partition and independence, 1947 भारत का विभाजन और स्वतंत्रता
1945 में Labour Party ने ब्रिटिश आम चुनावो में चर्चिल के रुढ़िवादी नेताओ को हरा दिया | अब Indian National Congress और मुस्लिम लीग के मुहम्मद अली जिन्ना ने भारत की स्वंतंत्रता के लिए वार्ता शुरू कर दी | इस वार्ता में Mahatma Gandhi गांधीजी ने अहम किरदार अदा किया लेकिन वो एकीकृत भारत के स्वप्न को पूरा नही कर पाए | अंतिम योजना के अनुसार धार्मिक रेखाओ से भारत दो देशो में विभाजित हो गया जिसमे हिन्दू भारत में और मुस्लिम पाकिस्तान में चले गये |
15 अगस्त 1947 से पहले ही भारत में हिन्दू मुस्लिम दंगे भडक गये थे | इसके बाद हत्याओ को बढता देखकर Mahatma Gandhi गांधीजी ने दंगा-ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया और लोगो को शान्ति और अमन से रहने की अपील की | रक्तपात को रोकने के लिए उन्होंने कई बार उपवास भी किया | कुछ हिन्दुओ ने मुस्लिमो के प्रति सहानुभूति को देखते हुए उन्हें देशद्रोही ठहराने की कोशिश की |
Assassination of Mahatma Gandhi महात्मा गांधी की हत्या
30 जनवरी 1948 की दोपहर को लगातार भूख हड़तालो से थके 78 वर्षीय गांधीजी Mahatma Gandhi , अपनी दो पड़भतीजियो के साथ नई दिल्ली के बिरला हाउस से प्रार्थना सभा के लिए रवाना हुए | हिन्दू उग्रवादी नाथूराम गोडसे ने , मुस्लिमो के प्रति सहिष्णुता पर नाराज होकर , घुटनों के बल बैठकर एक पिस्तौल निकाली और बिलकुल करीब से तीन बार गोलिया चलायी | इस उग्रवादी घटना ने एक शांतिवादी इन्सान की जान ले ली जिसने जीवनपर्यन्त अहिंसा का पाठ पढाया था | गोडसे और उसके सहयोगियो को नवम्बर 1949 को फांसी पर लटका दिया और अतिरिक्त साजिशकर्ताओं को उम्रकैद की सजा दी गयी |
Mahatma Gandhi की मौत के बाद भी पुरे विश्व में उनके अहिंसा के मार्ग का कई लोगो ने अनुसरण किया | पुरे विश्व में सत्याग्रह अब तक का सबसे शक्तिशाली प्रदर्शन रहा और गांधीजी के मानवाधिकार के सिधांतो को पुरे संसार ने लागू किया जिसमे अमेरिका के मार्टिन लूथर के नागरिक अधिकार और साउथ अफ्रीका में नेल्सन मंडेला का नाम आता है |
Mahatma Gandhi Funeral and Ashes बापू की अंतिम यात्रा और अस्थियाँ
गांधीजी की मौत पर पुरे देश ने शोक व्यक्त किया | Mahatma Gandhi की शवयात्रा में बीस लाख लोग पांच मील तक चलते रहे और राजघाट तक पहुचने में पाच घंटे लगे जहा पर उनकी हत्या हुयी थी | गांधीजी के शरीर को एक हथियार वाहन पर लाया गया जिसके ढांचे को रातो रात बदला गया जिसमे एकउची मंजिल बनाई जिससे लोग उनके अंतिम दर्शन कर सके | इसको चलाने के लिए इंजन का इस्तेमाल नही किया गया इसके बजाय 50 लोग रस्सी से इस वाहन को खीच रहे थे | उस दिन उनके शोक में सारे राजकीय प्रतिष्टान बंद रहे |
सरकार ने विश्वास दिलाया कि दोषी दल मुस्लिम नही था | कांग्रेस ने दाह संस्कार के दो सप्ताह तक स्थिथि को संभाले रखा ताकि कोई दंगा ना भडके | सरकार के इस फैसले से हिन्दुओं के दिल से शोक का बोझ उठ गया और कांग्रेस पार्टी की अहमियत बढ़ गयी | सरकार ने इसके बाद RSS और मुस्लिम नेशनल गार्ड के 2 लाखो की गिरफ्तारी की |हिन्दू प्रथा के अनुसार उनकी अस्थिय नदी में बहा दी गयी |उनकी अस्थियो को कलश में डालकर देशभर की अलग अलग स्मारकों में भेजी गयी | सबसे ज्यादा अलाहाबाद संगम में प्रवाहित की गयी |उनकी कुछ अस्थिय नील नदी और यूगांडा में बहाई गयी |