मीनाक्षी मंदिर भारत के तमिलनाडु राज्य के मदुरई शहर में स्थित है एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक हिंदू मंदिर है यह मंदिर भगवान शिव एवं माता पार्वती की अवतार मीनाक्षी देवी को समर्पित है इस मंदिर को मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर और मीनाक्षी अम्मन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है इस मंदिर को 2500 वर्ष पुराने मदुरई शहर की जीवन रेखा भी कहा जाता है। हमने इस लेख में मीनाक्षी मंदिर से जुड़े सभी महत्वपूर्ण जानकारी जैसे मीनाक्षी मंदिर की स्थापना किसने की, मीनाक्षी मंदिर का इतिहास, मीनाक्षी मंदिर की संरचना एवं वास्तुकला, मीनाक्षी मंदिर की विशेषता एवं मीनाक्षी मंदिर कैसे पहुंचे से जुड़ी जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी को साझा किया है अगर आप मीनाक्षी मंदिर मदुरई से जुड़े सभी महत्वपूर्ण जानकारियों को जानना चाहते हैं इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
मीनाक्षी मंदिर का इतिहास (Meenakshi Mandir History in Hindi)कहा जाता है की इस मंदिर की स्थापना भगवान इंद्र ने की थी इस मंदिर का निर्माण भगवान इंद्र ने तब किया था जब वह अपने कुकर्मो की वजह से तीर्थयात्रा पर जा रहे थे जैसे ही भगवान इंद्र मदुरई के स्वयंभू लिंग के समीप पहुंचे वैसे ही उन्हें लगा की उनका बोझ हल्का होने लगा उन्हें लगने लगा कि उनका बोझ कोई उठा रहा है।
इस चमत्कार को देखते हुए भगवान इंद्र ने स्वयं इस मंदिर में लिंग को प्रतिष्टापित किया यह भी माना जाता है कि इसी स्थान पर भगवान इंद्र भगवान शिव की मूर्ति शिवलिंग के रूप में मिली जिसके कारण उन्होंने यहां मंदिर की स्थापना की यही कारण है कि इस मंदिर में मनाए जाने वाले त्योहारों की शोभायात्रा में भगवान इंद्र के वाहन को भी स्थान दिया जाता है।
किन्तु तमिल साहित्य के अनुसार इस मंदिर का निर्माण कुछ शताब्दी पहले करवाया गया था। प्रसिद्ध हिन्दू शैव मतावलम्बी संत तिरुज्ञानसंबन्दर ने इस मन्दिर को आरम्भिक सातवीं सदी का बताया है कहा जाता है कि मुस्लिम शासक मलिक कफूर ने 1310 में इस मीनाक्षी मंदिर में खूब लूटपाट की थी इस मंदिर के प्राचीन घटकों को नष्ट कर दिया था इसके प्रश्चात पुनर्निर्माण आर्य नाथ मुदलियार ने 1559 ई. से 1600 ई. के बीच इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था फिर तिरुमलय नायक ने 1623 से 1659 के बीच पुनः इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया तिरुमलई नायक ने ही इस मंदिर के निर्माण में अपना सर्वाधिक मूल्यवान योगदान दिया
इस मन्दिर के वसंत मण्डप के निर्माण का श्रेय उन्हें ही दिया जाता है। मंदिर के गलियारे में रानी मंगम्मल द्वारा मीनार्ची नायकर मंडपम का निर्माण किया गया था।
विश्वनाथ नायक ने आधुनिक शिल्प शास्त्र के अनुसार इस मंदिर को पुनः बनवाया था जिनमे 14 प्रवेश द्वार है जो 45-50 मीटर की ऊँचाई के थे इन प्रवेश द्वारा में सबसे लंबा दक्षिणी टावर था इस टावर की ऊंचाई 51.9 मीटर थी इसके साथ ही इस मंदिर में दो तराशे गए प्राचीन विमानो का निर्माण भी किया गया और यहां कई देवी-देवताओ की मूर्तियाँ की पुनर्स्थापना की गई।
मीनाक्षी मंदिर की वास्तुकला –
श्री मीनाक्षी अम्मन मंदिर द्रविड़ वास्तुकला को दर्शाता है। यह मंदिर अपने टावरों या ‘गोपुरम’ के लिए सबसे प्रसिद्ध है, बहुत दूर से भी दिखाई देते हैं। 14 एकड़ में फैला लगभग 12 गोपुरम ने मीनाक्षी मंदिर को सुशोभित किया, जिसमें चार बाहरी 160 फीट से अधिक की ऊँचाई पर थे। मंदिर के परिसर उच्च ईंटवर्क की दीवारों से बने हैं और कई वर्ग परिक्षेत्रों में विभाजित हैं।
मीनाक्षी मंदिर तमिलनाडु के कुछ ऐसे मंदिरों में से एक है जिसमें चार दिशाओं से चार प्रवेश द्वार हैं। इस मंदिर के भवन में लगभग हजार स्तंभ हैं। इस मंदिर के प्रदेश द्वार से लेकर खंभों तक सभी में विभिन्न देवताओं और देवी की छवियों को उकेरा गया है। मंदिर की संरचना 1623 और 1655 के बीच बनाई गई थी। इसमें 14 गेटवे टॉवर हैं, जिनकी ऊँचाई 450 मीटर है। उनमें से सबसे ऊँचा टॉवर दक्षिणी टॉवर है, जो 170 फीट की ऊँचाई पर है।
मंदिर परिसर में एक बड़ा टैंक या पोट्रामारिककुलम भी है, जिसमें पवित्र जल भरा हुआ रहता है। आपको बता दें कि यहां मुख्य मंदिर जो मीनाक्षी और सुंदरेश्वर को समर्पित है, तीन परिसरों से घिरा हुआ है और चार छोटे टॉवरों द्वारा संरक्षित हैं। मीनाक्षी का तीर्थ सुंदरेश्वर के तीर्थस्थल के दक्षिण पश्चिम में स्थित है, जहाँ देवी स्वयं एक काले पत्थर के रूप मे हैं। सुंदरेश्वर का मंदिर केंद्र में है और दोनों के मंदिरों में सोने के टावर हैं, जो दूर से भी दिखाई देते हैं।
भगवान गणेश की एक मूर्ति जो एक ही पत्थर से तराशी गई है, यहाँ पर विनायक मंदिर में मौजूद है। मंदिर का गर्भगृह इंद्र विष्णुम और भगवान शिव के कई स्वरूपों से सुशोभित है। सुंदरेश्वर मंदिर परिसर के भीतर नटराज का एक मंदिर है जिसमें स्थित भगवान शिव की नटराज मूर्ति तांडव (विनाश का लौकिक नृत्य) को प्रदर्शित करती है।
मीनाक्षी मंदिर में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहार :-
मीनाक्षी मन्दिर से में मनाया जाने वाला सबसे प्रमुख त्यौहार मीनाक्षी तिरुकल्याणम है इस त्योहार का आयोजन प्रतिवर्ष चैत्र मास में किया जाता है यह त्यौहार लगभग 1 महीने तक चलता है जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का आयोजन किया जाता दिव्य जोड़ो के इस विवाह प्रथा को दक्षिण भारत में “मदुराई विवाह” का नाम दिया गया है।
इस एक महीने की कालावधि में इस मंदिर में बहुत सारे त्योहार मनाए जाते हैं जिसमें “थेर थिरुविजहः” और “ठेप्पा थिरुविजहः” शामिल है इस त्यौहार के अलावा नवरात्रि एवं शिवरात्रि उत्सव भी यहाँ धूमधाम से मनाया जाता हैं।
मीनाक्षी मंदिर की विशेषता :-
मीनाक्षी मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस मंदिर में 12 प्रवेश द्वार है और प्रत्येक प्रवेश द्वार लगभग 40 मीटर ऊँचा है इसके साथ ही इस मंदिर में स्थित 985 स्तंभ और 24 टावर इस मंदिर की विशेषता को कई गुना बढ़ा देते हैं
ये सभी स्तंभ यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक आकर्षण का केंद्र है इन सभी स्तंभों को स्तंभ मण्डप कहा जाता है प्रत्येक स्तंभ में हाथ थपथपाने पर एक भिन्न स्वर निकालता है यह स्वर अत्यंत मधुर है इस स्तंभ मण्डप के दक्षिण में कल्याण मण्डप स्थित है, जहां प्रतिवर्ष चैत्र मास ( मध्यम अप्रैल ) में चितिरइ उत्सव मनाया जाता है।
इस उत्सव की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इस उत्सव में भगवान शिव और माता पार्वती की विवाह का आयोजन करवाया जाता है इस मंदिर में स्थित स्वर्णकमल पुष्कर जो कि एक एक पवित्र सरोवर है इस मंदिर की विशेषता को कई गुना बढ़ा देते हैं यह पवित्र सरोवर 165 फीट लम्बा एवं 120 फीट चौड़ा है।
इस मंदिर में मीनाक्षी देवी एवं अन्य देवी–देवताओं की अत्यंत सुंदर प्रतिमाएं हैं इस मंदिर के आठ खंभों पर माता लक्ष्मी की सुंदर मूर्तियां बनाई गयी हैं जो इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को अपनी और आकर्षित करते हैं।
इस मंदिर की विशेषता का एक और कारण इस मंदिर में स्थित मूर्तियां हैं कहा जाता है की मीनाक्षी मंदिर में कुल 33,000 मूर्तियाँ है जो इस मंदिर के आकर्षण और विशेषता में चार चांद लगा देते हैं।
मीनाक्षी मंदिर कैसे पहुंचें
मंदिर से निकटतम बस स्टॉप पेरियार है जो 1.3 किलोमीटर की दूरी पर है। पेरियार से मीनाक्षी मंदिर के लिए नियमित रूप से बसें चलती हैं। आप मंदिर जाने के लिए टैक्सी भी किराए पर ले सकते हैं।
हवाई मार्ग से
अगर आप मीनाक्षी मंदिर के लिए हवाई यात्रा करना चाहते हैं तो बता दें कि हवाई मार्ग से मदुरै पहुंचना बहुत सुविधाजनक है। मदुरई शहर कई नियमित उड़ानों से देश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डा मुख्य शहर से हवाई अड्डा केवल 10 किमी दूर है। आप हवाई अड्डे से टैक्सी या कैब की मदद से मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
मीनाक्षी मंदिर की फोटो गैलरी
ट्रेन से
मदुरई शहर मदुरई-तिरुचिरापल्ली-डिंडीगुल-क्विलोन लाइन दक्षिणी रेलवे का एक महत्वपूर्ण जंक्शन है। पूरे साल भर में मदुरै के लिए ट्रेन आसानी से उपलब्ध हैं। हालांकि, गर्मियों और छुट्टी के मौसम के यात्रा करने से पहले बुकिंग कर लें।
सड़क मार्ग से
मदुरई के लिए दक्षिण भारत के अधिकांश प्रमुख शहरों से बस सेवाएं हैं। नेशनल हाईवे 44 शहर की ओर जाता है। मदुरई दक्षिण भारत के सभी हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। शहर में 5 प्रमुख बस स्टैंड हैं, जहाँ से आप तमिलनाडु के लगभग हर शहर के लिए बस पकड़ सकते हैं।