विष्णु पुराण अष्टादश पुराणों में विष्णु पुराण का एक विशिष्ट महत्व है। इसमें भगवान विष्णु के चरित्र का विस्तृत वर्णन है। विष्णु पुराण में 23 हजार श्लोकों का वर्णन है परन्तु कलयुग में 6 हजार श्लोक ही विष्णु पुराण में प्राप्त होते हैं। इसके रचियता व्यास जी के पिता पराशर जी हैं। विष्णु पुराण में वर्णन आता है कि जब पाराशर के पिता शक्ति को राक्षसों ने मार डाला तब क्रोध में आकर पाराशर मुनि ने राक्षसों के विनाश के लिये ‘‘रक्षोघ्न यज्ञ’’ प्रारम्भ किया। उसमें हजारों राक्षस गिर-गिर कर स्वाहा होने लगे। इस पर राक्षसों के पिता पुलस्त्य ऋषि और पाराशर के पितामह वशिष्ठ जी ने पाराशर को समझाया और वह यज्ञ बन्द किया। इससे पुलस्त्य ऋषि बड़े प्रसन्न हुये औरा पाराशर जी को विष्णु पुराण के रचियता होने का आर्शीवाद दिया। पुराणसंहिताकर्ता भवान् वत्स भविष्यति।
(विष्णु पुराण) आर्शीवाद के फलस्वरूप पाराशर जी को विष्णु पुराण का स्मरण हो गया। तब पाराशर मुनि ने मैत्रेय जी को सम्पूर्ण विष्णु पुराण सुनायी। पाराशर जी एवं मैत्रेय जी का यही संवाद विष्णु पुराण में है। विष्णु पुराण में वर्णन आया है कि देवता लोग कहते हैं कि वो लोग बड़े धन्य हैं जिन्हें मानव योनि मिली है और उसमें भी भारतवर्ष में जन्म मिला है। वो मनुष्य हम देवताओं से भी अधिक भाग्यशाली है जो इस कर्मभूमि में जन्म लेकर भगवान विष्णु के निर्मल यश का गान करते रहते हैं। गायन्ति देवाः किलगीतकानि धन्यास्तुते भारतभूमि भागे। स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते भवन्ति भूयः पुरूषाः सुरत्वात्।। वे मनुष्य बड़े बड़भागी हैं जो मनुष्य योनि पाकर भारत भूमि में जन्म लेते हैं। क्योंकि यहीं से शुभ कर्म करके मनुष्य स्वर्गादि लोकों को प्राप्त करता है। विष्णु पुराण सुनने का फल:- जो व्यक्ति भगवान के बिष्णु के चरणों में मन लगाकर विष्णु पुराण की कथा सुनते हैं उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। वह इस लोक में सुखों को भोगकर स्वर्ग में भी दिव्य सुखों का अनुभव करता है। तत्पश्चात् भगवान बिष्णु के निर्मल पद को प्राप्त करता है। विष्णु पुराण वेदतुल्य है तथा सभी वर्णों के लोग इसका श्रवण कर सकते हैं। इस श्रेष्ठ पुराण के श्रवण करने पर मनुष्य आयु, कीर्ति, धन, धर्म, विद्या को प्राप्त करता है। इसलिये मनुष्य को जीवन में एक बार इस गोपनीय पुराण की कथा अवश्य सुननी चाहिये। विष्णु पुराण करवाने का मुहुर्त:- विष्णु पुराण कथा करवाने के लिये सर्वप्रथम विद्वान ब्राह्मणों से उत्तम मुहुर्त निकलवाना चाहिये। विष्णु पुराण के लिये श्रावण-भाद्रपद, आश्विन, अगहन, माघ, फाल्गुन, बैशाख और ज्येष्ठ मास विशेष शुभ हैं। लेकिन विद्वानों के अनुसार जिस दिन विष्णु पुराण कथा प्रारम्भ कर दें, वही शुभ मुहुर्त है। विष्णु पुराण का आयोजन कहाँ करें?:- विष्णु पुराण करवाने के लिये स्थान अत्यधिक पवित्र होना चाहिये। जन्म भूमि में विष्णु पुराण करवाने का विशेष महत्व बताया गया है - जननी जन्मभूमिश्चः स्वर्गादपि गरियशी - इसके अतिरिक्त हम तीर्थों में भी विष्णु पुराण का आयोजन कर विशेष फल प्राप्त कर सकते हैं। फिर भी जहाँ मन को सन्तोष पहुँचे, उसी स्थान पर कथा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। विष्णु पुराण करने के नियम : - विष्णु पुराण का वक्ता विद्वान ब्राह्मण होना चाहिये। उसे शास्त्रों एवं वेदों का सम्यक् ज्ञान होना चाहिये। विष्णु पुराण में सभी ब्राह्मण सदाचारी हों और सुन्दर आचरण वाले हों। वो सन्ध्या बन्धन एवं प्रतिदिन गायत्री जाप करते हों। ब्राह्मण एवं यजमान दोनों ही सात दिनों तक उपवास रखें। केवल एक समय ही भोजन करें। भोजन शुद्ध शाकाहारी होना चाहिये। स्वास्थ्य ठीक न हो तो भोजन कर सकते हैं।
विष्णु पुराण में कितने अध्याय हैं?
इस पुराण में इस समय तो 7000 श्लोक उपलब्ध हैं, विष्णु पुराण में वैसे कई ग्रंथों में इसकी संख्या 23,000 बताई जाती है। और यह पुराण ६ भागों में विभक्त है।
पहले भाग में शरीर अथवा सृष्टि की उत्पत्ति, काल का स्वरूप, तथा ध्रुव, पृथु तथा प्रह्लाद की कथाएं दी गई है।
और दूसरी भाग में लोको के स्वरूप, पृथ्वी के नौ खंडों, ग्रह, नक्षत्र, ज्योतिष, आदि का वर्णन है।
तीसरे भाग में मन्वंतर, वेद की शाखाओं का विस्तार, गृहस्थ धर्म और श्राद्ध विधि आदि का उल्लेख है।
चौथे भाग में सूर्य वंश और चंद्र वंश के राजा के कथन और उनकी वंशावलियों का वर्णन है।
और पांच में भाग में श्री कृष्ण का चरित्र तथा उनके लीलाओं का वर्णन है।
विष्णु पुराण पढ़ने से क्या होता है
- अब विष्णु पुराण सुनने का फल आपको बताते हैं, जो व्यक्ति भगवान विष्णु के चरणों में अपना संपूर्ण मन लगाके भगवन विष्णु के इस विष्णु पुराण को सुनते हैं, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।
- वह इस लोक में सुख भोगकर स्वर्ग में भी दिव्य सुखो का अनुभव करता है। तत्पश्चात भगवान विष्णु के निर्मल पद को प्राप्त करता है।
- विष्णु पुराण वेद तुल्य है, तथा सभी वर्ण के लोग इसका श्रवण कर सकते हैं। इस श्रेष्ठ पुराण के श्रवण पर मनुष्य धन, आयु, धर्म तथा विद्या को प्राप्त करता है। इसलिए मनुष्य को जीवन में एक बार विष्णु पुराण अवश्य सुन्नी चाहिए या पढ़नी चाहिए।
विष्णु पुराण कब पढ़ना चाहिए
- विष्णु पुराण का मुर्हत निकलवाने के लिए सर्वप्रथम विद्वान ब्राह्मण से मुर्हत निकलवाना चाहिए। विष्णु पुराण के लिए श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, माघ, फाल्गुन,आषाढ़ और जेष्ठ माह शुभ एवम श्रेष्ठ है।
- लेकिन विद्वानों के अनुसार जिस दिन विष्णु पुराण का प्रारम्भ कर दे वही श्रेष्ठ मुर्हत है।
- विष्णु पुराण का आयोजन के लिए स्थान अति पवित्र होना चाहिए।
- जन्म भूमि पर विष्णु पुराण करने का अति महत्व बताया गया है। इसके अतिरिक्त हम तीर्थ स्थानों में भी इसका आयोजन करके विशेष फल प्राप्त कर सकते है।
- फिर भी कहते है जहा मन को संतुष्टि पहुंचे उसी स्थान को अगर विष्णु पुराण का आयोजन किया जाये तो शुभ फल की प्राप्ति होती है।
विष्णु पुराण पढ़ने के नियम ?
- विष्णु पुराण का वक्ता विद्वान ब्राह्मण होना चाहिए। उसे शाश्त्रो और वेदो का ज्ञान होना चाहिए।
- विष्णु पुराण में सभी ब्राह्मण सदाचारी अथवा सुंदर आचरण वाले हो तो वह श्रेष्ठ है। वह प्रतिदिन गायत्री जाप करते हो।
- उस दिन ब्राह्मण और विद्वान को सात दिनों का उपवास रखना चाहिए। केवल एक समय भोजन करे। भोजन शुद्ध शकाहारी होना चाहिए। अगर स्वास्थ्य ठीक ना हो तो ही भोजन कर सकते है।
- विष्णु पुराण पढ़ने वाला व्यक्ति जीवन के सारे सुखो को भोगता है, और मृत्यु के पश्चात् स्वर्ग में भी वही दिव्यता प्राप्त करता है।