आज हम बात करेंगे अंकोरवाट मंदिर के बारे मे, अंकोरवाट मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर है और एक चौका देने वाली बात ये है की, यह भारत में नहीं बल्कि यह कंबोडिया में स्थित है।
देश विदेश से लोग यहाँ इस मंदिर के वास्तुशास्त्र के सौंदर्य को देखने और यहाँ का सूर्योदय और सूर्यास्त देखने भी आते हैं। कुछ धार्मिक लोग इसे दुनिया का सबसे बड़ा पवित्र तीर्थस्थान भी मानते हैं, इस मंदिर में मिस्र के पिरामिड से जादा पत्थरों का प्रयोग किया है।
अंकोरवाट मंदिर का रोचक इतिहास Angkor Wat Mandir History In Hindi दुनिया के सबसे बड़े, रहस्यमय, मशहूर और लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक होने के साथ ही यह मंदिर यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में से एक है। अपने विशाल बनावट की वजह से इस मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया है। इस मंदिर का इतिहास बहुत ही जटिल, रहस्यमय और रोचक है।
Angkor Wat Temple History In Hindi - अंकोरवाट मंदिर का इतिहास
अंकोरवाट मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर और दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है जो कंबोडिया के अंकोर में है। जिसका पुराना नाम "यशोधरपुर" था। कंबोडिया राष्ट्र के सम्मान का प्रतीक माने जाने वाले इस मंदिर को 1983 से कंबोडिया के राष्ट्रध्वज में भी स्थान दिया गया है।
इस मंदिर का निर्माण 11 वि सदी के "सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय" के शासनकाल के दौरान शुरू हुआ था। वैसे देखा जाये तो मूल रूप से यह मंदिर खमेर साम्राज्य के लिए श्री भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया है पर यह मंदिर धीरे धीरे 12 वीं शताब्दी के अंत में बौद्ध मंदिर में परिवर्तित हो गया था।
खमेर शास्त्रीय शैली से प्रभावित स्थापत्य वाले इस अंकोरवाट मंदिर के निर्माण का कार्य सूर्यवर्मन द्वितीय ने शुरू किया पर वे इसे पूरा नहीं कर पाये, तो फिर इस मंदिर का निर्माण कार्य उनके भानजे उत्तराधिकारी "धरणीन्द्रवर्मन" के शासनकाल में पूरा हुआ।
इसका मूल शिखर लगभग 64 मीटर ऊँचा है, इसके अतिरिक्त अन्य सभी आठों शिखर 54 मीटर ऊँचे हैं। यह मंदिर साढ़े तीन किलोमीटर लंबी पत्थर की दीवार से घिरा हुआ था और उसके बाहर 30 मीटर खुली ज़मीन और फिर बाहर 190 मीटर चौडी खाई है। अंकोरवाट मंदिर का रोचक इतिहास Angkor Wat Mandir History In Hindi
मंदिर के पश्चिम की ओर से इस खाई को पार करने के लिए एक पुल बनाया गया है और मंदिर में प्रवेश के लिए एक विशाल द्वार का निर्माण किया गया है जो लगभग एक हजार फुट चौड़ा है। कुछ विद्वानों के अनुसार यह चोल वंश के मंदिरों से मिलता जुलता लगता है।
अंगकोर वाट मंदिर के रोचक तथ्य -
यह अंकोरवाट मंदिर मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बना अबतक का दुनिया का का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है जो 402 एकड़ में फैला हुवा है और यह मंदिर मेरु पर्वत का भी प्रतीक माना जाता है।
इसकी दीवारों पर भारतीय हिन्दू धर्म ग्रंथों के प्रसंगों का बड़ी खूबसूरती से चित्रण किया गया है। इन में से कुछ प्रसंगों में अप्सराओ का, असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन का भी बहुत सुंदर शिला चित्रण दिखाया गया है।
अंकोरवाट मंदिर बहुत विशाल है और यहाँ के शिलाचित्रों में राम कथा बहुत संक्षिप्त रूप से है, इन शिलाचित्रों की शृंखला की शुरुवात रावण वध हेतु देवताओं द्वारा की गयी आराधना से होती है, फिर उसके बाद सीता स्वयंवर का दृश्य देखने मिलता है, इन दो प्रमुख घटनाओं के बाद विराध एवं कबंध वध का शिला चित्रण देखने को मिलता है।
फिर अगले शिलाचित्र में हमें भगवान श्री राम धनुष-बाण के साथ स्वर्ण मृग के पीछे दौड़ते हुए दिखाई पड़ते हैं। फिर सुग्रीव से श्री राम की मैत्री का दृश्य देखने मिलता है। इसके बाद बाली और सुग्रीव के युद्ध का चित्रण हुआ है। परवर्ती शिलाचित्रों में अशोक वाटिका में हनुमान, राम-रावण युद्ध, सीता की अग्नि परीक्षा और राम की अयोध्या वापसी के दृश्य देखने मिलते हैं। अंकोरवाट मंदिर का रोचक इतिहास Angkor Wat Mandir History In Hindi
अंकोरवाट के शिलाचित्रों में रूपायित राम कथा विरल और संक्षिप्त रूप से है और इस अंकोरवाट मंदिर के गलियारों में तत्कालीन सम्राट, बलि-वामन, स्वर्ग-नरक, समुद्र मंथन, देव-दानव युद्ध, महाभारत, हरिवंश पुराण इत्यादि से संबंधित अनेक शिलाचित्र भी दिखाई देते हैं।
अंगकोर वाट मंदिर के बारे में प्रचलित कथाएँ
- इस मंदिर के संबंध में कहा जाता हैं, कि इन्द्रदेव ने इसे अपने पुत्र के लिए बनाया था, वही इसी समय के एक चीनी यात्री अपनी किताब में लिखते हैं, कि अंगकोर वाट मंदिर किसी अद्रश्य शक्ति द्वारा इसका निर्माण मात्र एक ही रात्रि में हुआ था.
- आज के समय में इस मंदिर में हिन्दू व बौद्ध धर्म दोनों की मूर्तियाँ इसमें मिलती हैं. इस मंदिर से जुड़ा रोचक तथ्य यह भी हैं, कि यह विश्व में सबसे बड़ा विष्णु मंदिर हैं.
- जिसमें भगवान शिव, विष्णु तथा ब्रह्माजी की मूर्तियाँ स्थापित हैं. मंदिर की दीवारों को रामायण तथा महाभारत के चित्रों से उकेरी गई हैं.
- ज्ञात ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर अंगकोर वाट के विष्णु मंदिर का निर्माता सूर्यवर्मन द्वितीय को माना जाता हैं, जो बाहरवीं सदी के हिन्दू शासक थे, जिनका राज्य कम्बोडिया तक विस्तृत था.
- इनकें बारे में यह भी किवदंती हैं कि सूर्यवर्मन अमरत्व प्राप्त करना चाहता था. इसके लिए उसने देवताओं से निकटता बनाई तथा तीनों देव को अंगकोर मंदिर में स्थापित कर पूजा करता था. इस मंदिर की तस्वीर कम्बोडिया के राष्ट्र ध्वज पर भी हैं.
अंकोरवाट मंदिर कंबोडिया से जुड़े रोचक तथ्य
- जरा अंगकोर मंदिर का द्रश्य तो देखीय यही वजह हैं, कि गिनीज बुक के वर्ल्ड रिकॉर्ड में शुमार इस इमारत को यूनेस्को ने 1992 में वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल किया था.
- अमेरिका की सर्वे पत्रिका मैगजीन टाइम्स ने इसे विश्व की प्रथम 5 आश्चर्यजनक स्थलों में शामिल किया था, मिकांक नदी के किनारे स्थित मंदिर का निर्माण 12 वी सदी में हुआ था.
- आप जानकार हैरान होंगे कि इस मंदिर का निर्माण सौ लाख रेत के पत्थरों से किया गया, जिसमें प्रत्येक का वजन डेढ़ से दो टन था. यहाँ सबसे अधिक दर्शनार्थी चीन व भारत से आते हैं, जिसके पीछे मंदिर का इतिहास हिन्दू व बौद्ध धर्म से जुड़ा होना हैं.
भगवान विष्णु को समर्पित
सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा बनाए गए अंकोरवाट मंदिर का निर्माण लगभग 40 वर्षों तक चला हालांकि इन 40 वर्षों में थी मंदिर का निर्माण पूरा ना हो सका, सूर्यवर्मन द्वितीय भगवान विष्णु को मानने वाले हिंदू राजा थे और उन्होंने अंकोरवाट मंदिर को भगवान विष्णु को समर्पित किया था, जिसके कारण इसे सबसे बड़ा वैष्णो मंदिर का दर्जा भी दिया गया है।
मंदिर की कलाकृति
अंगकोर वाट मंदिर में बहुत सी विशेष कलाकृतियां मौजूद हैं, इस मंदिर की सभी दीवारों में आपको कुछ ना कुछ विशेष कलाकृति देखने को मिलेगी। अंकोरवाट मंदिर की दीवारों पर रामायण कथा महाभारत के पूरे दृश्य को कलाकृति के रूप में उकेरा गया है।
इस मंदिर में रामायण महाभारत कथा (अंकोरवाट मंदिर का रोचक इतिहास Angkor Wat Mandir History In Hindi) हिंदुओं के और भी पौराणिक कथाओं की कलाकृति मौजूद हैं यही कारण है कि अंकोरवाट मंदिर के आसपास के लोग भी हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के बारे में बहुत जानकारी रखते हैं।
अंकोरवाट मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय –
अंकोरवाट मंदिर घूमने जाने का सबसे अच्छा समय नवंबर से अप्रैल के बीच होता है। अंकोरवाट कंबोडिया में स्थित एक मंदिर है और कंबोडिया में अक्सर बारिश होती रहती है।
नवंबर से अप्रैल के बीच में बाकी समय के मुकाबले कम बारिश देखी जाती है जिसके कारण आप आसानी से अंकोरवाट मंदिर का लुफ्त उठा सकते हैं।
भारत से अंकोरवाट कैसे पहुंचे?
भारत से अंकोरवाट पहुंचने के लिए आपको अपने नजदीकी एयरपोर्ट से कंबोडिया के लिए फ्लाइट लेनी होगी। फ्लाइट ही एक ऐसा माध्यम है जिसकी मदद से आप कम समय में और आसानी से कंबोडिया पहुंच पाएंगे और कंबोडिया पहुंचने के बाद आप अलग-अलग परिवहन के साधनों में से कोई एक चुन सकते हैं जो कि आपको अंकोरवाट तक पहुंचाये।
अंगकोर वाट मंदिर किस देश में है
अक्सर हिंदू मंदिर भारत या इसके आसपास के देशों में पाए जाते हैं लेकिन अंकोरवाट मंदिर एक ऐसा मंदिर है जो कि भारत से लगभग 4500 किलोमीटर दूर है। अंकोरवाट मंदिर कंबोडिया देश में स्थित है।
अंकोरवाट मंदिर का रहस्य
अक्सर हिंदू मंदिर कुछ ना कुछ रहस्य से भरे होते हैं, इसी प्रकार अंकोरवाट मंदिर भी एक ऐसा मंदिर है जहां जाकर पर्यटकों को मन की शांति मिलती है और इसी के साथ अंकोरवाट में एक साथ भगवान विष्णु के साथ-साथ शिव और ब्रह्मा के दर्शन भी किए जा सकते हैं।
अंकोरवाट मंदिर चारों तरफ से पानी से घिरा हुआ है और इस पानी में अंकोरवाट मंदिर की परछाई साफ साफ दिखाई देती है।
अंकोरवाट मंदिर को किसने बनाया
अंकोरवाट मंदिर का निर्माण खमीर राजा सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा कराया गया है और इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 900 साल पहले कराया गया था।
अंकोरवाट मंदिर लगभग 405 एकड़ में फैला हुआ है और इस मंदिर को ही सबसे बड़ा हिंदू मंदिर कहा जाता है। अंकोरवाट मंदिर का निर्माण कंबोडिया में हिंदू राजाओं के शासनकाल के दौरान किया गया है।
अंगकोर वाट में किस हिंदू देवता का मंदिर है?
ज्यादातर स्थानों पर अंकोरवाट मंदिर को भगवान विष्णु का मंदिर बताया गया हालांकि इस मंदिर में भगवान विष्णु के साथ-साथ ब्रह्मा और शिव जी की भी पूजा होती है।
इन सभी हिन्दू देवताओं के साथ इस मंदिर मैं रामायण तथा महाभारत की कथा भी दर्शाई गई है। इस मंदिर की दीवारों में भगवान राम के साथ रामायण और महाभारत के सभी देवी देवताओं का चित्र है। और इन सभी में हनुमान जी भी शामिल है।
दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर-
अंकोरवाट मंदिर को दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर माना जाता है, इस मंदिर का निर्माण 12 वी सदी के आसपास में हुआ था हालांकि कंबोडिया देश में बौद्ध राजाओं के शासनकाल में अंकोरवाट मंदिर को एक बौद्ध मंदिर में परिवर्तित कर दिया गया था।