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What is Atharvaveda

अथर्ववेद क्या है  -  What is Atharvaveda

प्राचीन भारत के पवित्र साहित्य वेद हैं जो हिन्दुओं का आधारभूत धर्मग्रन्थ भी हैं। विश्व के सबसे प्राचीन साहित्य वेद हैं। भारतीय संस्कृति में वेद सबसे प्राचीन ग्रन्थ और सनातन धर्म का मूल हैं।
अथर्वा ऋषि द्वारा लिखित अथर्ववेद में कुल 731 मंत्र तथा 6000 पद्य है. अथर्ववेद के कुछ मंत्र ऋग्वैदिक मन्त्रों से भी पुराने है. ऐतिहासिक दृष्टि से अथर्ववेद का महत्त्व इस बात में है की इसमें सामान्य मनुष्यों के अंधविश्वासों व विचारों का वर्णन मिलता है.
अथर्ववेद का प्रतिनिधि सूक्त प्रिथ्विसुक्त को माना जाता है. अथर्ववेद में जीवन के सभी पक्षों – कृषि की उन्नति, गृह निर्माण, व्यापारिक मार्गों का गाहन [खोज], समन्वय, रोग निवारण, विवाह व प्रणय गीतों, राजभक्ति, राजा का चुनाव, बहुत सी ओषधियों व वनस्पतियों, शाप, वशीकरण, प्रायश्चित, मातृभूमि महातम्य, आदि का वर्णन किया गया है. अथर्ववेद के कुछ मंत्रों में जादू-टोने का भी विवरण मिलता है. (अथर्ववेद क्या है  -  What is Atharvaveda)
  • परीक्षित को कुरुओं का राजा अथर्ववेद में कहा गया है तथा कुरु देश की समृद्धि का अच्छा हित्रण मिलता है.
  • अथर्ववेद में प्रजापति की दो पुत्रियाँ सभा व समिति को कहा गया है.
  • वेदों की भी कई शाखाएँ है जो वैदिक अध्ययन और व्याख्या से जुड़े विभिन्न दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करती है.
  • अथर्ववेद की दो शाखाएँ है :
सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद है व सबसे बाद में लिखा गया वेद अथर्ववेद है.
 
अथर्ववेद
  • अथर्ववेद हिन्दू धर्म के चार पवित्र वेदों में से चौथा वेद है. अथर्ववेद ब्रह्मवेद भी कहलाता हैं. अथर्ववेद में देवताओं की स्तुति के साथ, विज्ञान, दर्शन और चिकित्सा के मंत्र भी हैं.
  • अथर्ववेद के बारे में कहा गया है कि जिस राज्य में अथर्ववेद जानने वाला विद्वान् शान्तिस्थापना के कर्म में निरत रहता है, वह राष्ट्र उपद्रव से रहित होकर लगातार उन्नति करता जाता था.
  • इस वेद का ज्ञान महर्षि अंगिरा को भगवान ने सर्वप्रथम दिया था, फिर महर्षि अंगिरा ने वह ज्ञान ब्रह्मा को दिया था
  • इस वेद के स्वरूप व भाषा के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस का लेखन दूसरें वेदों से सबसे बाद में हुआ.
  • ॠग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद चारों का वैदिक धर्म की दृष्टि से बहुत बड़ा ही महत्व है.
  • अथर्ववेद से ही आयुर्वेद में विश्वास किया जाने लगा था. अथर्ववेद में अनेक प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों का विवरण है.
  • अथर्ववेद गृहस्थाश्रम के अंदर पति-पत्नी के विवाह के नियमों, मान-मर्यादाओं तथा कर्त्तव्यों का बहुत अच्छे तरीके से विवेचना करता है
  • इस वेद में ब्रह्म की उपासना से संबंधित बहुत से मन्त्र हैं।

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