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Pippali ke Fayde aur Upyog

पिप्पली के फायदे और उपयोग , Pippali ke Fayde aur Upyog ,  Benefits and uses of pippali

सदियों से प्राकृतिक औषधियों का इस्तेमाल शरीर की विभिन्न परेशानियों के उपचार में किया जाता रहा है। खासकर, आयुर्वेदिक इलाज में इनका विशेष महत्व है। जानकारी के अभाव और आधुनिक दवाइयों पर निर्भरता के कारण भले ही इनके उपयोग में कमी आई हो, लेकिन इनके गुणों को नकारा नहीं जा सकता है। इसलिए, स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम एक खास औषधि के बारे में बता रहे हैं, जिसका नाम है 

पिप्पली। हमारे साथ जानिए शरीर के लिए पिप्पली के फायदे और इसके उपयोग से जुड़ी जरूरी बातें। इसके अलावा, इस लेख में पिप्पली के नुकसान से जुड़ी जानकारी भी साझा की गई है। पाठक ध्यान दें कि पिप्पली लेख में शामिल की गई किसी भी बीमारी का इलाज नहीं है। यह केवल इनके प्रभाव को कम करने में एक सहायक भूमिका निभा सकती है।
पिप्पली क्या है? (What is Pippali in Hindi?)
पिप्पली एक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद में पिप्पली की चार प्रजातियों के बारे में बताया गया है, लेकिन व्यवहार में छोटी और बड़ी दो प्रकार की पिप्पली ही आती हैं। पिप्पली की लता भूमि पर फैलती है। यह सुगन्धित होती है। इसकी जड़ लकड़ी जैसी, कड़ी, भारी और शयामले रंग की होती है। जब आप इसे तोड़ेंगे तो यह अन्दर से सफेद रंग की होती है। इसका स्वाद तीखा होता है।
पिप्पली के पौधे (Pippali plant) में फूल बारिश के मौसम में खिलते हैं, और फल ठंड के मौसम में होते हैं। इसके फलों को ही पिप्पली (पीपली ) कहते हैं। बाजार में इसकी जड़ को पीपला जड़ के नाम से बेचा जाता है। जड़ जितना वजनदार व मोटा होता है, उतना ही अधिक गुणकारी माना जाता है। बाजार में जड़ के साथ-साथ गांठ आदि भी बेची जाती है।

पीप्पली के फायदे (Pippali Benefits and Uses in Hindi)
आप पिप्पली (Pipali) का औषधीय प्रयोग इस तरह कर सकते हैं। पिप्पली के इस्तेमाल की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
खांसी और बुखार में पीपली का औषधीय गुण लाभदायक 
बच्चों को खांसी या बुखार होने पर बड़ी पिप्पली को घिस लें। इसमें लगभग 125 मिग्रा मात्रा में मधु मिलाकर चटाते रहें। इससे बच्चों के बुखार, खांसी तथा तिल्ली वृद्धि आदि समस्याओं में विशेष लाभ होता है।
बच्चे अधिक रोते हैं तो काली पिप्पली (kali pipli)और त्रिफला का समान मात्रा लेंं। इनका चूर्ण बना लें। 200 मिग्रा चूर्ण (Pippali churna) में एक ग्राम घी और शहद मिलाकर सुबह-शाम चटाएं।
पिप्पली को तिल के तेल में भूनकर पीस लें। इसमें मिश्री मिलाकर रख लें। इसे 1/2-1 ग्राम मात्रा में कटेली के 40 मिली काढ़ा में मिला लें। इसे पीने से कफज विकार के कारण होने वाली खांसी में विशेष लाभ होता है।
पिप्पली के 3-5 ग्राम पेस्ट को घी में भून लें। इसमें सेंधा नमक और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे कफज विकार के कारण होने वाली खांसी में लाभ (pipali ke fayde) होता है। 
इसी तरह 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण (pippali)में मधु मिलाकर सेवन करें। इससे बच्चों की खांसी, सांसों की बीमारी, बुखार, हिचकी आदि समस्याएं ठीक होती हैं।
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पिप्पली के औषधीय गुण से जुकाम का इलाज (
पीपल, पीपलाजड़, काली मिर्च और सोंठ के बराबर-बराबर भाग का चूर्ण (pippali)बना लें। इसकी 2 ग्राम की मात्रा लेकर शहद के साथ चटाते रहने से जुकाम में लाभ मिलता है।
इसी तरह पिप्पली (pippalu) के काढ़ा में शहद मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पिलाने से भी जुकाम से राहत (pipali ke fayde) मिलती है। 
आवाज (गला बैठने) पर पिप्पली के फायदे 
गला बैठने (आवाज के बैठने) पर बराबर-बराबर मात्रा में पिप्पली तथा हर्रे लें। इनका चूर्ण बना लें। 1-2 ग्राम चूर्ण को कपड़े से छानकर मधु मिला लें। इसका सेवन करने, तथा इसके बाद तीक्ष्ण मद्य का पान करने से कफज विकार के कारण गला बैठने की समस्या में लाभ होता है। 
दांतों के रोग में पीपली के औषधीय गुण से फायदा 
दांतों के रोग के इलाज के लिए  1-2 ग्राम पीपली चूर्ण में सेंधा नमक, हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर दांतों पर लगाएं। इससे दांतों का दर्द ठीक होता है।
पीप्पली चूर्ण (pippali churna)में मधु एवं घी मिलाकर दांतों पर लेप करने से भी दांत के दर्द में फायदा (pipali ke fayde)होता है।
3 ग्राम पिप्पली चूर्ण में 3 ग्राम मधु और घी मिलाकर दिन में 3-4 बार दाँतों पर लेप करें। इससे दांत में ठंड लगने की परेशानी में लाभ (benefits of long) मिलता है।
किसी व्यक्ति को जबड़े से संबंधित परेशानी हो रही हो तो उसे काली पिप्पली  तथा अदरक को बार-बार चबाकर थूकना चाहिए। इसके बाद गर्म पानी से कुल्ला करना चाहिए। इससे जबड़े की बीमारी ठीक हो जाती है।
बच्चों के जब दांत निकल रहे होते हैं तो उन्हें बहुत दर्द होता है। इसके साथ ही अन्य परेशानियां भी झेलनी पड़ती है। ऐसे में 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण (pippali)को 5 ग्राम शहद में मिलाकर मसूढ़ों पर घिसने से दांत बिना दर्द के निकल आते हैं। 
सांसों के रोग में पिप्पली के फायदे 
खांसी और सांसों से संबंधित बीमारी में पिप्पली का सेवन लाभ पहुंचाता है। इसके लिए पिप्पली, आमला, मुनक्का, वंशलोचन, मिश्री व लाख को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 3 ग्राम चूर्ण (pippali churna)में 1 ग्राम घी और 4 ग्राम शहद में मिला लें। इसे दिन में तीन बार नियमित रूप से लेने से खांसी ठीक होती है। इसे आपको 10-15 दिन लेना है।
पिप्पली (pippalu), पीपलाजड़, सोंठ और बहेड़ा को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम तक, दिन में 3 बार शहद के साथ चटाने से खांसी में लाभ होता है। विशेषकर पुरानी खाँसी व बार-बार होने वाली खाँसी में यह अत्यन्त लाभदायक है।
एक ग्राम पिप्पली चूर्ण (Pippali churna) में दोगुना शहद या बराबर मात्रा में त्रिफला मिला लें। इसे चाटने से सांसों के रोग, खांसी, हिचकी, बुखार, गले की खराश, साइनस व प्लीहा रोग में लाभ होता है। 
चोट या मोच के दर्द में पीप्पली के फायदे 
शरीर के किसी भी अंग में चोट लगने या मोच आने के कारण दर्द हो रहा हो तो आधा चम्मच पिप्पली के जड़ के चूर्ण को गर्म दूध या पानी के साथ सेवन करने से तुरंत आराम मिलता है। इससे नींद भी अच्छी आती है।
दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर प्रयोग किया जाये तो चोट, मोच के दर्द में बहुत लाभ होता है।
लौंग, अकरकरा, पीपर, देवदारु, शतावरी, पुनर्नवा, सौंफ, विधारा, पोहकरजड़, सोंठ तथा अश्वगंधा को समान मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से सामान्य कारणों से होने वाला अंगों के दर्द में लाभ होता है। इससे वातज विकार के कारण होने वाला दर्द भी ठीक होता है। 
मोटापा (वजन घटाने) कम करने के लिए पीप्पली का सेवन 
मोटापा को कम करने (वजन घटाने) के लिए पिप्पली का सेवन लाभदायक होता है। आप 2 ग्राम पिप्पली चूर्ण में मधु मिलाकर दिन में 3 बार कुछ हफ्ते तक नियमित रूप से सेवन करें। इससे मोटापा कम होता है। आपको यह ध्यान रखना है कि मोटापा कम करने के लिए पिप्पली चूर्ण के सेवन के एक घंटे तक जल को छोड़कर कुछ भी सेवन ना करें। जल का भी सेवन तब करना है जब बहुत अधिक प्यास लगी हो। इससे निश्चित तौर पर मोटापा कम (Pippali with honey for weight loss) हो जायेगा। 
कोलेस्ट्राल को कम करने के लिए पिप्पली का उपयोग 
अनेक लोग कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। आप पिप्पली के सेवन से कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। इसके लिए पिप्पली चूर्ण (Pippali churna) में मधु मिलाकर सुबह सेवन करें। इससे कोलेस्ट्राल की मात्रा नियमित होती है, तथा हृदय रोगों में भी लाभ मिलता है।
उल्टी रोकने में पीपली का उपयोग फायदेमंद 
पिप्पली, आमला, मुनक्का, वंशलोचन, मिश्री व लाख को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसके 3 ग्राम चूर्ण में 1 ग्राम घी और 4 ग्राम शहद में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इसे नियमित तौर पर 10-15 दिन लेने से उल्टी में लाभ होता है। 
हिचकी की परेशानी में पीपली से लाभ 
पिप्पली व मुलेठी के चूर्ण को बराबर-बराबर मात्रा में मिला लें। चूर्ण के बराबर मात्रा में शक्कर मिलाकर रखें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।
1-2 ग्राम पिप्पली (pipallu) चूर्ण में बराबर मात्रा में शक्कर मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से भी हिचकी में लाभ मिलता है।
पिप्पली, आमला, मुनक्का, वंशलोचन, मिश्री व लाख को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 3 ग्राम चूर्ण में 1 ग्राम घी और 4 ग्राम शहद में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से हिचकी ठीक होती है। आपको नियमित तौर पर 10-15 दिन लेना है।  
दस्त रोकने में पीपली का उपयोग लाभदायक 
बहुत अधिक दस्त हो रहा हो तो पिप्पली को पीस लें। इसकी 2 ग्राम को मात्रा में बकरी या गाय के दूध के साथ सेवन करें। इससे दस्त पर रोक लगती है। 
पिप्पली के सेवन से पेट के दर्द में लाभ 
पेट दर्द के लिए पीपल और छोटी हरड़ को बराबर-बराबर मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करने पर पेट दर्द, पेट के मरोड़े व बदबूदार दस्त की परेशानी ठीक होती है।
पिप्पली के 2 ग्राम चूर्ण में 2 ग्राम काला नमक मिलाकर गर्म जल के साथ सेवन करने से पेट दर्द का ठीक होता है।
एक भाग पिप्पली, एक भाग सोंठ और 1 भाग काली मिर्च, तीनों को बराबर-बराबर मिलाकर, महीन पीस लें। भोजन के बाद 1 चम्मच चूर्ण को गर्म जल के साथ दो बार नियमित रूप से कुछ दिन तक सेवन करें। इससे पेट दर्द ठीक होता है। 
आंतों के रोग में पीपली के फायदे 
आंतों के रोग में पिप्पली, जीरा, कूठ, बेर और गाय के गोबर को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे कांजी के साथ खूब महीन पीसकर लेप करें। इससे लाभ होता है। यह शुरुआती स्थिति में ही लाभ पहुंचाता है।
इसी तरह पिप्पली जड़ (pipallu) को पीसकर दूध और अडूसे के रस में मिलाकर पीने से आंतों के रोग में लाभ होता है। 
पिप्पली का सेवन बवासीर में लाभदायक 
बवासीर में लाभ लेने के लिए आधा चम्मच पिप्पली के चूर्ण में बराबर मात्रा में भुना जीरा, तथा थोड़ा-सा सेंधा नमक मिला लें। इसे छाछ के साथ सुबह खाली पेट सेवन करें। इससे बवासीर में फायदा होता है।
पिप्पली, सेंधा नमक, कूठ और सिरस के बीजों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लें। इसे सेंहुड (थूहर) या बकरी के दूध में मिलाकर लेप करने से बवासीर के मस्से खत्म हो जाते हैं। सेहुण्ड का दूध तीक्ष्ण होता है, इसलिए मस्सों पर सावधानी से लगाएं। 
पिप्पली के सेवन से पाचनतंत्र विकार में लाभ 
पाचनतंत्र विकार को ठीक करने के लिए 250 ग्राम पीपल और 250 ग्राम गुड़ का पेस्ट बना लें। इसे 1 किलो गाय का घी, 4 लीटर बकरी का दूध (न मिलने पर गाय का दूध) में धीमी आग पर पकाएं। जब केवल घी मात्र रह जाये तो इस घी को पाचनतंत्र विकार और खांसी में प्रयोग करें। आपको केवल 1 चम्मच दिन में तीन बार सेवन करना है। इससे लाभ मिलता है।
छोटी पिप्पली 1 नग लेकर गाय के दूध में 10-15 मिनट उबालें। पहले पिप्पली (pipallu) खाकर ऊपर से दूध पी लें। अगले दिन 2 पिप्पली लेकर दूध में अच्छी तरह उबालकर पहले पिप्पली खा लें, फिर दूध पी लें। इस प्रकार 7 से 11 पिप्पली तक सेवन करें। जिस तरह आपने एक-एक पिप्पली को बढ़ाया था उसी तरह कम करते जाएं। यदि अधिक गर्मी ना लगे तो अधिकतम 15 दिन में 15 पिप्पली तक भी इस विधि को आजमा सकते हैं। इससे कफ, अस्थमा, सर्दी, जुकाम व पुरानी खाँसी में लाभ मिलता है। इससे पाचन-तंत्र, गैस, अपच आदि रोग भी दूर होते हैं। पिप्पली युक्त दूध का सेवन सुबह करें। दिन में सादा आहार लें। यह ध्यान रखें कि घी, तेल व किसी प्रकार की खट्टी चीज ना लें।
इसके अलावा पिप्पली, भांग और सोंठ की बराबर-बराबर मात्रा लेकर चूर्ण बना लें। इसकी 2 ग्राम की मात्रा को शहद में मिलाकर दिन में दो या तीन बार भोजन से पहले सेवन करें। इससे खाना सही से पचता है, और पाचनतंत्र ठीक रहता है। 
पिप्पली के सेवन से कब्ज की समस्या में लाभ 
पिप्पली का प्रयोग कब्ज में फायदेमंद होता है। पिप्पली की जड़ और छोटी इलायची को  बराबर-बराबर में लेकर महीन चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में घी के साथ सुबह और शाम सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है।
पिप्पली के सेवन से सिर दर्द का इलाज 
सिर दर्द में आराम पाने के लिए पिप्पली, काली मिर्च, मुनक्का, मुलेठी और सोंठ चूर्ण को मिला लें। इसके 2 ग्राम चूर्ण को गाय के मक्खन में पकाएं। इसे छानकर एक से दो बूँद नाक में डालने से सिर दर्द ठीक होता है।
इसी तरह पिप्पली को पानी में पीसकर लेप करने से भी सिर का दर्द ठीक होता है।
इसके अलावा पिप्पली चूर्ण को नाक के रास्ते लेने से सर्दी के कारण होने वाले सिर दर्द से राहत मिलती है।
आप पीपल और वच चूर्ण को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में नियमित रूप से दिन में दो बार दूध या गर्म जल के साथ सेवन करें। इससे अधकपारी ठीक होता है। 
प्रसव को आसान  बनाने के लिए पिप्पली का सेवन 
प्रसव को आसान बनाने के लिए 3 ग्राम पीपली जड़ में 3 ग्राम पुष्कर जड़ मिलाएं। इसे 400 मिली पानी में पकाएं। जब यह 100 मिली की मात्रा में बच जाए तो इसे छानकर थोड़ा-सा शहद व हींग मिलाकर मिलाकर पिलाएं। इससे प्रसव पीड़ा में बढ़ौतरी होती है, और प्रसव तुरंत हो जाता है।
प्रसव के बाद आंवल (अपरा/Placenta) गिराने के लिए तुरन्त ही इस काढ़ा को ठण्डा करके पिला देना चाहिए। 
इसी तरह प्रसूति स्त्री के अत्यधिक रक्तस्राव को बंद करने के लिए पिप्पली चूर्ण को घी में मिलाकर चटाना चाहिए। 
वीर्य रोग में पीप्पली के फायदे
वीर्य दोष को ठीक करने के लिए राल, पीपर तथा मिश्री को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाएं। 1-2 ग्राम मात्रा में तीन दिन तक दूध के साथ सेवन करें। इससे वीर्य रोग में फायदा होता है। 
स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए पिप्पली का सेवन
जिन महिलाओं को स्तनों में दूध की कमी की शिकायत होती है, वे 2 ग्राम पिप्पली फल के चूर्ण में आधा चम्मच शतावर मिलाकर शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे प्रसूता के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
इसी तरह पिप्पली, सोंठ और हरड़ के चूर्ण को समान मात्रा में लें। लगभग 3 ग्राम चूर्ण को गुड़ में मिलाएं। इसमें थोड़ा घी मिलाकर दूध के साथ दिन में दो बार खिलाने से भी स्तनपान कराने वाली महिलाओं को दूध की वृद्धि होती है। यह प्रयोग लगभग दो माह तक करें।
साइटिका में पीपली के फायदे 
साइटिका में फायदा लेने के लिए तेल में पीपल और सोंठ को पकाएं। इससे मालिश करने से साइटिका में लाभ होता है।
इसी तरह 3 ग्राम पिप्पली चूर्ण को 100 मिली गौमूत्र और 10 मिली अरंडी के तेल के साथ मिला लें। इसे दिन में दो बार पिलाने से भी साइटिका  में लाभ होता है।
आधा चम्मच पिप्पली चूर्ण में 2 चम्मच अरंडी के तेल मिला लें। इसे नियमित तौर पर सुबह-शाम सेवन करने से साइटिका  में लाभ (benefits of long) होता है।  
पिप्पली का उपयोग कर त्वचा रोग का इलाज 
आप त्वचा रोग में फायदा लेने के लिए भी पिप्पली का इस्तेमाल कर सकते हैं। वर्धमान पिप्पली का प्रयोग करने से पित्ती रोग में लाभ होता है।
पिप्पली का उपयोग कर बुखार का इलाज 
बुखार को ठीक करने के लिए आधा चम्मच पिप्पली चूर्ण को शहद के साथ सेवन करें। इससे सूतिका बुखार, गंभीर बुखार और कफ के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है। 
पीपली चूर्ण का सेवन बुखार के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है क्योंकि पीपली में आयुर्वेद के अनुसार ज्वरहर गुण होता है जिससे पीपली बुखार को कम करने में मदद करती है। 
इसी तरह 3 ग्राम पिप्पली जड़ चूर्ण में 2 ग्राम घी और 5 ग्राम शहद मिलाकर दिन में तीन बार चाटें। इसके साथ गाय का गर्म दूध पिएं। इससे खांसी के साथ होने वाली गंभीर बुखार, तथा हृदयरोग में भी लाभ होता है।
इसके अलावा पीपर, नीम, गिलोय, सोंठ, देवदारु, अडूसा, भारंगी, नेत्रवाला, पीपराजड़ तथा पोहकर जड़ का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से सांसों की बीमारी के साथ-साथ खांसी वाले बुखार में लाभ होता है।
बुखार को दूर करने के लिए 3 ग्राम पिप्पली को 1 गिलास पानी में पकाएं। जब यह एक चौथाई रह जाए तो इसे छान लें। इसमें 1 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीने से कफ के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।  

आंखों के रोग में पीपली का गुण फायदेमंद 
आंख की बीमारी में पिप्पली का खूब महीन चूर्ण बना लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे आंखों का धुंधलापन, रतौंधी व जाला आदि रोगों में लाभ (benefits of long) मिलता है।
इसी तरह एक भाग पिप्पली और दो भाग हरड़ को मिलकर पानी के साथ खूब महीन पीस लें। इसकी बत्तियां बना लें और इसे पीसकर आंखों में लगाने से आंखों के बहने, आंखों के धुंधलेपन, आंखों में होने वाली खुजली आदि रोगों में लाभ होता है।
आप पिप्पली को गौमूत्र में घिसकर काजल की तरह लगाएं। इससे भी रतौंधी में भी लाभ होता है।
आंखों की पुतली की बीमारी के लिए 10-20 मिली पिप्पली काढ़ा बना लें। इसमें शहद मिलाकर गरारा करें। इससे अधिमांस रोग में लाभ होता है। 
कान के रोगों में पीपली के गुण से फायदा 
कान के दर्द में पिप्पली चूर्ण को निर्धूम अंगारे पर रखें। इससे जो धुँआ निकले, उसमें कान पर लगाएं। इससे कान दर्द ठीक होता है। 
एनीमिया में पीपली का गुण लाभदायक 
पाण्डु या एनीमिया रोग के लिए एक भाग शहद, 2 भाग घी, 4 भाग पिप्पली, 8 भाग मिश्री, 32 भाग दूध, और 6-6 भाग दालचीनी, तमाल पत्र, इलायची, नागकेशर लें। सबको अच्छी तरह मसलकर-पकाकर लड्डू बना लें। रोज एक लड्डू का सेवन करने से एनीमिया रोग में लाभ होता है। आप घी और मिश्री की मात्रा को आवश्यकतानुसार बढ़ाकर भी प्रयोग कर सकते हैं।  
मासिक धर्म विकार में पिप्पली का गुण फायदेमंद 
मासिक धर्म विकार में पिप्पली, सोंठ, मरिच और नागकेशर को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। 1-2 ग्राम चूर्ण को घी में मिलाकर दूध के साथ खाने से माहवारी संबंधित विकारों में लाभ होता है। इससे गर्भाशय से संबंधित विकार और दर्द भी ठीक होता है।
यह मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द व हार्मोन्स के विकारों में भी यह लाभ पहुंचाता है। महिलाओं को इसे दो-तीन माह तक सुबह और शाम सेवन करना चाहिए। 

शरीर दर्द में पीपली के फायदे 
शरीर के दर्द में पीपली का सेवन फायदेमंद हो सकता है क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार पीपली में दर्दनिवारक गुण पाया जाता है साथ हि आयुर्वेद के अनुसार भी पीपली में वात शामक गुण होता है और वात का प्रकुपित होना ही शरीर में दर्द का कारण होता है। 
प्लीहा (तिल्ली) वृद्धि में पिप्पली से लाभ 
तिल्ली (प्लीहा) के बढ़ने की समस्या में 2 से 4 ग्राम पिप्पली चूर्ण में 1 चम्मच शहद मिला लें। इसे सुबह-शाम नियमित रूप से देने से लाभ होता है। 
टीबी में पिप्पली से लाभ 
टीबी की बीमारी में 250 ग्राम पीपल और 250 ग्राम गुड़ का पेस्ट बना लें। इसे 1 किलो गाय का घी, 4 ली बकरी का दूध (न मिलने पर गाय का दूध) में धीमी आग पर पकाएं। जब केवल घी मात्र रह जाये तो इसका प्रयोग करें। आपको केवल 1 चम्मच दिन में तीन बार सेवन करना है। इससे लाभ मिलता है। 
ह्रदय रोग में पीपली से लाभ 
ह्रदय रोग में पिप्पली जड़ और छोटी इलायची को बराबर-बराबर लेकर महीन चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम तक की मात्रा में घी के साथ सुबह और शाम सेवन करने से हृदय रोगों में लाभ होता है।
इसके साथ ही पिप्पली चूर्ण में बराबर मात्रा में बिजौरे नींबू की जड़ की छाल का चूर्ण मिला लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में सुबह खाली पेट अर्जुन के काढ़े के साथ सेवन करें। इससे हृदय रोग जैसे- छाती में दर्द या छाती के अन्य गंभीर रोगों में लाभ होता है। 


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