जय श्री राम,,,,, हर हर महादेव
रंग बदलने वाले शिवलिंग, रोज 3 बार बदलता है शिवलिंग का रंग
धौलपुर का यह शिवलिंग दिन में 3 बार अपना रंग बदलता है। शिवलिंग का रंग दिन में लाल, दोपहर को केसरिया और रात को सांवला हो जाता है। ऐसा क्यों होता है इसका जवाब अब तक किसी वैज्ञानिक को नहीं मिल सका है।
कई बार मंदिर में रिसर्च टीमें आकर जांच-पड़ताल कर चुकी हैं। फिर भी इस चमत्कारी शिवलिंग के रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका है
भगवान शिव को वेदों और शास्त्रों में परम कल्याणकारी और जगदगुरू बताया गया है।
रंग बदलने वाले शिवलिंग , अचलेश्वर महादेव मन्दिर की जानकारी , Achaleshwar Mahadev Mandir
यह सर्वोपरि तथा सम्पूर्ण सृष्टि के स्वामी हैं। भारत में एक भगवान शिव ही ऐसे हैं जिन्हें कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और गुजरात से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक सभी समान रूप से पूजते हैं. भगवान शिव की मान्यता भी पूरे भारत में समान ही है।
आइये आज पढ़ते हैं शिव भगवान के एक ऐसे चमत्कारिक शिवलिंग की बारे में जो दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है. इस मंदिर की महिमा और महत्त्व का आज तक लोगों को पता नहीं होने की वजह से लोग यहाँ कम संख्या में ही पहुँच पाते हैं।
अगर आप भगवान शिव के ‘अचलेश्वर महादेव’ मंदिरो को खोजते हैं तो आप इस नाम से पूरे भारत में कई मंदिरों को देख सकते हैं. किन्तु यदि आप चमत्कारिक, रंग बदलने वाले शिवलिंग को खोजते हैं तो आप राजस्थान के धौलपुर जिले में स्थित ‘अचलेश्वर महादेव’ मन्दिर के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. धौलपुर जिला राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है।
यह इलाका चम्बल के बीहड़ों के लिये भी प्रसिद्ध है। कभी यहाँ बागी और डाकूओं का राज हुआ करता था. इन्ही बीहड़ो में मौजूद है, भगवान अचलेश्वर महादेव का मन्दिर। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है यहां स्थित शिवलिंग दिन मे तीन बार रंग बदलता है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
सुबह के समय इसका रंग लाल रहता है तो दोपहर को केसरिया और रात को यह चमत्कारिक शिवलिंग श्याम रंग का हो जाता है। इस शिवलिंग के बारें में एक बात और भी प्रसिद्ध है कि इस शिवलिंग का अंत आज तक कोई खोज नहीं पाया है।
रंग बदलने वाले शिवलिंग , अचलेश्वर महादेव मन्दिर की जानकारी , Achaleshwar Mahadev Mandir
आसपास के लोग बताते हैं कि बहुत साल पहले इस शिवलिंग के रंग बदलने की घटना का पता लगाने के लिए खुदाई हुई थी. तब पता चला कि इस शिवलिंग का कोई अंत भी नहीं है. काफी खोदने के बाद भी इस शिवलिंग का अंत भी नहीं हुआ. तबसे इस शिवलिंग की महिमा और भी बढ़ चुकी है।
अचलेश्वर महादेव के रंग बदलने के पीछे कौन-सा विज्ञान है इस बात के लिए पुरातत्व विभाग भी यहाँ कार्य कर चुका है लेकिन सभी इस ईश्वरीय शक्ति के सामने हार मान चुके हैं।
मंदिर की महिमा का व्याख्यान करते हुए पुजारी बताते हैं कि यहाँ से भक्त खाली नहीं जाते हैं. खासकर युवा लड़के और लड़कियां यहाँ अपने करियर, नौकरी और विवाह संबंधित समस्याओं के साथ आते हैं और यह भगवान शिव की महिमा ही है कि वह सबकी मुरादे पूरी भी करते हैं।
साथ ही साथ पुजारी यह भी बताते हैं कि इस मंदिर का महत्त्व तो हज़ारों सालों से जस का तस है किन्तु फिर भी बहुत अच्छी संख्या में भक्त इसलिए नहीं आ पाते हैं क्योकि यहाँ आने वाला रास्ता आज भी कच्चा और उबड़-खाबड़ है।
आज भी यह एक रहस्य ही है कि इस शिवलिंग का उद्भव कैसे हुआ और कैसे ये अपना रंग बदलता है. भगवान अचलेश्वर महादेव का यह मन्दिर हजारों साल पुराना बताया जाता है। यह शिवलिंग एक प्राचीन चट्टान से बना हुआ है और देखने से ऐसा भी प्रतीत होता है कि जैसे किसी पहाड़ को काटकर यहाँ रख दिया गया है।
अब आप इसे चाहें तो भगवान का चमत्कार भी बोल सकते हो और यदि विज्ञान को मानते हो तो इस बात का पता लगाने के लिए इस पहेली पर काम भी कर सकते हो।
बात चाहे जो भी हो किन्तुयदि आप कभी धौलपुर (राजस्थान) जायें तो एक बार भगवान ‘अचलेश्वरमहादेव’ के दर्शनों का लाभअवश्य उठायें.