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मोतीलाल नेहरु की जीवनी - Motilal Nehru Biography in Hindi

मोतीलाल नेहरु की जीवनी - Motilal Nehru Biography in Hindi

                                                                       
भारत के प्रसिद्ध राजनितिक नेता पंडित मोतीलाल नेहरु (Motilal Nehru) का जन्म पिता की मृत्यु के 3 महीने बाद 6 मई 1861 को आगरा में हुआ था | बड़े भाई नन्दलाल ने जो आगरा में वकालत करते थे इनकी देखभाल की | 12 वर्ष की उम्र तक इन्होने घर पर ही अरबी और फारसी का अध्ययन किया | फिर कानपुर और इलाहबाद में शिक्षा पाई | “हाईकोर्ट वकील परीक्षा” पास करने के बाद मोतीलाल जी (Motilal Nehru) ने कानपुर में वकालत आरम्भ की और फिर इलाहाबाद चले गये |
वहा थोड़े दिनों में ही उनकी गणना चोटी के और सम्पन्न वकीलों में होने लगी | उन्होंने पश्चिमी रहन-सहन को अपनाया | उत्तर प्रदेश में आने वाली पहली मोटरकार उन्ही के पास थी | प्रसवकाल में पहली पत्नी का देहांत हो जाने के कारण 22 वर्ष की उम्र में मोतीलाल जी (Motilal Nehru) ने स्वरूप रानी से विवाह किया | इन्ही के पुत्र जवाहरलाल नेहरु और पुत्रियाँ विजयलक्ष्मी पंडित और कृष्णा हठी सिंह थी | वकालत में प्रतिष्ठा और सम्पति अर्जित करने के साथ साथ मोतीलाल नेहरु (Motilal Nehru) सार्वजनिक कार्यो में भी रूचि लेते थे |
कांग्रेस के 1888 , 1892 और 1905 के अधिवेशनो में उन्होंने भाग लिया | बंग-भंग के बाद वे ओर सक्रिय हुए | 1907 में उत्तर प्रदेश के प्रथम प्रांतीय राजनितिक सम्मेलन की उन्होंने अध्यक्षता की | 1908 में उनको संयुक्त प्रातं (अब उत्तर प्रदेश) की काउंसिल का सदस्य चुना गया | वहा उन्हें अपनी विधाई प्रतिभा का परिचय देने का अवसर मिला | कांग्रेस से संबध रखते हुए भी मोतीलाल जी (Motilal Nehru) की अंग्रेज अधिकारियों से मैत्री थी | 1911 में दिल्ली दरबार में जिसमे ब्रिटेन के पंचम जोर्ज आये थे मोतीलाल जी भी आमंत्रित थे |
इस अवसर पर पहनने के लिए कपड़े, हैट आदि लन्दन के मशहूर दर्जी से तैयार कराए गये थे | जवाहरलाल जी तब लन्दन में थे और उन्होंने ये चीजे भिजवाई थी | लेकिन देश के राजनितिक क्षेत्र में जो परिवर्तन आ रहा था उसका प्रभाव मोतीलाल जी पर भी पड़ा | लन्दन से शिक्षा प्राप्त करके भारत आने पर जवाहरलाल जी वकालत से अधिक राजनिति में रूचि लेने लगे थे | इस बीच एनी बीसेंट ने “होमरूल लीग” का गठन किया तो पिता-पुत्र दोनों उसके सदस्य बन गये |
प्रथम विश्वयुद्ध (1914-18) में भारतीय नेताओं ने अंग्रेजो की सहायता की थी परन्तु युद्ध की समाप्ति पर भारत को अधिकार देने के बदले उसकी भावनाओं के दमन के लिए “रोलेट एक्ट” जैसा काला कानून लागू किया गया | जब देशवासियों ने शान्ति के साथ इसका विरोध किया तो उनका दमन किया गया | इसका सबसे जघन्य रूप जलियांवाला बाग़ का हत्याकांड और अमृतसर की घटनाए थी | मोतीलाल जी जो अब तक कांग्रेस के नरम विचारों के नेता थे पुरी तरह बदल गये और अंग्रेजो की नेकनीयती पर उनका कोई विश्वास नही रहा |
गांधीजी का आन्दोलन का रास्ता और उनका रास्ता एक हो गया | 1919 में कांग्रेस के अमृतसर अधिवेशन की अध्यक्षता मोतीलाल जी (Motilal Nehru) ने की | 1920 की कोलकाता कांग्रेस में वे अकेले प्रमुख नेता थे जिन्होंने गांधीजी के असहयोग प्रस्ताव का समर्थन किया था | अब उनकी जिन्दगी रातो-रात बदल गयी | उन्होंने वकालत छोड़ दी | घोड़े-गाडिया बेच दिए | शराब एकदम हट गयी | ठेलो में भर-भरकर विदेशी कपड़ो की होली जली | खद्दर के धोती कुर्ते में उनका नया रूप निखर आया |
आनन्द भवन कांग्रेसी स्वयं सेवको का विश्राम स्थल बन गया | शाही रहन-सहन वाके व्यक्ति ने स्वेच्छा से देश के लिए फकीरी धारण कर ली | 1921 में मोतीलाल जी भारतीय कांग्रेस के सचिव थे | ब्रिटेन के राजकुमार की भारत-यात्रा का बहिष्कार करने के कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया और छ:महीने की सजा हुयी | चौरी-चौरा की घटना के बाद गांधीजी द्वारा आन्दोलन स्थगित कर दिए जाने पर विधाई संस्थानों के अंदर संघर्ष जारी रखने के उद्देश्य से “स्वराज्य पार्टी” का गठन किया |
इसकी ओर से निर्वाचित होकर मोतीलाल नेहरु (Motilal Nehru)  केन्द्रीय असेम्बली में अपने दल के नेता बने और अपने पैने तर्को से अंग्रेज अधिकारियों को परेशानी में डालते रहे | साइमन कमीशन के बहिस्कार के बाद भारत की ओर से मोतीलाल की अध्यक्षता में संविधान का एक मसौदा तैयार किया गया | 1928 की कोलकाता कांग्रेस की अध्यक्षता मोतीलाल जी ने की | जब सरकार के इस मसौदे को स्वीकार नही किया तो 1929 की लाहौर कांग्रेस में भारत ने पूर्ण स्वराज्य को अपना लक्ष्य घोषित कर दिया | इस कांग्रेस के अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरु थे |
1930 में जब गांधीजी नमक सत्याग्रह के लिए डांडी के लिए मार्च कर रहे थे उनसे मिलकर मोतीलाल (Motilal Nehru) ने इलाहाबाद में अपना शानदार “आनन्द भवन” (वर्तमान स्वराज्य भवन) राष्ट्र को दान दे दिया | इस नमक सत्याग्रह में मोतीलाल जी के साथ जवाहरलाल ,स्वरूपरानी , कमला नेहरु , विजयलक्ष्मी पंडित , कृष्णा और मोतीलाल जी के दामाद रणजीत सीताराम थे | सभी गिरफ्तार कर लिए गये | मोतीलाल जी (Motilal Nehru) अस्वस्थ थे | उन्हें रिहा कर दिया गया | एक्सरे की सुविधा इलाहबाद में न होने के कारण उन्हें लखनऊ लाया गया | वही 6 फरवरी 1931 को उनका देहांत हो गया |

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