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Ashwagandha Ke Fayde

अश्वगंधा के फायदे और उपयोग , Ashwagandha Ke Fayde - Ashwagandha Benefits in Hindi 

यदि आप भारत में रहते हैं तो आपने अश्वगंधा नमक जड़ी बूटी के विषय में अवश्य ही सुना होगा। इस जड़ी बूटी को अनेक प्रकार के रोगों को दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है। आप विश्वास नहीं करेंगे परन्तु आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धति में अश्वगंधा के अनेक फायदों (ashwagandha benefits in hindi) के विषय में विस्तृत रूप से बताया गया है। यह जड़ी बूटी अनेक प्रकार से मानव शरीर को लाभ पहुंचने के लिए जानी जाती है।

अश्वगंधा क्या है –
अश्वगंधा एक जड़ी-बूटी है, जिसका इस्तेमाल प्राचीन काल से किया जाता रहा है। इस जड़ी-बूटी से अश्वगंधा चूर्ण, पाउडर और कैप्सूल बनाया जाता है। अश्वगंधा का वैज्ञानिक नाम विथानिया सोम्निफेरा (Withania somnifera) है। आम बोलचाल में इसे अश्वगंधा के साथ-साथ इंडियन जिनसेंग और इंडियन विंटर चेरी भी कहा जाता है। इसका पौधा 35-75 सेमी लंबा होता है। मुख्य रूप से इसकी खेती भारत के सूखे इलाकों में होती है, जैसे – मध्यप्रदेश, पंजाब, राजस्थान व गुजरात। इसे बहुतायत संख्या में चीन और नेपाल में भी उगाया जाता है। 
चलिए, अब विस्तार से अश्वगंधा के गुण पर एक नजर डाल लेते हैं। इसके बाद अश्वगंधा के फायदे के बारे में बताएंगे।
अश्वगंधा के औषधीय गुण
अश्वगंधा को संपूर्ण शरीर के लिए फायदेमंद माना जाता है। अश्वगंधा के गुण में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटी स्ट्रेस, एंटीबैक्टीरियल एजेंट और इम्यून सिस्टम को बेहतर करना व अच्छी नींद शामिल हैं। इसके सेवन से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली बेहतर हो सकती है।
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (एनसीबीआई) की ओर से प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, अश्वगंधा का उपयोग इम्यूनिटी को बढ़ाने, पुरुषों में यौन व प्रजनन क्षमता को बेहतर करने और तनाव को कम करने के लिए भी किया जा सकता है।
इसके अलावा, अश्वगंधा के औषधीय गुण में एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव भी शामिल है, जो शरीर में फ्री रेडिकल्स को बनने से रोक सकता है। इसके कारण एजिंग व अन्य बीमारियां कम हो सकती हैं। अगले भाग में जानिए अश्वगंधा चूर्ण के फायदे क्या हैं। इसके बाद हम अश्वगंधा का सेवन कैसे करें और अश्वगंधा चूर्ण का उपयोग कैसे करें यह बताएंगे।
अश्वगंधा के फायदे – 
अश्वगंधा के गुण की वजह से इसके फायदे अनेक होते हैं। इसी वजह से हम आगे विस्तार से अश्वगंधा के फायदे बता रहे हैं। बस ध्यान दें कि अश्वगंधा व्यक्ति को स्वस्थ रखने में मदद करता है, लेकिन किसी गंभीर बीमारी होने पर इसपर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। बीमारी से ग्रस्त होने पर चिकित्सकीय परीक्षण और इलाज करवाना जरूरी है। 

आंखों की ज्योति बढ़ाए अश्वगंधा  
2 ग्राम अश्वगंधा, 2 ग्राम आंवला (धात्री फल) और 1 ग्राम मुलेठी को आपस में मिलाकर, पीसकर अश्वगंधा चूर्ण कर लें। एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण को सबह और शाम पानी के साथ सेवन करने से आंखों की रौशनी बढ़ती है। अश्वगंधा के फायदे के कारण आँखों को आराम मिलता है।
गले के रोग (गलगंड) में अश्वगंधा के पत्ते के फायदे 
अश्वगंधा के फायदे के कारण और औषधीय गुणों के वजह से अश्वगंधा गले के रोग में लाभकारी सिद्ध होता है।
अश्वगंधा पाउडर तथा पुराने गुड़ को बराबार मात्रा में मिलाकर 1/2-1 ग्राम की वटी बना लें। इसे सुबह-सुबह बासी जल के साथ सेवन करें। अश्वगंधा के पत्ते का पेस्ट तैयार करें। इसका गण्डमाला पर लेप करें। इससे गलगंड में लाभ होता है।
सफेद बाल की समस्या में अश्वगंधा के फायदे 
2-4 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण का सेवन करें। अश्वगंधा के फायदे के वजह से समय से पहले बालों के सफेद होने की समस्या ठीक होती है।
छाती के दर्द में अश्वगंधा के लाभ 
अश्वगंधा की जड़ का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा का जल के साथ सेवन करें। इससे सीने के दर्द में लाभ होता है।
पेट की बीमारी में अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग ( ज़रूर पढ़ें : ->शिलाजीत के फायदे और उपयोग)
अश्वगंधा चूर्ण के फायदे आप पेट के रोग में भी ले सकते हैं। पेट की बीमारी में आप अश्वगंधा चूर्ण का प्रयोग कर सकते हैं। अश्वगंधा चूर्ण में बराबर मात्रा में बहेड़ा चूर्ण मिला लें। इसे 2-4 ग्राम की मात्रा में गुड़ के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म  होते हैं।  
अश्वगंधा चूर्ण में बराबर भाग में गिलोय का चूर्ण मिला लें। इसे 5-10 ग्राम शहद के साथ नियमित सेवन करें। इससे पेट के कीड़ों का उपचार होता है।  
अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग से कब्ज की समस्या का इलाज 
अश्वगंधा चूर्ण या अश्वगंधा पाउडर की 2 ग्राम मात्रा को गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से कब्ज की परेशानी से छुटकारा मिलता है।
टीबी रोग में अश्वगंधा चूर्ण के उपयोग  (ज़रूर पढ़ें : - > हींग के फायदे और नुकसान) 
अश्वगंधा चूर्ण की 2 ग्राम मात्रा को असगंधा के ही 20 मिलीग्राम काढ़े के साथ सेवन करें। इससे टीबी में लाभ होता है। अश्वगंधा की जड़ से चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की 2 ग्राम लें और इसमें 1 ग्राम बड़ी पीपल का चूर्ण, 5 ग्राम घी और 5 ग्राम शहद मिला लें। इसका सेवन करने से टीबी (क्षय रोग) में लाभ होता है। अश्वगंधा के फायदे टीबी के लिए उपचारस्वरुप
अश्वगंधा के इस्तेमाल से खांसी का इलाज 
असगंधा की 10 ग्राम जड़ों को कूट लें। इसमें 10 ग्राम मिश्री मिलाकर 400 मिलीग्राम पानी में पकाएं। जब इसका आठवां हिस्सा रह जाए तो आंच बंद कर दें। इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से कुकुर खांसी या वात से होने वाले कफ की समस्या में विशेष लाभ होता है।
असगंधा के पत्तों से तैयार 40 मिलीग्राम गाढ़ा काढ़ा लें। इसमें 20 ग्राम बहेड़े का चूर्ण, 10 ग्राम कत्था चूर्ण, 5 ग्राम काली मिर्च तथा ढाई ग्राम सैंधा नमक मिला लें। इसकी 500 मिलीग्राम की गोलियां बना लें। इन गोलियों को चूसने से सब प्रकार की खांसी दूर होती है। टीबी के कारण से होने वाली खांसी में भी यह विशेष लाभदायक है। अश्वगंधा के फायदे खांसी से आराम दिलाने में उपचारस्वरुप काम करता है।
गर्भधारण करने में अश्वगंधा के प्रयोग से लाभ 
  • 20 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को एक लीटर पानी तथा 250 मिलीग्राम गाय के दूध में मिला लें। इसे कम आंच पर पकाएं। जब इसमें केवल दूध बचा रह जाय तब इसमें 6 ग्राम मिश्री और 6 ग्राम गाय का घी मिला लें। इस व्यंजन का मासिक धर्म के शुद्धिस्नान के तीन दिन बाद, तीन दिन तक सेवन करने से यह गर्भधारण में सहायक होता है।
  • अश्वगंधा चूर्ण के फायदे गर्भधारण की समस्या में भी मिलते हैं। अश्वगंधा पाउडर को गाय के घी में मिला लें। मासिक-धर्म स्नान के बाद हर दिन गाय के दूध के साथ या ताजे पानी से 4-6 ग्राम की मात्रा में इसका सेवन लगातार एक माह तक करें। यह गर्भधारण में सहायक होता है।
  • असगंधा और सफेद कटेरी की जड़ लें। इन दोनों के 10-10 मिलीग्राम रस का पहले महीने से पांच महीने तक की गर्भवती स्त्रियों को सेवन करने से अकाल में गर्भपात नहीं होता है।
ल्यूकोरिया के इलाज में अश्वगंधा से फायदा (ज़रूर पढ़ें : - > हल्दी के फायदे और उपयोग)
  • 2-4 ग्राम असगंधा की जड़ के चूर्ण (ashwagandha powder benefits) में मिश्री मिला लें। इसे गाय के दूध के साथ सुबह और शाम सेवन करने से ल्यूकोरिया में लाभ होता है।
  • अश्वगंधा, तिल, उड़द, गुड़ तथा घी को समान मात्रा में लें। इसे लड्डू बनाकर खिलाने से भी ल्यूकोरिया में फायदा होता है।
इंद्रिय दुर्बलता (लिंग की कमजोरी) दूर करता है अश्वगंधा का प्रयोग 
  • असगंधा के चूर्ण को कपड़े से छान कर (कपड़छन चूर्ण) उसमें उतनी ही मात्रा में खांड मिलाकर रख लें। एक चम्मच की मात्रा में लेकर गाय के ताजे दूध के साथ सुबह में भोजन से तीन घंटे पहले सेवन करें।
  • रात के समय अश्वगंधा की जड़े के बारीक चूर्ण को चमेली के तेल में अच्छी तरह से घोंटकर लिंग में लगाने से लिंग की कमजोरी या शिथिलता (ashwagandha ke fayde) दूर होती है।
  • असगंधा, दालचीनी और कूठ को बराबर मात्रा में मिलाकर कूटकर छान लें। इसे गाय के मक्खन में मिलाकर सुबह और शाम शिश्न (लिंग) के आगे का भाग छोड़कर शेष लिंग पर लगाएं। थोड़ी देर बाद लिंग को गुनगुने पानी से धो लें। इससे लिंग की कमजोरी या शिथिलता दूर होती है।
अश्वगंधा का गठिया के इलाज के लिए फायदेमंद 
  • 2 ग्राम अश्वगंधा पाउडर को सुबह और शाम गर्म दूध या पानी या फिर गाय के घी या शक्कर के साथ खाने से गठिया में फायदा (ashwagandha ke fayde) होता है।
  • इससे कमर दर्द और नींद न आने की समसया में भी लाभ होता है।
  • असगंधा के 30 ग्राम ताजा पत्तों को, 250 मिलीग्राम पानी में उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो छानकर पी लें। एक सप्ताह तक पीने से कफ से होने वाले वात तथा गठिया रोग में विशेष लाभ होता है। इसका लेप भी लाभदायक है।
चोट लगने पर करें अश्वगंधा का सेवन 
अश्वगंधा पाउडर में गुड़ या घी मिला लें। इसे दूध के साथ सेवन करने से शस्त्र के चोट से होने वाले दर्द में आराम मिलता है।
अश्वगंधा के प्रयोग से त्वचा रोग का इलाज 
अश्वगंधा के पत्तों का पेस्ट तैयार लें। इसका लेप या पत्तों के काढ़े से धोने से त्वचा में लगने वाले कीड़े ठीक होते है। इससे मधुमेह से होने वाले घाव तथा अन्य प्रकार के घावों का इलाज होता है। यह सूजन को दूर करने में लाभप्रद होता है।
अश्वगंधा की जड़ को पीसकर, गुनगुना करके लेप करने से विसर्प रोग की समस्या में लाभ (ashwagandha ke fayde) होता है।
अश्वगंधा के सेवन से दूर होती है शारीरिक कमजोरी 
  • 2-4 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को एक वर्ष तक बताई गई विधि से सेवन करने से शरीर रोग मुक्त तथा बलवान हो जाता है।
  • 10-10 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण, तिल व घी लें। इसमें तीन ग्राम शहर मिलाकर जाड़े के दिनों में रोजाना 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से शरीर मजबूत बनता है।
  • 6 ग्राम असगंधा चूर्ण में उतने ही भाग मिश्री और शहद मिला लें। इसमें 10 ग्राम गाय का घी मिलाएं। इस मिश्रण को 2-4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शीतकाल में 4 महीने तक सेवन करने से शरीर का पोषण होता है।
  • 3 ग्राम असगंधा मूल चूर्ण को पित्त प्रकृति वाला व्यक्ति ताजे दूध (कच्चा/धारोष्ण) के साथ सेवन करें। वात प्रकृति वाला शुद्ध तिल के साथ सेवन करें और कफ प्रकृति का व्यक्ति गुनगुने जल के साथ एक साल तक सेवन करें। इससे शारीरिक कमोजरी दूर (ashwagandha ke fayde) होती है और सभी रोगों से मुक्ति मिलती है।
  • एक ग्राम असगंधा चूर्ण में 125 मिग्रा मिश्री डालकर, गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से वीर्य विकार दूर होकर वीर्य मजबूत होता है तथा बल बढ़ता है।
रक्त विकार में अश्वगंधा के चूर्ण से लाभ 
अश्वगंधा पाउडर में बराबर मात्रा में चोपचीनी चूर्ण या चिरायता का चूर्ण मिला लें। इसे 3-5 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से खून में होने वाली समस्याएं ठीक होती हैं।  

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