Neelkanth Mahadev Temple History
Neelkanth Mahadev Temple History
भक्त कहते हैं कि शिव जितनी जल्दी प्रसन्न होते हैं, उतनी ही जल्दी क्रोधित भी हो जाते हैं। इसीलिए शिव को भोलेनाथ और रुद्रनाथ दोनों ही रुप में जाना जाता है। हम आपको बता रहे हैं शिव के नीलकंठ मंदिर के बारे में, कि इस मंदिर का नाम नीलकंठ कैसे पड़ा और शिवभक्तों के लिए यह मंदिर क्यों खास है।
उत्तरांचल में हिमालय पर्वतों के तल में बसा ऋषिकेश में नीलकंठ महादेव मंदिर प्रमुख पर्यटन स्थल है। नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश के सबसे पूज्य मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया गया था। उसी समय उनकी पत्नी, पार्वती ने उनका गला दबाया जिससे कि विष उनके पेट तक नहीं पहुंचे। इस तरह, विष उनके गले में बना रहा। विषपान के बाद विष के प्रभाव से उनका गला नीला पड़ गया था। गला नीला पड़ने के कारण ही उन्हें नीलकंठ नाम से जाना गया था। अत्यन्त प्रभावशाली यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर परिसर में पानी का एक झरना है जहाँ भक्तगण मंदिर के दर्शन करने से पहले स्नान करते हैं।
नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश से लगभग 3500 फीट की ऊँचाई पर स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। मुनी की रेती से नीलकंठ महादेव मंदिर सड़क मार्ग से 30-35 किलोमिटर और नाव द्वारा गंगा पार करने पर 25 किलोमिटर की दूरी पर स्थित है। आप लोग दर्शन करने जरूर जाएं।