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Chirayta ke Fayade

चिरायता के फायदे  , Chirayta ke Fayade , Benefits of Absinthe

भारत में प्रकृतिक चिकित्सा प्रणाली को एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है और आयुर्वेद विश्व की सबसे प्राचीन प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली है। आयुर्वेद में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से उपचार किया जाता है, चिरायता एक ऐसी ही जड़ी-बूटी है, जिसे आयुर्वेद में औषधि माना जाता है। हमारे देश में सदियों से चिरायता का इस्तेमाल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और बीमारियों को ठीक करने में किया जा रहा है। 

चिरायता एक ऐसी जड़ी बूटी है जिसका इस्तेमाल पहले बुखार उतारने के लिए किया जाता था। ये बाजार में विभिन्न रूपों जैसे पाउडर, कैप्सूल और क्वाथ में उपलब्ध है और इसे लोग अलग बीमारियों के घरेलू उपाय के रूप में इस्तेमाल करते हैं। पर क्या आपको मालूम है कि चिरायता ब्लड शुगर कंट्रोल (chirata herb for diabetes) करने में भी मददगार है? तो हां, चिरायता ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मददगार। दरअसल, इसका हाइपोग्लाइकेमिक गुण शरीर में ब्लड शुगर में अचानक होने वाले स्पाइक को रोकता है। इसके अलावा इसमें पाए जाने वाले कुछ अव्यय पेनक्रिएटिक सेल्स से इंसुलिन के प्रोडक्शन को एक्टिवेट करते हैं और शुगर पचाने में मदद करते हैं। इसके अलावा भी डायबिटीज के मरीजों के लिए चिरायता बहुत फायदेमंद है। 
चिरायता के फायदे  , Chirayta ke Fayade , Benefits of Absinthe
 पेट में कीड़े होने पर 
चिरायता के गुण पेट के कीड़ों को भी खत्म (Chirata ke fayde) करते हैं। सुबह भोजन के पहले (5-10 मिली) चिरायता के रस में मधु मिश्रित कर सेवन करने से आंत के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
 दस्त में चिरायता 
दस्त को रोकने के लिए भी चिरायता (chirota leaf) फायदेमंद होता है। इसके लिए  बराबर-बराबर मात्रा में चिरायता, नागरमोथा, इन्द्रजौ तथा रसाञ्जन के चूर्ण (2-4 ग्राम) लें। आप इनकी जगह पेस्ट भी ले सकते हैं। इसमें मधु मिला लें। इसे चाट लें। इसके बाद चावल के धुले हुए पानी को पिएं। इससे पित्त विकार के कारण होने वाली दस्त पर रोक लगती है।
2-4 ग्राम बेल गिरी का चूर्ण खाकर ऊपर से चिरायते का काढ़ा पीने से दस्त में लाभ होता है।
 पीलिया और एनीमिया रोग में
अडूसा, चिरायता (chirota leaf), कुटकी, त्रिफला, गिलोय तथा नीम की छाल का काढ़ा बना लें। 15-20 मिली काढ़ा में मधु डालकर पिलाने से कामला तथा पाण्डु (पीलिया या एनीमिया) रोग में लाभ होता है।
सूजन की समस्या में 
चिरायता तथा सोंठ को समान मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसे 2-4 ग्राम की मात्रा में लेकर पुनर्नवा के काढ़ा के साथ मिलाकर पिएं। इससे सूजन कम होती है।
बराबर-बराबर मात्रा में चिरायता तथा सोंठ चूर्ण को गुनगुने जल के साथ 2-4 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे त्रिदोष के कारण होने वाली सूजन की बीमारी में लाभ होता है। इससे पुरानी सूजन भी ठीक हो जाती है।
सोंठ तथा चिरायता को बिम्बी के रस में मिला लें। इसका लेप करने से सूजन की समस्या ठीक हो जाती है।
  रक्तशोधक के रूप 
अगर आप रक्त में अशुद्धियाँ या टॉक्सिन्स होने के कारण होने वाले  रोग से परेशान है तो चिरायते का सेवन आपके लिए फ़ायदेमंद हो सकता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार चिरायता में रक्तशोधक का गुण पाया जाता है। इसलिए चिरायता का सेवन रक्त के अशुद्ध से होने वाले रोगों के उपचार में फायदेमंद होता है। 
 लीवर में 
चिरायता लीवर संबंधी समस्याओं के लिए रामबाण औषधि है, क्योंकि चिरायता में हेपटो -प्रोटेक्टिव गुण पाया जाता है जो कि लीवर को स्वस्थ्य बनाये रखने में मदद करता है। (चिरायता के फायदे  , Chirayta ke Fayade , Benefits of Absinthe)
 कब्ज में 
अगर आप कब्ज से परेशान है और कोई औषधि काम नहीं कर रही है तो चिरायता आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है, क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार चिरायता में लैक्सटिव का गुण पाया जाता है इसलिए चिरायता का सेवन कब्ज को दूर करने में मदद करता है।
 त्वचा रोगों में 
त्वचा रोगों में चिरायता का प्रयोग फायदेमंद होता है। चिरायता के पचांग का लेप घाव को जल्द भरने में मदद करता है क्योंकि चिरायता में रोपण (हीलिंग) का गुण पाया जाता है जो कि घाव को भरने में मदद करता है। 
पेट के दर्द में 
चिरायता के फायदे (Chirata ke fayde) की बात की जाए तो यह पेट के दर्द से भी आराम दिलाता है। चिरायता तथा एरण्ड की जड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली मात्रा में पिलाने से पेट के दर्द से आराम मिलता है।
लिवर विकार में 
चिरायता का पौधा (Chirata plant) लें। इससे बने चूर्ण, पेस्ट, काढ़े का सेवन करने से लिवर की सूजन ठीक होती है।
आंखों के रोग में 
चिरायता के फल में पिप्पली पेस्ट और सौवीराञ्जन मिलाकर रख लें। एक सप्ताह के बाद मातुलुंग के रस में पीस लें। इसे रोजाना काजल की तरह लगाने से आंखों की बीमारी (पिष्टक) में लाभ होता है।
खांसी का इलाज 
चिरायता का पौधा (Chirata plant) खांसी के इलाज में भी काम आता है। चिरायता का काढ़ा बना लें। इसे 20-30 मिली की मात्रा में पिएं। इससे खांसी में लाभ होता है। इससे आंत में रहने वाले कीड़े खत्म होते हैं। (चिरायता के फायदे  , Chirayta ke Fayade , Benefits of Absinthe)
 बवासीर  में
चिरायता पीने के फायदे बवासीर की बीमारी में ले सकते हैं। बराबर मात्रा में दारुहल्दी, चिरायता (chirota leaf), नागरमोथा तथा धमासा के चूर्ण (2-4 ग्राम) का सेवन करने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) में लाभ हाता है।
चिरायता, सोंठ, धन्वयास, कुंदन आदि द्रव्यों से काढ़ा बना लें। काढ़ा को 10-30 मिली की मात्रा में सेवन करें। इससे कफज विकार के कारण होने वाली रक्तार्श (खूनी बवासीर) में लाभ (chirayata ke fayde) होता है।
चर्म रोग
बराबर-बराबर मात्रा में चिरायता, लोध्र, चन्दन, दुरालभा, सोंठ, कमल लें। इसके साथ ही केशर, नीलकमल, बहेड़ा, मुलेठी तथा नागकेशर लें। इनका चूर्ण बना लें। इसे 25 ग्राम की मात्रा में लेकर 200 मिली जल में पका लें। जब काढ़ा एक चौथाई बच जाए तो इसे 5-10 मिली मात्रा में पीने से विसर्प रोग (त्वचा रोग) में लाभ होता है।
बुखार उतारने के लिए 
बराबर-बराबर मात्रा में चिरायता, नागरमोथा, गुडूची तथा सोंठ के काढ़े का सेवन करें। इससे बुखार, अत्यधिक प्यास, भूख की कमी, बुखार एवं मुंह का स्वाद ठीक होता है।
बराबर मात्रा में चिरायता, कुटकी, नागरमोथा, पित्तपापड़ा तथा गुडूची का काढ़ा बना लें। 10-30 मिली मात्रा में रोजाना सेवन करने से बार-बार आने वाला बुखार ठीक होता है।
बराबर मात्रा में चिरायता, गुडूची, द्राक्षा, आँवला तथा कचूर के (10-30 मिली) काढ़े में गुड़ मिलाकर पिएं। इससे वात-पित्त विकार के कारण होने वाले बुखार में लाभ होता है।
750 ग्राम चिरायता चूर्ण तथा 50 ग्राम साबुत पिप्पली को चार गुने जल में तब तक उबालें, जब तक कि पूरा जल सूख न जाए। बचे हुए पिप्पली को छाया में सुखा लें। इसे चूर्ण बनाकर 1-2 ग्राम मात्रा में मधु के साथ सेवन करने से बुखार में लाभ होता है।
 ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में 
शुगर को नियंत्रित करने के लिए चिरायता एक प्रसिद्ध औषधि है, क्योंकि चिरायता में एंटी डायबिटिक क्रियाशीलता पायी जाती है साथ ही  चिरायता में तिक्त रस होने के कारण भी चिरायता मधुमेह में फ़ायदेमदं होता है। 
 गठिया का दर्द 
गठिया की समस्या से परेशान लोगो के लिये चिरायता का उपयोग फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि चिरायता में एंटी आर्थराइटिस का गुण पाया जाता है। चिरायते का प्रयोग करने से गठिया के कारण होने वाले दर्द में भी आराम होता है। 
पेट में गैस या ब्लॉटिंग की समस्या 
चिरायता पाचन संबंधी विकार जैसे ब्लोटिंग में फायदेमंद होता है, क्योंकि ये पाचन शक्ति को बढ़ाकर खाने को पचने में मदद करता है और ब्लोटिंग जैसी समस्या को दूर करता है।  (चिरायता के फायदे  , Chirayta ke Fayade , Benefits of Absinthe)
 कैंसर में चिरायता 
चिरायता में कैंसररोधी गुण पाया जाता है, इसलिए कैंसर को फैलने से रोकने के लिये चिरायता का प्रयोग कर सकते है। 
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