Lord Pashupatinath Temple in Nepal
भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर नेपाल - Lord Pashupatinath Temple in Nepal
पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल देश के काठमांडू में बागमती नदी के किनारे पर स्थित है। इस मंदिर में स्थित भगवान शिव की पांच मुख वाली एक प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा का मुख चारों दिशाओं के साथ-साथ एक मुख ऊपर की तरफ है। कहा जाता है कि भगवान के यह पांचों मुख अलग-अलग दिशाओं और गुणों को दर्शाते हैं।
सबसे मेन पश्चिम दिशा वाला मुख जिसकी पूजा प्रतिदिन होती है, उसे सद्ज्योत कहा जाता है। पूर्व दिशा की ओर वाले मुख को तत्पुरुष, उत्तर दिशा वाले मुख को वामवेद या अर्धनारीश्वर और दक्षिण दिशा वाले मुख को अघोरा कहा जाता है। और इन सबके अलावा जो ऊपर के दिशा की ओर मुख है, उसे ईसान कहां जाता है। पशुपतिनाथ मंदिर में प्रवेश करने का चार प्रवेश द्वार बनाया गया है। जिनमें से जो मुख्य द्वार हैं उसमें केवल हिंदू लोगों का ही प्रवेश है बाकी गैर-हिंदू लोगों का प्रवेश वर्जित हैं।
नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास
इस पशुपतिनाथ मंदिर की इतिहास की बात की जाए तो इस मंदिर के निर्माण का कोई सही-सही डाटा नहीं मिलता है, पर इस मंदिर को काठमांडू का सबसे पुरानी मंदिर का दर्जा प्राप्त है। इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण तीसरी सदी ईसा पूर्व में करवाया गया था। यह मंदिर 17वीं शताब्दी आते-आते काफी क्षतिग्रस्त हो गया था। तो तभी इसे आखिरी बार 17वीं शताब्दी में ही पुनः निर्मिति किया गया था।
पशुपतिनाथ मंदिर में मुख्य प्रतिमा अभिषेक
पशुपतिनाथ मंदिर में पशुपतिनाथ का अभिषेक सुबह में 9:00 A.M से 11:00 A.M तक चलती है। इस बीच के समय में मंदिर के सभी द्वार खोल दिए जाते हैं। पशुपतिनाथ के अभिषेक के लिए भक्तों को कुछ अमाउंट का पर्ची कटवाने पड़ते है। जैसे कि आपको मालूम भी हैं कि इस मंदिर के मुख्य प्रतिमा का पांच मुख हैं और हैरानी की बात यह है कि इस प्रतिमा के उसी तरफ वाले मुख के सामने अभिषेक किया जाता है, जिस प्रतिमा के मुख का जिक्र आपके द्वारा कटवाया गया पर्ची पर होता है। भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर नेपाल - Lord Pashupatinath Temple in Nepal
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पशुपतिनाथ मंदिर के रोचक तथ्य
- यह मंदिर पांचवी शताब्दी में निर्मित है।
- इस मंदिर के मुख्य परिसर में केवल हिंदुओं का प्रवेश हैं। अन्य धर्म के लोगों को मुख्य मंदिर में नहीं जाने दिया जाता है।
- इस मंदिर में स्थित भगवान शिव की प्रतिमा धरती में आधी धंसी हुई हैं। और यह प्रतिमा हर साल ऊपर की तरफ आती रहती हैं। कहा जाता है कि जब यह प्रतिमा धरती से पूरी तरह बाहर निकालकर ऊपर आ जाएगी तब धरती का विनाश हो जाएगा।
- इस मंदिर के एक और विशेषता है कि यहां पर वर्तमान में भाट्ट पुजारी पूजा करते हैं और केवल 4 भाट्ट पुजारी ही प्रतिमा को स्पर्श कर सकते हैं बाकी कोई भी व्यक्ति नहीं।
- इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि अगर आप की मौत यहां पर होती हैं और आप की अंतिम संस्कार इस मंदिर के पास में किया जाए तो आप अपने जीवन में जितने भी पाप किए होंगे और सभी पापों से आप मुक्त हो जाएंगे। और आपका कभी भी पशु में जन्म नहीं होगा, आपका आगे चलकर जब कभी भी जन्म होगा तो मनुष्य में ही होगा।
- इस पूरे मंदिर परिसर का भ्रमण करने में डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है।
पशुपतिनाथ मंदिर में प्रवेश
इस मंदिर के परिसर में जाने के लिए चार भौगोलिक प्रवेश द्वार है, जो कि पूर्व, पश्चिम, उत्तर एवं दक्षिण चारों दिशाओं में हैं। अगर इस मंदिर के मुख्य द्वार की बात की जाए तो एक ही है जो कि पश्चिम दिशा में स्थित है। इस मंदिर में यही एक ऐसा द्वार हैं जो प्रतिदिन खोला जाता है, बाकी जो अन्य द्वार हैं उन्हें त्यौहार के दौरान बंद रखा जाता है। इस पशुपतिनाथ मंदिर के जो मुख्य द्वार हैं उस द्वार से मंदिर के प्रांगण में केवल नेपाली एवं हिंदू प्रवासी को ही अंदर प्रवेश करने की अनुमति दी जाती है, गैर-हिंदू प्रवासी को नहीं।
पशुपतिनाथ मंदिर में प्रवेश टाइम
इस पशुपतिनाथ मंदिर का दरवाजा सुबह 4:00 बजे खोल दिया जाता है एवं शाम 7:00 बजे के बाद उन्हें बंद कर दिया जाता है। इसी बीच इस मंदिर में सभी एक्टिविटी को किया जाता है जैसे मूर्ति पूजा, बाल भोग, संध्या आरती आदि। अगर आप इस मंदिर में जाना चाहते हैं, तो जितना हो सके सुबह नहीं तो शाम के समय में जाए। अगर आप सुबह में जाते हैं तो मूर्ति पूजन एवं अगर आप शाम में जाते हैं तो आरती पूजन को आप आसानी से देख पाएंगे।
पशुपतिनाथ मंदिर कैसे जाएं
अगर आप इस पशुपतिनाथ मंदिर में जाना चाहते हैं, तो आपको बता दें कि इस मंदिर के सबसे नजदीक हवाई अड्डा त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो काठमांडू में स्थित है। यहां पहुंचने के उपरांत आप यहां से बस, टैक्सी, टेंपो वगैरह पकड़कर आसानी से जा सकते हैं। इस हवाई अड्डा से मंदिर तक जाने में आपका मैक्सिमम 30 से 45 मिनट का समय लग ही जाएगा।
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