हमारे पास तो पहले से ही अमृत से भरे कलश थे...!
फिर हम वह अमृत फेंक कर उनमें कीचड़ भरने का काम क्यों कर रहे हैं...?🤔
जरा इन पर विचार करें...👇
० यदि मातृनवमी थी,
तो Mother’s day क्यों लाया गया?
० यदि कौमुदी महोत्सव था,
तो Valentine day क्यों लाया गया?
० यदि गुरुपूर्णिमा थी,
तो Teacher’s day क्यों लाया गया?
० यदि धन्वन्तरि जयन्ती थी,
तो Doctor’s day क्यों लाया गया?
० यदि विश्वकर्मा जयंती थी,
तो Technology day क्यों लाया गया?
० यदि सन्तान सप्तमी थी,
तो Children’s day क्यों लाया गया?
० यदि नवरात्रि और कन्या भोज था,
तो Daughter’s day क्यों लाया गया?
० रक्षाबंधन है तो Sister’s day क्यों ?
० भाईदूज है तो Brother’s day क्यों ?
० आंवला नवमी, तुलसी विवाह मनाने वाले हिंदुओं को Environment day की क्या आवश्यकता ?
० केवल इतना ही नहीं, नारद जयन्ती ब्रह्माण्डीय पत्रकारिता दिवस है...
० पितृपक्ष ७ पीढ़ियों तक के पूर्वजों का पितृपर्व है...
० नवरात्रि को स्त्री के नवरूपों के दिवस के रूप में स्मरण कीजिये...
सनातन पर्वों को गर्व से मनाईये...
पश्चिमी अंधानुकरण मत अपनाइये
ध्यान रखे...
" सूर्य जब भी पश्चिम में गया है तब अस्त ही हुआ है "
अपनी संस्कारी जड़ों की ओर लौटिए। अपने सनातन मूल की ओर लौटिए। व्रत, पर्व, त्यौहारों को मनाइए। अपनी संस्कृति और सभ्यता को जीवंत कीजिये।