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Kya Hai Shiv Puraan

क्या है शिव पुराण , Kya Hai Shiv Puraan , Shiv Puraan in Hindi

सभी पुराणों में शिव पुराण को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें भगवान शिव के कल्याणकारी स्वरूप के गुणगान, उनकी पूजा, पत्तियों, शिवलिंग और भगवान शिव के निराकार स्वरूप प्रतीक के बारे में, शिवलिंग की उत्पत्ति के बारे में, सृष्टि के निर्माण से जुड़ी रहस्यमयी बातों के बारे में, शिवरात्रि के दिन के महत्व के बारे में, साथ ही घोर कलयुग के बारे में बताया है। इन सबके अलावा शिक्षाप्रद कहानियों का भी संयोजन किया गया है। (क्या है शिव पुराण , Kya Hai Shiv Puraan , Shiv Puraan in Hindi , Halpura Blog)
माना जाता है, कि जो भी इस शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव की पूजा करता है, या फिर इस शिव पुराण का पाठ करता है, करवाता है, और पूरी श्रद्धा के साथ शिव पुराण के पाठ को सुनता है, भगवान शिव उसका कल्याण करते हैं।
इसका पाठ पढ़ने सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। निःसंतान लोगों को संतान की प्राप्ति हो जाती है। अगर वैवाहिक जीवन से संबंधित समस्या आ रही हो, तो वो समस्याएं भी दूर हो जाती है।
व्यक्ति के समस्त प्रकार के कष्ट और पाप नष्ट हो जाते हैं। अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस सृष्टि का निर्माण भगवान शिव की इच्छा मात्र से ही हुआ है, अतः उनकी भक्ति करने वाले व्यक्ति को संसार की सभी वस्तुएं प्राप्त हो सकती है।
काल-ब्रह्म (सदाशिव) और दुर्गा से विष्णु, ब्रह्मा और शिव का जन्म
गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित, पवित्र श्री शिव पुराण, अनुवादक श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार, पेज 6 पर अद्वैत 6 रुद्र संहिता में इसके प्रमाण में, यह कहा जाता है कि परब्रह्म, जो बिना शारीरिक रूप के हैं, भगवान सदाशिव उनके शारीरिक रूप हैं । उसके शरीर से एक शक्ति निकली  उस शक्ति को अम्बिका, प्राकृत (दुर्गा), त्रिदेव जननी / तीनों की माता (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी और श्री शिव जी को जन्म देने वाली माता) के नाम से जाना जाता है, जिनकी आठ भुजाएँ हैं, जिनमें वे विभिन्न हथियार रखती हैं । वह जो सदाशिव हैं, उन्हें शिव, शंभू और महेश्वर भी कहा जाता है (पृष्ठ संख्या 01 पर महाशिव / महाकाल)। वह अपने शरीर के सभी अंगों पर राख डालते है। उस काल-रूप ब्रह्मा ने  शिवलोक ’नामक क्षेत्र का निर्माण किया। फिर वे दोनों पति-पत्नी की तरह व्यवहार करने लगे; जिसके परिणामस्वरूप, एक बेटा पैदा हुआ था। उन्होंने अपना नाम विष्णु रखा (पृष्ठ संख्या 10 पर)। (क्या है शिव पुराण , Kya Hai Shiv Puraan , Shiv Puraan in Hindi , Halpura Blog)
फिर रुद्र संहिता में नं 7, पेज नं 103, ब्रह्मा जी ने कहा कि मैं भी मिलन से पैदा हुआ था अर्थात,भगवान सदाशिव (ब्रह्म - काल) और प्राकृत (दुर्गा) के पति-पत्नी के कार्य द्वारा। फिर मुझे बेहोश कर दिया गया।
फिर रुद्र संहिता में, आद्या नं 9, पृष्ठ संख्या -10 पर, यह कहा गया है कि - इस प्रकार, ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र, इन तीनों देवताओं में गुण (गुण) हैं, लेकिन शिव (काल-ब्रह्म) इन गुणों से परे माना जाता है।
शिव पुराण कब पढ़ना चाहिए?
वैसे तो शिव पुराण जैसे पवित्र ग्रंथ का पाठ कभी भी कर सकते है। हर दिन हर समय शिव पुराण का पाठ शुभकारी ही है। पर फिर भी इसका पाठ अगर श्रावण मास में किया जाए तो अति शुभ फल देनेवाला माना गया है, क्यूंकि श्रावण मास शिवजी का पसंदीदा मास माना जाता है। इसके अलावा सोमवार को इसका पाठ ज़रूर करना चाहिए, सोमवार को शिव पुराण का पाठ करने से शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
शिव पुराण का पाठ कैसे करें?
अब बात करते हैं, इसका पाठ कब और कैसे करे? वैसे तो किसी भी महीने में ये पाठ किया जा सकता है, पर सावन माह में भगवान शंकर की कृपा प्राप्त करने के लिए शिव महापुराण के श्रवण वाचन का बहुत महत्व है।
महाशिवरात्री पर भी इसके पाठ का बहुत महत्व है। इसके अलावा आप कभी इसका पाठ करना चाहे, तो सोमवार से इसकी शुरुआत कर सकते हैं, क्योंकि ज्यादा दिनों तक नियमों में बंधे रहना मुश्किल होता है।
तो सात दिनों में शिव पुराण की सात संहिताओं का पाठ किया जा सकता है। इसके अलावा पूरे एक महीने में भी इसका पाठ किया जा सकता है। (क्या है शिव पुराण , Kya Hai Shiv Puraan , Shiv Puraan in Hindi , Halpura Blog)
शिवजी की उपासना में तीन पहर का विशेष महत्व है। व्रत भी तीन पहर का ही होता है। यथासंभव तीन पहर से पहले तक कथा सुननी और कहलेनि चाहिए।
शिव पुराण का पाठ शुरू करने से पहले सबसे पहले गणेशजी का पूजन करना चाहिए। शिवपुराण में बताया गया है, कि कथा में आने वाले विघ्नों की निवृत्ति के लिए गणेशजी का पूजन करें।
कथा के स्वामी भगवान शिव का पूजन करें, तथा विशेष रूप से शिवपुराण की पुस्तक की भक्तिभाव से पूजा करें। तत्पश्चात उत्तम बुद्धि वाला श्रोता तन मन से शुद्ध एवं प्रसन्नचित होकर आदरपूर्वक शिवपुराण की कथा सुने।
अब शिवपुराण का पाठ आप किसी योग्य ब्राह्मण से करवाएं तो बहुत अच्छा होगा। अगर आप खुद करना चाहते हो, तो पहले गणेशजी, फिर शिव जी और माता पार्वती के साथ, हो सके तो बाकी शिव परिवार की भी पूजा करें।
फिर शिव पुराण को अपने मस्तक से लगाके, श्रद्धाभाव से लकड़ी की पट्टिका पर साफ, लाल या सफेद कपड़ा बिछाकर रखें।
फिर तिलक लगा के धूप, दीप, अक्षत, फूल आदि से पूजा करें। श्रावण के महीने में करते हैं, तो प्रयास करना चाहिए, कि श्रावण पूर्णिमा तक शिवमहापुराण संपन्न हो जाए, या तो शिवरात्रि तक पूरा कर लें।
हर अध्याय के बाद भगवान शंकर का जलाभिषेक करें। यदि यह संभव ना हो तो हर सोमवार को रूद्राभिषेक करें।
वैसे सही तो यही होगा कि एक अध्याय पूरा हुआ। अगला शुरू करने से पहले भोलेनाथ का जलाभिषेक करें। जब पूरा पाठ समाप्त हो जाए तो इसको एक उत्सव के रूप में मनाना चाहिए।
भगवान शिव, शिव परिवार, शिव पुराण की पूजा करनी चाहिए। भगवान की आरती करे। शिव पंचक्षरी मंत्र से हवन करवाना चाहिए। (क्या है शिव पुराण , Kya Hai Shiv Puraan , Shiv Puraan in Hindi , Halpura Blog)
कथा वाचन की पूजा कर उन्हें दान दक्षिणा देकर संतुष्ट करना चाहिए। शिव पुराण ग्रंथ का भी उन्हें दान कर देना चाहिए। कथा सुनने आए ब्राह्मणों को भी आदर सत्कार कर उन्हें भी दान दक्षिणा दी जानी चाहिए।
भूखों को भरपेट भोजन खिलाएं, जरूरतमंद लोगों को दान दें। अब अगर आप हवन नहीं करवा सकते, तो ब्राह्मणों और गरीबों को दान दक्षिणा दें।
शिव पुराण पढ़ने के नियम?
इसका संपूर्ण फल पाने के लिए नियमों का पालन करना भी जरूरी है। शिवपुराण में ही इसके नियमों का वर्णन है। शिवपुराण को पढ़ने या सुनने से पूर्व, तन और मन शुद्ध करें।
नए अथवा साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पाठ शुरू करने से पहले गंगाजल का छिड़काव जरूर करें। मन में भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और आस्था रखें।
किसी की निंदा चुगली न करें, अन्यथा पुण्य समाप्त हो जाते हैं। गरीब रोगी, पापी, भाग्यहीन एवं निःसंतानी को शिवपुराण की कथा जरूर सुननी चाहिए।
शिवपुराण का पाठ करने वालों को व्रत का पालन करना चाहिए। हो सके तो पाठ के बाद फलाहार ले, नहीं तो पाठ के बाद ही सात्विक भोजन ग्रहण करें और तामसिक पदार्थों का त्याग करे।
ऐसे भोजन भी ना ले जो जल्दी पच न सके, जैसे दाल, तला हुआ भोजन आदि, कथा सुनने से पूर्व ही बाल, नाखून आदि कटा लें, क्योंकि कथा समाप्ति तक किसी भी तरह का चिर करम नहीं किया जाता।
ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें, भूमि पर सोना चाहिए, किसी भी तरह का नशा ना करे। कथा सुनने से पहले या बाद में रोगी, विधवा, अनाथ, गाय आदि का दिल दुखाने वाला व्यक्ति पाप का भागी बनता है, और उसे सत्कर्मों का नाश हो जाता है।
काम, क्रोध से दूर रहकर पाठ करने वाले सत्य, दया, मौन, सरलता, विनय तथा हार्दिक उदारता का इन सद्गुणों को सदा अपनाएं। सुननेवाला निष्काम हो या सकाम, वे नियमपूर्वक कथा सुनने से काम पुरुष अपनी अभीष्ट कामना को प्राप्त करता है, और निष्काम पुरुष मोक्ष को पा लेता है।
शिव पुराण का रहस्य क्या है?
अब आपको शिवपुराण के अनुसार धन संबंधी समस्या खत्म करने का उपाय बताते है। इस पुराण में कई चमत्कारी उपाय बताए गए हैं। जो हमारे जीवन की धन संबंधी समस्या को खत्म करते हैं, साथ ही अक्षय पुण्य प्रदान करती है।
एक उपाय जो आपको बताने जा रहे है, वो ये है, कि शिवलिंग के पास प्रतिदिन रात्रि के समय 10 से 12 के बीच दीपक लगाना चाहिए।
दीपक लगाते समय ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। नियमित रूप से अपनाने वाले व्यक्ति को अपार धन संपत्ति प्राप्त हो सकती है। इस उपाय के साथ ही प्रतिदिन सुबह के समय शिवलिंग पर जल, दूध, चावल आदि पूजन सामग्री अर्पित करना चाहिए।
इस उपाय के पीछे एक प्राचीन कथा बताई गई है। कथा के अनुसार प्राचीन काल में गुणनिधि नामक व्यक्ति बहुत गरीब था और वह भोजन की खोज में लगा हुआ था।
इस खोज में रात हो गई और वह एक शिव मंदिर में पहुँच गया। गुणनिधि ने सोचा कि उसे रात्रि विश्राम इसी मंदिर में कर लेना चाहिए। रात के समय वहाँ अत्यधिक अंधेरा हो गया।
इस अंधकार को दूर करने के लिए उसने शिव मंदिर में अपनी कमीज जलाई थी। रात्रि के समय भगवान शिव के समक्ष प्रकाश करने के फल स्वरूप से उस व्यक्ति को अगले जन्म में देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेरदेव का पद प्राप्त हुआ।

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