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Mere Vichar

मेरे विचार , Mere Vichar , My Thoughts

*सत्य तर्क नहीं करता और झूठ तर्क के बिना टिकता कहाँ है ?
* जब-जब इंसान अहंकार के वशीभूत होकर अपने स्वार्थ मे
अंधा होता है तब-तब इंसानियत, रिश्ते -नाते सब समाप्त हो जाते हैं।
SAलेकिन इन सबमे ज़ो पीछे छूटा प्रेम और भाईचारा।ठ
*अफसोस कि मै उस समय का साक्षी हूँ जिसमें लोग झूठी शान दिखाने मे अधिक विश्वास रखते हैं।
*मैं उस समय का भी साक्षी हूँ जिसमें ल़ोग रिश्तों से अधिक पैसे को महत्व देते हैं।
*मैं उस समय का साक्षी हूँ जिसमें लोग पथप्रदर्शक के सम्मुख ही पथ विघ्नकर्ता बनते हैं।
*मेरे दौर के लोग लालची ,आरामदेह , सच्चाई से भागने वाले थे।
*किसी के व्यक्तित्व के प्रति कोई धारणा बनाने से पहले एक बार उससे मिल जरूर लेना।
*खुश रहना है तो अपनी जिंदगी जियो ,दूसरों को देखोगे तो दुख ही मिलेगा।
*भिन्न-भिन्न लोगों से मिलने वाले व भिन्न-भिन्न स्थानों का भ्रमण करने वाले लोगों के पास बिना बुलाये भी जाना चाहिए।
*योग्यता अपनी जगह है और भक्ति अपनी जगह ,
कभी -कभी भक्ति योग्यता पर भारी पड जाती है।
*मेरे समय के लोगों मे तार्किकता एवं बुद्दिमता का अभाव है।
*धन ही आपकी योग्यता का पैमाना बन गया है।
*जो मुझे जानते हैं,मुझसे व्यवहार करते हैं, वही मुझे समझते हैं।
* मुझे समझने के लिए मुझसे व्यवहार करना आवश्यक है।
*जब विद्ववता पर धन को महत्व मिलना शुरू हो जाये तो समझ लेना अब उस राष्ट्र का पतन नजदीक हैं।
*आत्म विश्लेषण करना सीखो , दूसरों की कमी निकालना स्वयं छूट जायेगी।
*आजकल ल़ोग आपको समझते कम और देखते ज्यादा हैं।
*लोग कीचड़ उसी पर उछालते हैं जो बेदाग होता है , पहले से दागदार पर कीचड़ का कोई प्रभाव नहीं होता।
*भारत बहुसंस्कृतियों एवं बहुधर्मों को समान रूप से मानने वाला दुनिया का एकमात्र देश है। देश मे अशांति का यह भी एक कारण है।
*जब -जब आप ज्यादा आत्मीयतापूर्ण व्यवहार करते हैं तब-तब लोग आपको मूर्ख समझते हैं।
*जब आपका वक्त साथ नही होता है तो सही करते-करते भी गलत हो जाता है।
*इस चकाचौंध भरी दुनिया मे सादगी की कोई कीमत नहीं होती।
*मै तो यूं ही चलता हूँ जिंदगी के हिसाब से लोग कुछ और समझ लेते हैं अपने हिसाब से।
*यह दुनिया एक मुसाफिरखाना है तभी तो ल़ोगों का मतलब से आना-जाना है।
*मेरी किस्मत मे वो नहीं था जिसका मै तलबगार था।
*जब वक्त महरबान होगा तब वो भी आयेगा नजदीक मेरे जो नफरत मे मेरा नाम भी नहीं लिया करते था।
*चाटूकारिता अयोग्यता का पर्दा भी है।
*मूर्ख और विद्वान कभी एकसाथ नहीं रह सकते।
*वक्त सबसे बडा शिक्षक है।
*जिस वक्त का इंतजार करोगे तो फिर वह वक्त कभी नहीं आयेगा।
*अयोग्य लोग झूठ और काल्पनिक रिश्तों का सहारा ढूंढते हैं।
*आभाषी दुनिया से बहार निकलकर बात करोगे तो कुछ बात होगी।
* मेरा कर्म ही मेरा भाग्य है।
*स्वाभिमानी लोगों की जिंदगी थोडा कठिन होती है।
*स्वाभिमान रहित मनुष्य का जीवन गुलाम के समान है।
*मृत्यु से डरकर स्वाभिमान से समझौता न करो।
*सुख त्याग कर धन संग्रह न करो ।
*आज ही का दिन सर्वश्रेष्ठ दिन है।
*जब संसार से जाओ तो अपने कर्म छोड जाना।
*इस दुनिया मे सब स्थायी है, सिवाय आपके।
*आपका शरीर एक किरायदार है जब मालिक का आदेश होगा तो मकान खाली करना ही होगा।
*संसार मे आना और फिर जाना यह आवागमन हमारा आक्समिक नहीं है।
*जीवन ऐसा हो कि जिंदगी महसूस करें सभी,
और मौत भी ऐसी हो कि हर कोई रोये।
*मत कर शिकायत किसी से ,आप
जो भी हो अपने कर्मों का फल है।
*जब आप गलत का विरोध करते हैं तो आप अकेले नहीं होते एक अदृश्य शक्ति आपके साथ होती है।
*इंसान यदि घर, परिवार और स्वयं का भी मोह त्याग दे तो बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।
*वैचारिक शून्यता भी एक विचार है।
*ज्ञान उनको दो जो आपके ज्ञान का सम्मान करे।
   मूर्खों को ज्ञान देना अर्थात शत्रुता लेना ।
*अहंकार सर्वप्रथम अहंकारी मनुष्य की बुद्धि को नष्ट करता है तत्पश्चात उस मनुष्य को ।
(मेरे विचार , Mere Vichar , My Thoughts)
*झूठ, छल-कपट , दिखावा आपको क्षणिक आंनद व सम्मान दे सकता है, जीवन भर खुश रहना है तो सच्चे व ईमानदार बनो ।

*मेहनत इतनी करो कि उदाहरण बन सको।

*परिश्रम से मिली सफलता के बाद भी यदि आपके हाथ खाली हैं तो या तो किसी ने विश्वासघात किया है या फिर आपको व्यसनों ने घेर लिया है।

*बुद्धिहीन मनुष्य के लिए परिश्रम के बिना और योग्यता से अधिक पद एवं सम्मान विनाशकारी होता है।

*ज्यादा अच्छे बनने की जरूरत नहीं है ...कुछ के बुरे बनकर उनके दिमाग पर राज करते रहो

*जब आप आगे बढते हैं तो ऐसे लोग जो आप जैसा बनना चाहते हैं वो ईर्ष्या करने लगते हैं , ईर्ष्या धीरे-धीरे वैमनस्य मे बदल जाती है ।

*हौसला बना रहे तो मुश्किल आसान होती है,हौसला टूटे तो जिंदगी  बेहाल होती है।

*क्या तेरा क्या मेरा यहाँ , ना कुछ तेरा ना कुछ मेरा यहाँ , सोच ले जब तक अंधेरा है यहाँ, उजियारे के साथ सुबह सवेरा है , फिर ना कुछ तेरा ना कुछ मेरा यहाँ।

*हमें उनसे कोई  शिकवा नहीं , जो हमें समझ न सके अभी तक, शिकायत उनसे है जो समझते हैं सब कुछ पर स्वार्थ उन्हें समझने नहीं देता।
(मेरे विचार , Mere Vichar , My Thoughts)
*अंधेरा भी छटेगा फिर से सुबह होगा,गिद्धों की बस्ती मे भी सूयोर्दय होगा।

*अत्याचार किसने न सहा , विपत्ति किस पर नही आई ,सामना मुसीबत का डटकर जिसनें किया , जीत उसी के हिस्से मे आई।

*जीवन गुजार दिया, घर क़ो बनाने मे,खुद ही बेघर हो गया, घर को बनाने मे ।

*मैने जो किया , वह आप न करना ,हर किसी पर यूं ही ऐतबार न करना।

*यह दुनिया मदद के काबिल नहीं है,यहाँ रोते हुए आते हैं ल़ोग मदद को,वही लेकर मदद रूला जाते हैं ,अंगुली पकडना सीखाते हैं जिसको,वही हाथ काट ले जाते हैं ।

*वक्त परीक्षा लेता है इंसान की,भक्त परीक्षा देता है भगवान को ,मुझे उस वक्त का इंतजार है ,जब भगवान परीक्षा लेगा हर इंसान की।

*जिल्लत और रूसवाई से दौलत बहुत कमाई ,अंतिम समय जब आया दौलत काम न आई।

*जितना भी मिला है वह काफी है ,दौलत कितनी भी कमा लो साथ नहीं जाती है।समझौता उसूलों से करके जिंदगी नहीं जी जाती है,हर रोज मरना मेरी फितरत नहीं, मेरी जिदंगी के लिए एक मौत ही काफी है । 

*हाथ की लकीरों को तकदीर समझ बैठा था,गुनाह किया नहीं फिर भी अपराधी समझ बैठा था ,मुलाकात तो उनसे मेरी बस  यूं ही हुई थी, फिर बातों ही बातों मे तकबीर समझ बैठा था।

*नशा था दौलत का उसे ,जो कमाई थी ईमान बेचकर ।आज वह महफिल मे बेआबरू हुए,आबरू बचा न पाई वह दौलत बे ईमान की ।

*कैसे कह दूं दर्द जमाना देता है ,जिन्हें आप अपना कहते हैं ,दर्द उन्हीं से मिलता है।

*मत रख शौक मशहूर होने का ,है यह खेल बुरा मशहूर होने का ।

*तुझे तेरे मुकद्दर ने नहीं बनाया ,निर्माता तुम स्वयं हो अपने आप के।

*जिन्हें शौक था मशहूर होने का इस जहान मे,वो निर्वस्त्र ही दौड गये भीड के मैदान मे।

*कलयुग मे केवल कर्म करने से काम नही चलेगा कर्म का प्रचार  प्रसार भी करते रहो वरना बाद वाले लोग आपको निकम्मा साबित कर देंगे।
(मेरे विचार , Mere Vichar , My Thoughts)
*एक बार किसी को बिना परिश्रम के खाने की लत लग जाये फिर जीवनपर्यंत नहीं छूटती ।

*मनुष्य अपने भाग्य का स्वयं निर्माता है उसके कर्म ही उसका भाग्य बनाते हैं।

*वक्त से अनजान लोग अकसर गलतफहमियों का शिकार होते हैं,

जिन्हें वह डूबोना चाहते हैं वही तैरकर दरिया पार होते हैं।

*तुम कौन हो ? क्या हो  ? एक बार स्वयं से पूछो

*आपकी ताकत आपके अंदर है , स्वयं को जानो।

*किसी को समझने के लिए केवल एक मुलाकात काफी नहीं....कई बार वर्षों गुजर जाते हैं चेहरा पहचानने मे....

*उनसे कोई शिकायत न करो जो कभी अपने नहीं थे, अपनेपन का ढौंग अपने स्वार्थ के लिए करे ऐसे लोगों से सदैव सावधान रहो और समय रहते उन्हें अकेला छोड दो, इसी मे आपकी भलाई है। ऐसे लोग मित्र के रूप मे शत्रु से भी खतरनाक होते हैं।*

*अन्तर्मन के द्वंद्व का साक्षी बन रहा हूँ, कभी इधर तो कभी उधर का रास्ता चुन रहा हूँ। महफूज रहे जमाने मे हर कोई जिन्हें मैं सुन रहा हूँ, यह महफिल ए शमा नही है, जो रात ढलने पर उजड जायेगी,यह जज्बात हैं किसी मेहनतकश इंसान के जो शायद ही उजड पायें ...*

*जीवन में हर पग एक परीक्षा है फेल हो या पास देनी तो परीक्षा है*

*मुझे दुश्मनों से गिला नहीं ,शिकवा दोस्तों से भी नहीं*

*हार मान लू ऐसी मेरी फितरत नहीं .लडना और लडकर जीतना मेरी आदत है।

*मेरी बैचेनी की कोई दवा न दे पाये..पर वो इतने रहम दिल निकले पूछने घर आये

* मुझे मेरे कर्मों की इतनी सजा देना कि याद आ जाए गुजरे जमाने की..

*जब वक्त मेरा था वो नजर न मिला सके ..थोडा सा वक्त क्या बदला ..उन्होंने कीमत ही कम लगा दी ...

*मुझे शिकवा जमाने से नहीं है.. शिकायत रब से है.. 

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