अभय एक सीधा-साधा लड़का था। ग्रेजुएशन की पढाई करने के लिए अब उसे अपना गाँव छोड़कर शहर में दाखिला लेना था। किसान पिता ने एक-एक पैसा जोड़कर अभय के लिए शहर में सारी व्यवस्था कर दी और ये सोचकर एक स्मार्ट फोन भी दिला दिया कि ऑनलाइन पढाई करने में इसका उपयोग होगा।
स्वभाव से अंतर्मुखी अभय को अब अपने सपनों को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत करनी थी। अपने संकोची स्वभाव के कारण वह शहर के बच्चों के साथ उतना घुल-मिल नहीं पाया और दोस्त बनाने के लिए उसने सोशल मीडिया का सहारा लिया। ऐसे ही फेसबुक पर उसी शहर के मयंक नाम के एक लड़के से उसकी दोस्ती हो गई। मयंक का प्रोफाइल अभय को बहुत पसंद आया था। दोनों के बीच मैसेजेस का आदान-प्रदान होना शुरू हो गया।
पढाई के लिए लिए गए फोन का प्रयोग अब दोस्ती और मनोरंजक वीडियोस देखने में होने लगा। यहाँ तक की क्लास करते हुए भी अभय का ध्यान मोबाइल स्क्रीन पर ही लगा रहता।
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मयंक और अभय की दोस्ती भी गहरी होती गयी, यहाँ तक कि मयंक कई बार उसका फ़ोन भी रिचार्ज करा देता।
देखते-देखते उनकी फ्रेंडशिप को दो-तीन महीने बीत गए, पर अभी भी उनकी एक बार भी मुलाक़ात नहीं हुई थी।
फिर एक दिन मयंक ने अभय को एक जगह बुलाने के लिए कॉल की, ” यार एक बहुत अच्छी opportunity है, तू सुबह दस बजे Whatsapp किये पते पर आ जा, अब पढाई के साथ -साथ तू हर महीने 5000 रु भी कमा सकता है, और इसी बहाने हम दोनों पहली बार face to face मिल भी लेंगे.”
अभय की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था, दोस्त से मिलने की ख़ुशी और पैसा कमाने का अवसर मिलने की बात से वो फूला नहीं समा रहा था। अगले दिन वह सुबह जल्दी उठा और तैयार होकर मयंक के दिए पते की ओर बढ़ गया। वो जगह शहर से कुछ दूर थी, इसलिए अभय उधर जा रही एक बस पर सवार हो गया। एक घंटे के सफ़र के बाद आखिरकार वो पूछते-पाछते दिए हुए पते पर पहुंचा।
अभी वह दरवाजा खटखटाता की इससे पहले एक कार उसके पास आकर रुकी। उसमे से पैंताली-पचास साल का एक अधेड़ व्यक्ति बाहर निकला और बोला, “सुनो बेटा क्या तुम्हारा नाम अभय है?
“जी अंकल”, अभय बोला।
“मुझे मयंक ने भेजा है, दरअसल, अचानक मीटिंग का स्थान बदल गया है, आओ कार में बैठो मैं तुम्हे सही जगह ले चलता हूँ।”, व्यक्ति बोला।
अभय फौरन कार में बैठ गया और वे आगे बढ़ गए।
व्यक्ति ने अभय की केयर करते हुए उसे पीने के लिए फ्रूटी दी!
फ्रूटी पीने के करीब तीन घंटे बाद जब अभय की आँखें खुलीं तो उसने खुद को एक पार्क में लेटा हुआ पाया, उसे पेट के एक तरफ काफी दर्द महसूस हो रहा था, मोबाइल और पैसे भी गायब थे।
कुछ देर तक तो उसे समझ ही नहीं आया कि वो आखिर कार से यहाँ कैसे पहुँच गया। फिर उसने शर्ट उठा कर दर्द वाली जगह देखी तो वहां एक चीरा लगा हुआ था.
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अभय का दिल तेजी से धड़कने लगा। वह समझ चुका था कि उसके साथ कुछ बहुत गलत हो चुका है।
वह फ़ौरन भाग कर डॉक्टर के पास गया।
पर डॉक्टर ने जो बात उसे बताई, उसे सुनकर उसके पैरों तले जमीन ही खिसक गई। उसके शरीर से एक किडनी गायब थी। अब उसकी “काटो तो खून नहीं” वाली हालत हो गई।
सोचने लगा, “क्या सपने लेकर गांव से शहर आया था। अब अपने पिताजी को क्या जवाब देगा।”
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वह भागा-भागा पुलिस के थाने पहुंचा। वहां जाकर तो उसके सामने डिजिटल दुनिया की सारी सच्चाई सामने आ गई। यह जो फेसबुक पर मयंक का प्रोफाइल था वह कोई युवा नहीं बल्कि वही अधेड़ व्यक्ति था जिसने उसे कार में बैठाया था।
वह आकर्षक अकाउंट बनाकर अभय जैसे लोगों को, जो सफलता शॉर्टकट में चाहते थे और ऐसे छलावे पे विश्वाश करते थे, फांसता था। फिर धीरे-धीरे पर्सनल लाइफ में घुसकर उन्हें नौकरी का झांसा देकर बुलाता। उसके बाद शरीर के अंगों की चोरी करता था। ऐसे कितने सारे cases उसके नाम थे।
सोशल मीडिया पर सोशल ना होकर अगर अभय वास्तविक दुनिया में social होता तो शायद ऐसी नौबत ही नहीं आती। स्क्रीन के पीछे का सच अब आईने की तरह साफ हो चुका था। इतनी बड़ी ठोकर लगने के बाद अब उसने मोबाइल स्क्रीन पर अपना समय ग्नावाना बंद कर दिया। वास्तविक और आभासी दुनिया के बीच का फर्क अब उसकी समझ में आ चुका था ,पर बहुत कुछ खोने के बाद।