मार्कण्डेय पुराण प्राचीनतम पुराणों मेसे एक माना जाता है। इसमें ऋग्वेद की भांति अग्नि, इंद्र, सूर्य आदि सभी देवी देवताओं पर विवेचन किया गया है।
उसी के भाँति गृहस्थाश्रम में कैसे जीना चाहिए, दिनचर्या हमारी कैसी होनी चाहिए। नित्यकर्म हमारे कैसे होने चाहिए इसके ऊपर आदि अनादी काल से दिव्य चर्चा विस्तृत प्रकार से बताई गई है।
भगवती महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती का दिव्य जो चरित्र है, जिसे दुर्गा सप्तशती के नाम से हम लोग जानते हैं, वह भी इसके अंदर दिया गया है।
माता दुर्गा जी के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए इसका पाठ नवरात्रि में हम सबको करते हैं। बहुत ही दिव्य, बहुत दुर्लभ है और ऐसा पाठ करने से ये मनुष्य सुखों की प्राप्ति भोगकर भूत प्रेत, पिशाच, डाकिनी, शाकिनी सब बाधाओं को छोड़कर मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।
इसमें हरिश्चंद्र की कथा आती है। मदालसा चरित्र भी इसके अंदर वर्णित है। अत्रि अनुसुइया की कथा भी इसके अंदर वर्णित है दत्तात्रेय का सुंदर चरित्र भी हम इसके अंदर देख सकते हैं।
इसके लेखक श्री वेदव्यासजी है। भारत देश का यह दिव्य ग्रंथ है। संस्कृत भाषा में लिखा गया है, यह पुराणों की शृंखला में आता है शक्ति की महिमा इसके अंदर बतायी गयी है। हिंदू धर्म का यह दिव्य ग्रंथ 900 श्लोको से रचित है। इसमें 137 अध्याय है। (मार्कण्डेय पुराण का संक्षिप्त वर्णन , Maarkandey Puraan Ka Sankshipt Varnan , Maarkandey Puraan in Hindi)
इसमें एक से लेकर बयालीस के अध्याय तक वक्ता, जैमिनी और श्रोता पक्षी हैं और 43 से लेकर 90 अध्याय के वक्ता मार्कण्डेय और श्रोता पृष्टोपिहि है इसके बाद के अंश के वक्ता सुमेधा तथा श्रोता सूरत समाधी है। इस प्रकार मार्कण्डेय पुराण छोटा है पर इसके अंदर की जानकारी बहुत दिव्य तथा दुर्लभ है।
और 10 महाविद्याओं के अंदर के अनेकानेक जो उपयोग है और उपाय है वह सब इसके अंदर बताए गए हैं। मार्कंडेय ऋषि के द्वारा उसका कथन हुआ, उनकी कुछ कथाएँ भी बताई गई है। उसके कारण इसे मार्कण्डेय पुराण कहा जाता है।
इसमें अनेक कथाएं हैं जीसको हम देखने जाए तो दुर्गाजी के अत्यंत पुण्यदायी फलदायी आठवें मन्वंतर में प्रसंग कहे गए हैं। तत्पश्चात वेदों की उत्पत्ति, वेदों की गति यह सब इसके अंदर बताई गई है।
उनका वर्णन किया गया है उसी प्रकार मनु के वंश का वर्णन, महात्मा खनित्र की चरित्र पुण्यमय कथा, राजा अवीक्षित का सुंदर व्रत, इसके बाद नरिष्यमि चरित्र, इश्कवाकु, श्रीराम चंद्र की उत्तम कथा, कुश के वंश का वर्णन, सोम वंश का वर्णन, पुररवा के वंश की पुण्यमय कथा, बहुत से अनेक अनेक वर्णन इसमें हमें प्राप्त हो जाते हैं।
तो यह ग्रंथ बहुत ही दिव्य हैं, बहुत ही दुर्लभ है, जो हमें प्राप्त हो चुका है। 9000 श्लोक पढ़ना कोई बहुत ज्यादा कठिन नहीं है, बहुत ही कम श्लोक है, यह सबसे छोटा ग्रंथ कहा जाता है, परंतु इस ग्रंथ की महत्वता बहुत ही दिव्य है। तो इस ग्रंथ को हमे ज़रूर पढ़ना चाहिए। (मार्कण्डेय पुराण का संक्षिप्त वर्णन , Maarkandey Puraan Ka Sankshipt Varnan , Maarkandey Puraan in Hindi)
तीर्थों में स्नान
कहा जाता है कि तीर्थ स्थानों पर स्वयं देवताओं का निवास होता है। पुराणों इस बात का वर्णन किया गया है कि किसी भी तीर्थ स्थानों पर जाना, वहां जाकर पूजा-पाठ करना और वहां के कुंड में स्नान करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। तीर्थों में स्नान करना समस्त पुण्य कर्म करने से उच्च माना जाता है।
पवित्र वस्तुओं का नाम लेना
गोमूत्र, गोबर, गोदुग्ध (दूध), गोशाला हवन, पूजन, तुलसी, मंदिर, अग्नि, पुराण, ग्रंथ ऐसी अनक वस्तुए हैं जिन्हें हिंदू धर्म के अनुसार पावन माना जाता है। इन वस्तुओं का सेवन करने का बहुत महत्व माना जाता है, लेकिन कई लोग एेसा करने से हिचकिचाते हैं और एेसा नहीं कर पाते। तो यदि एेसे लोग केवल इन पवित्र वस्तुओं के नाम ही ले लें तो उन्हें पुण्य की प्राप्ति हो सकती है। लेकिन ध्यान रहे कि इनका उच्चारण करते समय मन में पावन भाव और विचारों का होनी भी अति अावश्यक माना जाता है। इससे निश्चित ही शुभ फल मिलता है। (मार्कण्डेय पुराण का संक्षिप्त वर्णन , Maarkandey Puraan Ka Sankshipt Varnan , Maarkandey Puraan in Hindi)
सत्पुरुषों के साथ बातें करना
सत्पुरुष यानी विद्वान, ज्ञानी, चरित्रवान और सत्यवादी इंसान। हर मनुष्य को अपने जीवन में सफलता पाने के लिए सही राह की जरुरत होती है। मनुष्य को यह सही राह विद्वान या ज्ञानी पुरुषों के द्वारा दिखाई जा सकती है। जिस व्यक्ति को सही-गलत, अच्छे-बुरे, धर्म-अधर्म का ज्ञान होता है, हमें उसका आदर करना चाहिए। ऐसे लोगों से बातें करके हम अपने हित की बात जान सकते हैं। मनुष्य को हमेशा ही विद्वान और ज्ञानी लोगों का सम्मान करना चाहिए और उनकी बताई हुई राह पर चलना चाहिए।