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Ganit Ka Sutr

 गणित का सूत्र  , Ganit Ka Sutr , math formula

एक बार एक राजा ने बहुत ही सुंदर महल बनवाया और महल के मुख्य द्वार पर एक गणित का सूत्र लिखवाया तथा घोषणा किया कि इस सूत्र को सिद्ध करने से यह द्वार खुल जाएगा और जो भी इस सूत्र को हल कर के द्वार खोलेगा... मैं उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दूंगा !

राजा की घोषणा सुनकर... राज्य के बड़े बड़े गणितज्ञ आये और सूत्र देखकर लौट गए क्योंकि किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था.
इस तरह आखिरी दिन आ चुका था तथा उस दिन 3 लोग आये और कहने लगे हम इस सूत्र को हल कर देंगे.

उसमें 2 तो दूसरे राज्य के बड़े गणितज्ञ अपने साथ बहुत से पुराने गणित के सूत्रो की पुस्तकों सहित आये लेकिन अपनी पुस्तकों से ही माथापच्ची करने में उलझे रहे और फिर चले गये. ( गणित का सूत्र  , Ganit Ka Sutr , math formula)

लेकिन अंतिम तीसरा व्यक्ति जो एक सामान्य नागरिक की तरह सीधा सादा नजर आ रहा था ... अपने साथ कुछ भी साथ नहीं लाया था !

उसने कहा मैं द्वार के सामने बैठ कर कुछ समय व्यतीत करूँगा.
उस सामान्य दिखने वाले व्यक्ति ने आंखें बंद कर दिमाग को स्थिर कर शांतचित्त हो कर अपना कॉमनसेंस लगाया कि भला ऐसी कौन से टेक्निक हो सकती है जो इस तरह का यंत्र बना दे जो कोई प्रश्न का उत्तर देने से दरवाजे को खोल दे ?
( गणित का सूत्र  , Ganit Ka Sutr , math formula)
कहीं ये लोगों की मूर्खता को सिद्ध करने हेतु आयोजन तो नहीं है ?

उसने स्वयं के अंतर्मन से कॉमनसेंस के 7 मौलिक प्रश्न किये... 
क्या ? क्यों ? कैसे ? कौन ? किसे ? कहाँ ? कब ?

उसके अंतर्मन ने उत्तर दे दिया और वो धीरे से आँखें खोल कर मंद मुस्कान से उठा और महल के दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया तो वो खुल गया.

राजा ने उस व्यक्ति से पूछा... आप ने ऐसा कैसे किया ?
( गणित का सूत्र  , Ganit Ka Sutr , math formula)
उस सामान्य से दिखने वाले व्यक्ति ने कहा कि जब वह शांतचित्त हो कर ध्यान में बैठा और अपने अंतर्मन से ही प्रश्न करके इस समस्या का समाधान पूछा तो अंतर्मन से उत्तर आया कि पहले ये जाँच तो कर ले कि सूत्र है भी या नहीं ???
इसके बाद इसे हल करने की सोचना - और मैंने वही किया !
👉 कई बार जिंदगी में कोई समस्या होती ही नहीं लेकिन हम उस पर शांतचित्त से चिंतन करने के स्थान पर दूसरों के द्वारा हमारे ऊपर थोपे गये दुराग्रहपूर्ण विचारो में उलझा कर उसे बड़ा बना लेते है और चिंतामग्न रहते हैं.

हर समस्या का उचित समाधान चिंतन करते हुए कॉमनसेंस
लगाने पर आने वाली स्वयं के अंतर्मन के उत्तर में समाहित है...!

ज़रूर पढ़ें : -
> क्षीरसागर का कछुवा
> क्यों चढ़ाते है हनुमान जी को सिंदूर का चोला

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