Mulethi Ke Fayde
मुलेठी के फायदे , Mulethi Ke Fayde , Benefits of Liquorice in Hindi
भारत में ऐसे कई पेड़-पौधे पाए जाते हैं, जो विभिन्न प्रकार के औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। ऐसे पेड़-पौधे हमारे आसपास या दूर पहाड़ी इलाकों में अक्सर देखने को मिल सकते हैं। इनका उपयोग स्वास्थ्य के लिए घरेलू उपचार के रूप में लंबे समय से किया जाता रहा है। इन्हीं में से एक ऐसा पौधा मुलेठी का है, जो लोगों के स्वास्थ्य को कई प्रकार से लाभ पहुंचा सकता है। स्टाइलक्रेज का यह लेख मुलेठी के लाभ पर ही आधारित है। इस लेख में मुलेठी से जुड़े कई स्वास्थ्य फायदों के बारे में बताया जाएगा।
मुलेठी स्वस्थ रखने के साथ-साथ कुछ शारीरिक समस्याओं से उबरने में भी मदद कर सकती है। वहीं, गंभीर बीमारी की अवस्था में डॉक्टर से चेकअप करवाना जरूरी होता है। यही कारण है कि इस लेख में हम मुलेठी पाउडर के फायदे, मुलेठी का उपयोग, मुलेठी के नुकसान और मुलेठी के गुण के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं। जानते हैं मुलेठी के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से।
मुलेठी क्या है –
मुलेठी एक लकड़ी की तरह दिखने वाला खाद्य पदार्थ है। यह मुलेठी के झाड़ीनुमा पौधे का तना होता है। इसे काटने के बाद, इसको सुखाया जाता है, जिसके बाद इसका पाउडर के रूप या छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। मुलेठी को अंग्रेजी भाषा में लीकोरिस (Licorice) कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम ग्लाइसीराइजा ग्लबरा (Glycyrrhiza glabra) नाम है। चबाने पर इसका स्वाद मीठा लगता है। खास बात यह कि आजकल कई टूथपेस्ट में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
मुलहठी (Benefits And Uses Of Mulethi) स्वाद में मधुर, शीतल, पचने में भारी, स्निग्ध और शरीर को बल देनेवाली होती है, इन गुणों के कारण यह बढ़े हुए तीनों दोषों को शांत करती है.
- खांसी, जुकाम में कफ को कम करने के लिए मुलहठी का ज्यादातर उपयोग किया जाता है.
- बढ़े हुए कफ से गला, नाक, छाती में जलन हो जाने जैसी अनुभूति होती है, तब मुलहठी को शहद में मिलाकर चटाने से बहुत फायदा होता है.
- बड़ों के लिए मुलहठी के चूर्ण का इस्तेमाल कर सकते हैं. शिशुओं के लिए मुलहठी के जड़ को पत्थर पर पानी के साथ 6-7 बार घिसकर शहद या दूध में मिलाकर दिया जा सकता है.
- यह स्वाद में मधुर होने के कारण प्रायः सभी बच्चे बिना झिझक के इसे चाट लेते हैं.
- मुलहठी बुद्धि को भी तेज करती है. अतः छोटे बच्चों के लिए इसका उपयोग नियमित रूप से कर सकते हैं.
- यह हल्की रेचक होती है. अतः पाचन के विकारों में इसके चूर्ण को इस्तेमाल किया जाता है. विशेषतः छोटे बच्चों को जब कब्ज होती हैं, तब हल्के रेच के रूप में इसका उपयोग किया जा सकता है.
- छोटे शिशु कई बार शाम को रोते हैं. पेट में गैस के कारण उन्हें शाम के वक्त पेट में दर्द होता है, उस समय मुलहठी को पत्थर पर घिसकर पानी या दूध के साथ पिलाने से पेटदर्द शांत हो जाता है.
- मुलहठी की मधुरता से पित्त का नाश होता है. आमाशय की बढ़ी हुई अम्लता एवं अम्लपित्त जैसी व्याधियों में मुलहठी काफी उपयुक्त सिद्ध होती है.
- आमाशय के अंदर हुए व्रण (अलसर) को मिटाने के लिए एवं पित्तवृद्धि को शांत करने के लिए मुलहठी का उपयोग होता है. मुलहठी को मिलाकर पकाए गए घी का प्रयोग करने से अलसर मिटता है.
- यह कफ को आसानी से निकालता है. अतः खांसी, दमा, टीबी एवं स्वरभेद (आवाज बदल जाना) आदि फेफड़ों की बीमारियों में बहुत ही लाभदायक है.
- कफ के निकल जाने से इन रोगों के साथ बुखार भी कम हो जाता है. इसके लिए मुलहठी का एक छोटा टुकड़ा मुंह में रखकर चबाने से भी फायदा होता है.
- पेशाब की जलन मुलहठी के सेवन से कम होती है और पेशाब की रुकावट दूर होती है.
- मुलहठी शरीर के भीतरी एवं बाहरी जख्मों को जल्दी भरता है, अतः जहां पर जख्म से रक्तस्राव होता है, उस पर मुलहठी का उपयोग फायदेमंद होता है.
- केवल मुलहठी के चूर्ण के सेवन से गुदा से होनेवाला रक्तस्राव, वह चाहे जिस वजह से हो, बंद हो जाता है. जख्मों पर भी मुलहठी का लेप करें. इससे रक्तस्राव रुक जाता है और जख्म ठीक हो जाता है.
- त्वचा रोगों में भी मुलहठी लाभकारी है. चेहरे के मुंहासों को दूर करने के लिए मुलहठी का लेप बनाकर इस्तेमाल किया जाता है. इससे त्वचा का रंग निखर आता है, त्वचा की जलन और सूजन दूर होती है.
- यौवन को बनाए रखने के लिए इसका भीतरी एवं बाहरी प्रयोग काफी लाभदायी होता है.
- गुदा से रक्तस्राव होने पर मुलहठी आधा ग्राम, काली मिट्टी एक ग्राम और शंखभस्म 250 मि.ग्राम एक साथ मिलाकर शहद और चावल के धोबन के साथ दिन में चार बार सेवन करने से लाभ होता है.
- मुलहठी 1/2 ग्राम, पिपलामूल 1/2 गा्रम में गुड़, शहद और घी को स्वाद के अनुसार मिलाकर 3-4 बार सेवन करने से खांसी से राहत मिलती है.
- आंखों की जलन दूर करने के लिए मुलहठी और पद्माख को जल के साथ घिसकर आंखों के ऊपर लेप करें.
- मुलहठी, काला तिल, आंवला और पद्मकेशर के चूर्ण में शहद मिलाकर उसका लेप सिर पर करने से बाल मजबूत और काले होते है.
- त्वचा के जख्म में जलन और पीड़ा हो रही हो तो जौ के आटे में मुलहठी और तिल का चूर्ण तथा घी मिलाकर पेस्ट जैसा बना लें. इसे जख्म पर लेप करने से घाव शीघ्र भर जाता हैं.