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Khatu Shyam Baba Ki Kahta

श्री खाटू श्याम की कथा - Shyam Baba Ki Kahta 

KhatuShyam Ji खाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले मे स्थित एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। राजस्थान के सीकर जिले मे एक प्रसिद्ध कस्बा है खाटू नगर, और यहां पर ही बाबा श्याम का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है जहां लोखों भक्त दर्शन के लिए आते है और बाबा के चरणों मे शीश झुकाकर सुख-शांति की कामने करते और मान्यता है की जो बिही भक्त बाबा के इस दरबार मे शीश झुकाकर सच्चे दिल से जो भी मनोकामना करते है उनकी मुरादे बाबा श्याम जरूर पूरी करते है ये जानकार आपको बाबा श्याम के दर्शन करने की इच्छा तो जरूर मन मे झलकने लेगी होगी तो आइये अब हम आपको बताते है की बाबा श्याम कौन है। 
                               

खाटू श्याम की कथा
लाक्षागृह की घटना में प्राण बचाकर वन-वन भटकते पांडवों की मुलाकात हिडिंबा नाम की राक्षसी से हुआ। यह भीम को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थी। माता कुंती की आज्ञा से भीम और हिडिंबा का विवाह हुआ जिससे घटोत्कच का जन्म हुआ। घटोत्कच का पुत्र हुआ बर्बरीक जो अपने पिता से भी शक्तिशाली और मायाबी था।
– बर्बरीक देवी का उपासक था। देवी के वरदान से उसे तीन दिव्य बाण प्राप्त हुए थे जो अपने लक्ष्य को भेदकर वापस लौट आते थे। इनकी वजह से बर्बरीक अजेय हो गया था।
-महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक युद्ध देखने के इरादे से कुरुक्षेत्र आ रहा था। श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल हुआ तो परिणाम पाण्डवों के विरुद्ध होगा। बर्बरीक को रोकने के लिए श्री कृष्ण गरीब ब्राह्मण बनकर बर्बरीक के सामने आए। अनजान बनते हुए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछ कि तुम कौन हो और कुरुक्षेत्र क्यों जा रहे हो। जवाब में बर्बरीक ने बताया कि वह एक दानी योद्धा है जो अपने एक बाण से ही महाभारत युद्ध का निर्णय कर सकता है। श्री कृष्ण ने उसकी परीक्षी लेनी चाही तो उसने एक बाण चलाया जिससे पीपल के पेड़ के सारे पत्तों में छेद हो गया। एक पत्ता श्रीकृष्ण के पैर के नीचे था इसलिए बाण पैर के ऊपर ठहर गया।
                     
– श्रीकृष्ण बर्बरीक की क्षमता से हैरान थे और किसी भी तरह से उसे युद्ध में भाग लेने से रोकना चाहते थे। इसके लिए श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से कहा कि तुम तो बड़े पराक्रमी हो मुझ गरीब को कुछ दान नहीं दोगे। बर्बरीक ने जब दान मांगने के लिए कहा तो श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक समझ गया कि यह ब्राह्मण नहीं कोई और है और वास्तविक परिचय देने के लिए कहा। श्रीकृष्ण ने अपना वास्तविक परिचय दिया तो बर्बरीक ने खुशी-खुशी शीश दान देना स्वीकर कर लिया।
-रात भर भजन-पूजन कर फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को स्नान पूजा करके, बर्बरीक ने अपने हाथ से अपना शीश श्री कृष्ण को दान कर दिया। शीश दान से पहले बर्बरिक ने श्रीकृष्ण से युद्ध देखने की इच्छा जताई थी इसलिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक के कटे शीश को युद्ध अवलोकन के लिए, एक ऊंचे स्थान पर स्थापित कर दिया।
-युद्ध में विजय श्री प्राप्त होने पर पांडव विजय का श्रेय लेने हेतु वाद-विवाद कर रहे थे। तब श्रीकृष्ण ने कहा की इसका निर्णय बर्बरीक का शीश कर सकता है। बर्बरीक के शीश ने बताया कि युद्ध में श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र चल रहा था जिससे कटे हुए वृक्ष की तरह योद्धा रणभूमि में गिर रहे थे। द्रौपदी महाकाली के रूप में रक्त पान कर रही थीं।
-श्री कृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक के उस कटे सिर को वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे श्याम नाम से पूजित होगे तुम्हारे स्मरण मात्र से ही भक्तों का कल्याण होगा और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होगी।
-स्वप्न दर्शनोंपरांत बाबा श्याम, खाटू धाम में स्थित श्याम कुण्ड से प्रकट हुए थे। श्री कृष्ण विराट शालिग्राम रूप में सम्वत् 1777 से खाटू श्याम जी के मंदिर में स्थित होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण कर कर रहे हैं।
-खाटू श्याम मंदिर जयपुर से उत्तर दिशा में वाया रींगस होकर 80 किलोमीटर दूर पड़ता है। इस श्याम मंदिर की आधारशिला सन् 1720 में रखी गई थी। इतिहासकारों के मुताबिक सन् 1679 में औरंगजेब की सेना ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया था।
-इस मंदिर की रक्षा के लिए उस समय अनेक राजपूतों ने अपना प्राणोत्सर्ग किया था। खाटू के श्याम मंदिर में भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक की पूजा श्याम के रूप में की जाती है।

हर साल लगता है खाटूश्याम मेला
प्रत्येक वर्ष होली के दौरान खाटू श्यामजी का मेला लगता है। इस मेले में देश-विदेश से भक्तजन बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है। बाबा श्याम, हारे का सहारा, लखदातार, खाटूश्याम जी, मोर्विनंदन, खाटू का नरेश और शीश का दानी इन सभी नामों से खाटू श्याम को उनके भक्त पुकारते हैं। खाटूश्याम जी मेले का आकर्षण यहां होने वाली मानव सेवा भी है। बड़े से बड़े घराने के लोग आम आदमी की तरह यहां आकर श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
खाटूश्याम जी के चमत्कार
भक्तों की इस मंदिर में इतनी आस्था है कि वह अपने सुखों का श्रेय उन्हीं को देते हैं। भक्त बताते हैं कि बाबा खाटू श्याम सभी की मुरादें पूरी करते हैं। खाटूधाम में आस लगाने वालों की झोली बाबा खाली नहीं रखते हैं।

खाटूश्याम मंदिर कैसे पहुंचे ?
खाटू श्याम मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के सीकर जिले में स्थित है खाटूश्याम जी के मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले रींगस पहुंचना होगा. जो कि रींगस टाउन से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो कि सीकर व जयपुर हाईवे के बीच स्थित है. रिंगस खाटू श्याम मंदिर के निकटतम रेलवे स्टेशन है. उसके बाद आप कार, बस के द्वारा खाटू श्याम जी के मंदिर पहुंच सकते हैं.
  • खाटू श्याम मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के सीकर जिले में स्थित है जो कि निकटतम रेलवे स्टेशन
  • रींगस से लगभग 17 किलोमीटर
  • जयपुर से 80 किलोमीटर
  • दिल्ली से 266 किलोमीटर
  • निकटतम हवाई अड्डा: जयपुर और दिल्ली
रेल, सडक व हवाई मार्ग द्वारा देश के किसी भी इससे खाटू श्याम मंदिर पहुंचने के लिए दिल्ली या जयपुर उतर सकते हैं और उसके बाद बताए गए मार्गों के द्वारा आप श्री खाटू श्याम मंदिर में पहुंच सकते हैं.
रिंगास मुख्य जंक्शन या बस स्टॉप है जो NH-11 से जुड़ा है. यहाँ से आपको श्री ऑटो श्याम मंदिर खाटूश्याम जी तक पहुँचने के लिए टैक्सी, बस आसानी से किराए पर ले सकते हैं.

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