Puran Kya aur Kitne Hai : महर्षि वेदव्यास ने पुराणों को हमारी प्राचीन भाषा संस्कृत में संकलन किया है। पुराण शब्द का शाब्दिक अर्थ है, प्राचीन, यानि पुराना, पुराण हिन्दू धर्म के प्राचीनतम ग्रँथ हैं। उन में लिखित ज्ञान, और नैतिकता की बातें, आज भी प्रासंगिक, अमूल्य, तथा मानव सभ्यता की आधारशिला हैं। वेदों की भाषा, तथा शैली कठिन है। इन्हे समझना इतना आसान नहीं हे। पुराण का ज्ञान, इन्ही वेदो का रोचक संस्करण हैं। उन में वर्णित जटिल तथ्यों को कथा,कहानिओ के माध्यम से समझाया गया है।
पुराण 18 भागों में पाए जाते है. भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं को केन्द्र मानकर पाप-पुण्य, धर्म-अधर्म, कर्म-अकर्म की गाथाएँ अठारह पुराणों में कही गयी हैं। सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का वर्णन कुछ पुराणों में दिया गया है।
हिन्दूओं के पुराणों के लेखनकर्ता अज्ञात हैं व ऐसा लगता है कि कई लेखनकर्ताओं ने कई शताब्दियों में इनका लेखन किया है. हिन्दू पुराण के विपरीत जैन पुराण हैं. जैन पुराणों का लेखनकाल व लेखनकर्ता के नाम बताये जा सकते हैं.
इसमें वैदिककाल से चले आते हुए सृष्टि सम्बन्धी विचारों, ऋषियों के परम्परागत वृत्तान्तों, प्राचीन राजाओं तथा कहानियों आदि के लेखन के साथ-साथ रोचक वर्णनों व कल्पित कथाओं की विचित्रता द्वारा साधारण/साम्प्रदायिक उपदेश भी मिलते हैं। (पुराण क्या और कितने हैं , Puran Kya aur Kitne Hai)
लक्षण
‘पुराण’ का शाब्दिक अर्थ है – ‘पुरानी कथा’ अथवा ‘प्राचीन आख्यान’. ‘पुरा’ शब्द का मतलब -: अनागत एवं अतीत है. ‘अण’ शब्द का मतलब -: कहना या बतलाना होता है. पुराण शब्द का अर्थ रघुवंश में है “पुराण पत्रापग मागन्नतरम्” और वैदिक वाङ्मय में “प्राचीन: वृत्तान्त:” दिया गया है। (पुराण क्या और कितने हैं , Puran Kya aur Kitne Hai)
हिन्दू संस्कृति के वे विशेष धर्मग्रन्थ जिसमें सृष्टि की शुरुआत से लेकर सृष्टि के प्रलय तक का वर्णन शब्दों से किया गया हो, वे पुराण कहलाते है.
आदितम साहित्य में भी पुराण शब्द का लेखन वैदिक युग में के वेद सहित पाया जाता है अत: ये सबसे प्राचीन (पुराण) माने जा सकते हैं. (पुराण क्या और कितने हैं , Puran Kya aur Kitne Hai)
पुराण के भाग
पुराण के 18 भाग होते है :-
- ब्रह्म पुराण
- पद्म पुराण
- विष्णु पुराण
- भविष्य पुराण
- भागवत पुराण
- नारद पुराण
- मार्कण्डेय पुराण
- वायु पुराण
- अग्नि पुराण
- स्कन्द पुराण
- ब्रह्मवैवर्त पुराण
- मत्स्य पुराण
- वाराह पुराण
- लिङ्ग पुराण
- वामन पुराण
- कूर्म पुराण
- ब्रह्माण्ड पुराण
- गरुड पुराण