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Mansa Devi Mandir Ki Katha

मनसा देवी मंदिर की कथा - Mansa Devi Mandir Ki Katha

मनसा देवी मंदिर हरियाणा के पंचकुला जिले में मणि माजरा के पास बिलासपुर गाँव के पास स्थित एक प्रसिद्ध देवी मंदिर है। मनसा देवी मंदिर को समर्पित यह मंदिर उत्तर भारत के प्रमुख शक्ति मंदिरों में से एक है। शिवालिक पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बसा यह मंदिर लगभग 100 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है जो एक धार्मिक स्थल होने के साथ साथ शांतिप्रिय वातावरण और आसपास की सुन्दरता के लिए भी फेमस है। इसीलिए श्र्धालुयों के साथ साथ पर्यटक भी यहाँ एकांत और प्राकृतिक सुन्दरता के मध्य समय व्यतीत करने के लिए यहाँ आते है। मंदिर परिसर में हर साल दो नवरात्र मेला का आयोजन किया जाता है जिसमे भक्तो और पर्यटकों की एक विशाल भीड़ देखने को मिलती है। मनसा देवी मंदिर का एक और प्रमुख आकर्षण एक पवित्र पेड़ है जिसके चारों ओर भक्त अपनी मनोकामना के लिए धागा बांधते है।
                           

मनसा देवी मंदिर का इतिहास 
मनसा देवी मंदिर के इतिहास पर नजर डालने पर हमे ज्ञात होता है की मनसा देवी मंदिर के इतिहास का लगभग 200 साल पुराना है। मनसा देवी मंदिर का निर्माण मणि माजरा के महाराजा गोपाल सिंह द्वारा 1811 में शुरू किया गया था जो लगभग चार साल बाद 1815 में बनकर तैयार हुआ। पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ में रियासतों के विलय के बाद, मणि माजरा के राजा ने मंदिर देखभाल करने और पूजा करने के लिए पुजारी नियुक्त किए। हालांकि, उनकी जिम्मेदारियां स्वतंत्र हो गईं, और उचित सुविधाओं और भक्तों के लिए भूमि को आगे बनाए नहीं रखा जा सका।
इसने हरियाणा सरकार को मंदिर को संभालने और श्री माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड स्थापित करने के लिए प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप मनसा देवी मंदिर की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। और वर्तमान में मंदिर को सरकार द्वारा विरासत स्थल के रूप में बनाए रखा गया है।

मनसा देवी मंदिर की वास्तुकला – 
मनसा देवी मंदिर की वास्तुकला की बात करें तो यह मंदिर मुख्य रूप से दीवारों और छत पर पुष्प डिजाइनों के अलावा, दीवार चित्रों के अड़तीस पैनल वाले मुख्य मंदिर के साथ बनाया गया है। मंदिर के गर्भगृह में, लक्ष्मी और सरस्वती के साथ मुख्य देवता मनसा देवी की पूजा की जाती है। 19 वीं शताब्दी के आरंभ में महाराजा गोपाल सिंह द्वारा निर्मित, यह उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध शक्ति मंदिरों में से एक है।
                        
मनसा देवी की कथा
मनसा देवी मंदिर के साथ कई किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं। मनसा देवी की कथा की बार करें तो यह हमे उस समय ले जाती है जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के विरुद्ध जाकर भगवान शिव से विवाह किया था। उनके विवाह के कुछ समय पश्चात दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया जिसमे उन्होंने शिव जी को अपमानित करने के लिए उन्हें छोड़कर बाकी सभी देवी देवतायों को आमंत्रित किया। लेकिन उसके बाबजूद देवी सती उस यज्ञ में पहुच जाती है जहाँ उनको और शिव जी को आपमान क्या जाता है और अपने पति के खिलाफ अपने पिता के शब्दों को बर्दाश्त करने में सक्षम नहीं होने पर देवी सती उसी अग्नि कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दे देती है।
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लेकिन जब इस घटना की सूचना शिव जी को मिलती है तो वह दुखी और क्रोधित हो जाते है और वीरभद्र को पैदा करके संहार करते हुए दक्ष का वध कर देते है। उसके बाद देवी सती के मृत शरीर को लेकर तांडव करने लगते है जिससे ब्रम्हांड पर सर्वनाश का खतरा मडराने लगता है। इसी से चिंतित होकर भगवान विष्णु अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के मृत शरीर के टुकड़े कर देते है जो जाकर धरती के अलग अलग हिस्सों में गिरते है। और बाद में देवी सती के शरीर के गिरे उन्हें टुकडो वाली जगहों पर उनके सम्मान में एक शक्ति पीठ का निर्माण किया जाता है। ठीक उसी प्रकार माना जाता है इस स्थान पर देवी सती का सर गिरा था जिनके सम्मान में यहाँ मनसा देवी मंदिर की स्थापना की गयी थी।

मनसा देवी मंदिर में नवरात्र मेला 
मनसा देवी मंदिर में आयोजित होने वाला नवरात्र मेला इस मंदिर का प्रमुख आकर्षण है जिसमे देश के बिभिन्न हिस्सों हजारो उत्साही भक्त, तीर्थयात्री और पर्यटक आते हैं। त्योहार के दौरान संख्या आमतौर पर लाखों तक बढ़ जाती है। बता दे नवरात्र मेला यहाँ बर्ष में दो बार नौ दिनों के लिए आयोजित किया जाता है। उन्हें चैत्र (हिंदू कैलेंडर के पहले महीने) और अश्विन (सातवें महीने) में किया जाता है। राजसी मंदिर इन समय के दौरान जगमगा उठता हैं, और श्रद्धालुओं द्वारा गर्म रहने और दर्शन के लिए तीर्थ स्थान, कंबल, औषधालय, स्वच्छ शौचालय आदि प्रदान करने के लिए मंदिरों द्वारा सुखद व्यवस्था की जाती है। बता दे नवरात्र मेला का आयोजन और प्रबंधन श्राइन बोर्ड द्वारा किया जाता है।
मनसा देवी मंदिर की यात्रा के लिए टिप्स 
  • मंदिर के बाहर की दुकानों से मंदिर का प्रसाद खरीदा जा सकता है।
  • पिकपकेट्स से सावधान रहें। अपने वाहन में अपने जूते रखें या स्टैंड पर जमा करें।
  • भीड़ से बचने के लिए जल्दी जाएँ।
  • यदि आप कुछ दिनों के लिए यहां रहना चाहते हैं, तो पास में एक पर्यटक विश्राम गृह अच्छा आवास प्रदान करता है। चंडीगढ़ अनाज मंडी एसोसिएशन द्वारा एक स्थायी लंगर यहाँ आयोजित किया जाता है, जहाँ सभी आगंतुकों को मुफ्त स्वादिष्ट भोजन परोसा जाता है!
मनसा देवी मंदिर खुलने का समय 
गर्मियों में : सुबह 4.00 बजे से रात 10.00 बजे तक
सर्दियों में : सुबह 5.00 बजे से रात 9.00 बजे तक
मनसा देवी मंदिर का प्रवेश शुल्क 
मनसा देवी के दर्शन के लिए जाने वाले भक्तो को बता दे मंदिर में प्रवेश और माता रानी के दर्शन के लिए कोई प्रवेश शुल्क नही है।
मनसा देवी मंदिर पंचकुला केसे जायें 
फ्लाइट से 
चंडीगढ़ एयरपोर्ट के लिए आपको देश के सभी बड़े शहर जैसे मुंबई, कोलकाता, दिल्ली, भोपाल और अहमदाबाद से फ्लाइट मिल जाएगी। फ्लाइट से ट्रेवल करके चंडीगढ़ एयरपोर्ट पहुंचने के बाद, आप टेक्सी बुक करके आसानी से मनसा देवी मंदिर पहुच सकते है।
ट्रेन से 
जिन पर्यटकों ने मनसा देवी मंदिर पंचकुला जाने के लिए ट्रेन का सिलेक्शन किया है, उन्हें हम बता दे पंचकुला का अपना रेलवे स्टेशन है, जिसे चंडीमंदिर रेलवे स्टेशन कहा जाता है। इसके अलावा चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन भी पंचकुला के बहुत करीब है। स्टेशन पर उतरने के बाद स्थानीय परिवहन के साधनों की मदद से मनसा देवी मंदिर जा सकते है।
सड़क मार्ग 
अगर आप मनसा देवी मंदिर बस या सड़क मार्ग से आना चाहते हैं तो जान लें कि पंचकुला चण्डीगढ़ के माध्यम से हरियाणा और भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है इसीलिए बस या सड़क मार्ग से यात्रा करके मनसा देवी मंदिर आना बहुत ही आसन और आरामदायक है।


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