मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के दौसा जिले में स्थित एक हिंदू मंदिर है, जो हनुमान जी को समर्पित है। यह मंदिर भारत में इतना लोकप्रिय कि हर साल दूर-दूर से इस मंदिर में तीर्थ यात्रियों का आना जाना लगा रहता है। हनुमान जी को ही बालाजी के रूप में भी जाना जाता है और उनके मंदिर के सामने सियाराम को समर्पित एक मंदिर भी स्थित है जिसमें सियाराम की एक सुंदर मूर्ति है। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि भगवान अपने भक्तों को बुरी आत्माओं और परेशानी से मुक्ति दिलाते हैं।
मंदिर में आने वाले भक्त बालाजी को बूंदी के लड्डू का भोग लगाते हैं और भैरव बाबा को उड़द की दाल और चावल चढ़ाते हैं जो बुरी आत्माओं से मुक्ति पाने में उनकी मदद करते हैं। मंदिर में शनिवार और मंगलवार को भीड़ काफी ज्यादा होती है क्योंकि यह बालाजी के सबसे खास दिन होते हैं। अगर आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें, जिसमे हम आपको राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास, कहानी, रहस्य और दर्शन की पूरी जानकारी देने जा रहें हैं –
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का इतिहास , Mehandipur Balaji Mandir History in Hindi मंदिर का इतिहास 1000 साल पुराना है. इस मंदिर के पीछे कहानी बताई जाती है कि एक बार मंदिर के पुराने महंत जिनको लोग घंटे वाले बाबा जी के नाम से भी जानते है, उन्होंने एक सपना देखा था. जिसमे उन्होंने तीन देवता को देखा था, जोकि बाला जी के मंदिर के निर्माण का पहला संकेत था. वहाँ जगह जंगली जानवर और जंगली पेड़ों से भरा था अचानक भगवान प्रकट हुए और उन्होंने महंत को आदेश दिया, कि वे सेवा करके अपने कर्तव्य का निर्वहन करे. फिर वहा पर पूजा अर्चना शुरू कर दी गई. फिर बाद में तीन देवता वहाँ स्थापित हो गये.
यह मंदिर भारत के उत्तरी हिस्से में बहुत प्रसिद्ध है. इस मंदिर की देखभाल महंत द्वारा की जाती है. इस मंदिर के पहले महंत गणेश पूरी जी महाराज थे, अभी वर्तमान में मंदिर के महंत है श्री किशोर पूरी जी. वह बहुत ही सख्ती से सभी धार्मिक नियमों का पालन करते है, वह पूरी तरह से शाकाहार का पालन करते है. और धार्मिक किताबे भी पढ़ते है. बालाजी मंदिर के सामने स्थित सियाराम भगवान का मंदिर बहुत ही भव्य और सुसुन्दर है. मंदिर में स्थापित भगवान की मूर्ति बहुत ही मनोरम है. शनिवार और मंगलवार को इस मंदिर में विशेष रूप से पूजा होती है और भोग भी लगते है.
दुष्ट आत्माओं के संकट से बचने के लिए जो पीड़ित व्यक्ति है, वह प्रसाद के रूप में अर्जी, स्वामिनी, दरखास्त, बूंदी के लड्डू इत्यादि को बालाजी महाराज के ऊपर चढ़ाकर ग्रहण करते है और जो बुरी आत्मा है, उसको शांत करने के लिए उसके सरदार भैरव बाबा को चावल और उड़द दाल चढाते है.
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भारत के प्रसिद्ध मंदिर में से एक है और इस मंदिर अपना एक एक समृद्ध और रोचक इतिहास है। आपको बता दें कि इस मंदिर का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है। मान्यतायों के अनुसार अरावली की पहाड़ियों के बीच भगवान हनुमान की मूर्ति स्वयंभू है इसे किसी के द्वारा बनाया नहीं गया है। बताया जाता है कि आज यह मंदिर जिस जगह स्थित है वहां पहले एक घना जंगल था और श्री महंत जी के पूर्वज बालाजी की पूजा करने लगे। कहानी के अनुसार एक दिन हनुमान जी, बालाजी और प्रेतराज तीनों भगवान महंत जी के सपने में आए और उन्होंने महंत जी से अपनी सेवा करने को कहा। इस घटना के बाद उन्होंने भगवान यहां हनुमान की पूजा करना शुरू कर दी।
घर नहीं ले जा सकते यहां का प्रसाद
आमतौर पर मंदिर में भगवान के दर्शन करने के बाद लोग प्रसाद लेकर घर आते हैं लेकिन मेंहदीपुर बालाजी मंदिर से भूलकर भी प्रसाद को घर नहीं लाना चाहिए। ऐसा करने से आपके ऊपर प्रेत साया आ सकता है। बालाजी के दर्शन के बाद घर लौटते वक्त यह देख लेना चाहिए कि आपकी जेब या बैग में खाने-पीने की कोई भी चीज न हो। यहां का नियम है कि यहां से खाने पीने की कोई भी चीज घर लेकर नहीं जाना चाहिए।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कैसे जाये
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान राज्य के दौसा जिले में स्थित है। बता दें कि यह मंदिर मेहंदीपुर गांव में स्थित है जो जयपुर से 99 किमी दूर है। मंदिर के लिए आप सड़क, हवाई और रेल मार्ग द्वारा यात्रा कर सकते हैं जिसकी पूरी जानकारी नीचे दी गई है।
हवाई कैसे पहुंचें
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर हवाई अड्डा है जो दिल्ली और आगरा हवाई अड्डे से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जयपुर हवाई अड्डे से मंदिर तक जाने के लिए आपको कार या बस द्वारा यात्रा करनी होगी।
ट्रेन से कैसे पहुंचें
अगर आप मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की यात्रा जयपुर देश के सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आप बस या टैक्सी की मदद से रेलवे से मंदिर पहुंच सकते हैं।
सड़क से कैसे पहुंचें
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जयपुर, आगरा और दिल्ली रेलवे स्टेशन से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मंदिर के लिए नियमित बस सेवा उपलब्ध है, जो इसे रेलवे स्टेशनों से जोड़ती है। अलवर – महवा या मथुरा – भरतपुर-महवा राजमार्ग से आप कार से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।