Kashi Vishwanath Mandir History in Hindi
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास - Kashi Vishwanath Mandir History in hindi
Kashi Vishwanath Mandir : काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योर्तिलिंगों में नौवां स्थान रखता है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार यह भगवान शिव और माता पार्वती का आदिस्थान है। धुंधली सी छवि और रहस्यमयी सी सुबह आंखो को भा जाने वाली और अंतर्आत्मा को छू लेने वाली काशी, भारत के सबसे प्राचीन और आध्यात्मिक शहरों में से एक है। काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योर्तिलिंगों में नौवां स्थान रखता है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार यह स्थान भगवान शिव और माता पार्वती का आदिस्थान है। इसलिए आदिलिंग के रूप में अविमुक्तेश्वर को ही प्रथम लिंग माना गया है, इसका उल्लेख महाभारत और उपनिषद में भी किया गया है।
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कहा जाता है कि काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका है। गंगा वरुणा और अस्सी घाट के मिलन होने से भगवान शिव (bhagwan shiv) के इस पावन नगरी का निर्माण हुआ। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यहां करीबन 30 करोड़ देवी देवताओं का वास है। ऐसे तो इस शहर में अनेको मंदिर, घाट और पर्यटन स्थल हैं लेकिन काशी विश्वनाथ मंदिर (kashi vishwanath mandir) का एक अलग ही महत्व है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास।
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास, Kashi Vishwanath Mandir History in hindi
मां गंगा नदी के पश्चिमी घाट पर स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी एक बहुत ही दिलचस्प पौराणिक कहानी है। इस प्रचलित कथा के अनुसार एक बार विष्णु जी और ब्रह्मा जी में इस बात को लेकर बहस होने लगी कि दोनों में से कौन अधिक शक्तिशाली या श्रेष्ठ है। इस विवाद को सुलझाने के लिए भगवान शिव पहुंच गए। महादेव ने एक बहुत ही विशाल प्रकाश स्तंभ या कहा जाए कि एक ज्योतिर्लिंग का रूप धारण कर लिया। इसके पश्चात् उन्होंने भगवान ब्रह्मा और श्रीहरि से इसके स्रोत और इसकी उंचाई का पता लगाने को कहा। इतना सुनते ही ब्रह्मा हंस पर सवार होकर आकाश की तरफ उड़कर स्तंभ के ऊपरी सिरे का पता लगाने के लिए चले जाते हैं। वहीं दूसरी तरफ भगवान विष्णु एक शूकर का रूप धारण कर लेते हैं और पृथ्वी के अंदर उस स्तंभ के नीचले सिरे की खोज में निकल पड़ते हैं। ऐसा कहा जाता है कि कई युगों तक दोनों इस खोज में लगे ही रह गए। अंत में भगवान विष्णु वापस आए और अपनी हार स्वीकार कर ली। मगर दूसरी तरफ ब्रह्माजी अपनी हार मानने के बजाय झूठ बोल देते हैं कि उन्होंने स्तंभ का ऊपरी सिरा देख लिया है। इस झूठ से क्रोधित होकर भगवान शिव ब्रह्माजी को श्राप दे देते हैं कि कभी उनकी पूजा नहीं होगी। शायद यही वजह है कि ब्रह्मा की किसी मन्दिर में पूजा नहीं की जाती है। माना जाता है कि इस स्तंभ की वजह से पृथ्वी पर जहां-जहां से दिव्य परखाश निकला वो स्थान आगे चलकर 12 ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजे गए।
12 ज्योतिर्लिंगों में श्रेष्ठ
सभी 12 ज्योतिर्लिंगों की अपनी अलग विशेषता और खासियत है। काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। हिंदू धर्म में काशी विश्वनाथ मंदिर का एक विशिष्ट स्थान है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगा लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भैरव बाबा है काशी के कोतवाल
भैरव बाबा को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। ये भगवान शिव के गण और माता पार्वती के अनुचर माने गए हैं। ये काशी के कोतवाल हैं। भगवान काशी विश्वनाथ के दर्शन से पहले भैरव बाबा के दर्शन किए जाते हैं। गौरतलब है कि भगवान शिव के रुधिर से बहिर्व की उत्पत्ति हुई जो आगे बटुक भैरव और काल भैरव बन गए। इन दोनों की पूजा करने का विशेष महत्व है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के खुलने समय
काशी विश्वनाथ मंदिर रोजाना तड़के 2.30 बजे खुल जाता है। दिन भर में यहां 5 आरती की जाती है। दिन की पहली आरती तड़के 3 बजे की जाती है। आखिरी आरती का समय रात 10.30 बजे है। बाबा के भक्तों के लिए मंदिर सुबह 4 बजे खुलता है। श्रद्धालु दिन में किसी भी समय मंदिर जाकर दर्शन और पूजा कर सकते हैं। अब पूजा और दर्शन का समय ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिए भी बुक कर सकते हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर कैसे जाएं –
उत्तरप्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर जाने के लिए आपको फ्लाइट, ट्रेन, बस, बाइक, कार या टैक्सी से संबंधित कोई भी दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि काशी विश्वनाथ मंदिर के आसपास ही आपको एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन वगैरह देखने को मिल जाएगा। आइए अब जानते हैं कि काशी विश्वनाथ मंदिर कैसे पहुंचे?
फ्लाइट से काशी विश्वनाथ मंदिर कैसे पहुंचे
काशी विश्वनाथ मंदिर का सबसे करीबी एयरपोर्ट उत्तर प्रदेश के बाबतपुर में स्थित लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, जो काशी विश्वनाथ मंदिर से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए आपको बैंगलोर, चेन्नई, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चंडीगढ़ जैसे बड़े शहरों से फ्लाइट की सुविधा मिल जाएगी।
ट्रेन से काशी विश्वनाथ मंदिर कैसे पहुंचे
काशी विश्वनाथ मंदिर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काशी, वाराणसी सिटी और वाराणसी जंक्शन है, जो काशी विश्वनाथ मंदिर से मात्र 3-4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इन तीनों रेलवे स्टेशन पर आपको दिल्ली, चंडीगढ़, बैंगलोर, देहरादून, मुंबई, डिब्रूगढ़ और अहमदाबाद जैसे शहरों से डायरेक्ट ट्रेन की उपलब्धि है
बस से काशी विश्वनाथ मंदिर कैसे पहुंचे –
काशी विश्वनाथ मंदिर, बस से जाने के लिए सबसे पहले आपको अपने शहर से वाराणसी जाना पड़ेगा। अगर आप उत्तरप्रदेश से संबंध रखते हैं, तो आपको उत्तरप्रदेश के विभिन्न छोटे बड़े-शहरों से वाराणसी के लिए डायरेक्ट बस की सुविधा देखने को मिल जाएगी।
अगर आप उत्तरप्रदेश के अलावा देश के किसी भी अन्य राज्य से संबंध रखते हैं, तो आपको भी अपने शहर से वाराणसी के लिए बस पकड़नी पड़ेगी। बिहार, दिल्ली, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान और झारखंड जैसे नजदीकी राज्यों के कुछ प्रमुख शहरों से आपको वाराणसी के लिए डायरेक्ट बस की सुविधा मिल जाएगी। वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर का नजदीकी बस स्टैंड मात्र 4.5 किमी. की दूरी पर स्थित है, जहां से आप ऑटो या टैक्सी के माध्यम से काशी विश्वनाथ मंदिर तक जा सकते हैं।