Angkor Wat Temple In Hindi
अंगकोर वाट मंदिर की पूरी जानकारी - Angkor Wat Temple In Hindi
हमारे देश के प्राचीन मंदिर अपनी भव्यता एवं धार्मिक महत्ता के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं। लेकिन फिर भी क्या आप जानते हैं कि विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर भारत में नहीं है। भारत से 4800 कि.मी. दूर एक ऐसा देश जहां पर है विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर परिसर तथा विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक भी । जी हाँ, हम बात कर रहे हैं ऐसे ही एक विशालकाय हिन्दू मंदिर की। यह मंदिर है अंकोरवाट मंदिर जो कम्बोडिया के अंकोर में स्थित है। इसका पुराना नाम यशोधपुर था। मीकांक नदी के किनारे सिमरिप शहर में बसे इस मंदिर को टाइम मैगज़ीन ने दुनिया के पांच आश्चर्यजनक चीज़ों में शुमार किया था। इसका फैलाव सैंकड़ों वर्ग मील में है।
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अंकोरवाट कंबोडिया में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है, जो करीब 162.6 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। यह मूल रूप से खमेर साम्राज्य में भगवान विष्णु के एक हिंदू मंदिर के रूप में बनाया गया था। मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बना यह मंदिर आज भी संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है जो सैकड़ों वर्ग मील में फैला हुआ है। यह मन्दिर मेरु पर्वत का भी प्रतीक है। इसकी दीवारों पर भारतीय धर्म ग्रंथों के प्रसंगों का चित्रण है। इन प्रसंगों में अप्सराएं बहुत सुंदर चित्रित की गई हैं, असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मन्थन का दृश्य भी दिखाया गया है। सनातन धर्म को मानने वाले इसे अपना पवित्र तीर्थस्थान मानते हैं। अंगकोर वाट मंदिर की पूरी जानकारी - Angkor Wat Temple In Hindi
मंदिर का स्वरूप
12वीं शताब्दी के लगभग सूर्यवर्मा द्वितीय ने अंग्कोरथोम में विष्णु का एक विशाल मंदिर बनवाया। मंदिर की रक्षा इस के चारों तरफ बनी एक खाई करती है, जिसकी चौड़ाई लगभग 700 फुट है। मंदिर के पश्चिम की ओर इस खाई को पार करने के लिए एक पुल बना हुआ है। पुल के पार मंदिर में प्रवेश के लिए एक विशाल द्वार निर्मित है जो लगभग 1,000 फुट चौड़ा है। मंदिर की दीवारों पर मूर्तियों में पूरी रामायण अंकित है। मंदिर को देखने के बाद समझ आता है कि अंग्कोरथोम जिस कंबुज देश की राजधानी था उसमें विष्णु, शिव, शक्ति, गणेश आदि देवताओं की पूजा प्रचलित थी। इन मंदिरों के निर्माण में जिस कला का अनुकरण हुआ है वह भारतीय गुप्त कला से प्रभावित जान पड़ती है। अंग्कोरवात के मंदिरों, तोरणद्वारों और शिखरों के अलंकरण सभी में गुप्त कला प्रतिबिंबित है। मंदिर के एक अभिलेख से पता चलता है कि यशोधरपुर जो अंग्कोरथोम का पूर्वनाम है, का संस्थापक नरेश यशोवर्मा अर्जुन और भीम जैसा वीर, सुश्रुत जैसा विद्वान् तथा शिल्प, भाषा, लिपि एवं नृत्य कला में पारंगत था। उसने अंग्कोरथोम और अंग्कोरवात के अतिरिक्त कंबुज के अनेक राज्य स्थानों में भी आश्रम स्थापित किए जहां रामायण, महाभारत, पुराण तथा अन्य भारतीय ग्रंथों का अध्ययन अध्यापन होता था। अंग्कोरवात के हिंदू मंदिरों पर बाद में बौद्ध धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा और कालांतर में उनमें बौद्ध भिक्षुओं ने निवास भी किया। अंगकोर वाट मंदिर की पूरी जानकारी - Angkor Wat Temple In Hindi
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अंकोरवाट के प्रभावी शिला
खमेर शास्त्रीय शैली से प्रभावित स्थापत्य वाले इस मंदिर का निर्माण कार्य सूर्यवर्मन द्वितीय ने प्रारम्भ किया परन्तु वे इसे पूर्ण नहीं कर सके। मंदिर का कार्य उनके भानजे एवं उत्तराधिकारी धरणीन्द्रवर्मन के शासनकाल में सम्पूर्ण हुआ। मिश्र एवं मेक्सिको के स्टेप पिरामिडों की तरह यह सीढ़ी पर उठता गया है। इसका मूल शिखर लगभग 64 मीटर ऊंचा है। इसके अतिरिक्त अन्य सभी आठों शिखर 54 मीटर ऊंचे हैं। मंदिर साढ़े तीन किलोमीटर लम्बी पत्थर की दिवार से घिरा हुआ था, उसके बाहर 30 मीटर खुली भूमि और फिर बाहर 190 मीटर चौड़ी खाई है। विद्वानों के अनुसार यह चोल वंश के मन्दिरों से मिलता जुलता है। दक्षिण पश्चिम में स्थित ग्रन्थालय के साथ ही इस मंदिर में तीन वीथियां हैं जिसमें अन्दर वाली अधिक ऊंचाई पर हैं। मंदिर के गलियारों में तत्कालीन सम्राट, बलि-वामन, स्वर्ग-नरक, समुद्र मंथन, देव-दानव युद्ध, महाभारत, हरिवंश पुराण तथा रामायण से संबद्ध अनेक शिलाचित्र हैं। यहां के शिलाचित्रों में रूपायित राम कथा बहुत संक्षिप्त है। इन शिलाचित्रों की श्रंखला रावण वध हेतु देवताओं द्वारा की गयी आराधना से आरंभ होती है। उसके बाद सीता स्वयंवर का दृश्य है। बालकांड की इन दो प्रमुख घटनाओं की प्रस्तुति के बाद विराध एवं कबंध वध का चित्रण हुआ है। एक और शिलाचित्र में राम धनुष-बाण लिए स्वर्ण मृग के पीछे दौड़ते हुए दिखाई पड़ते हैं। इसके उपरांत सुग्रीव से राम की मैत्री का दृश्य है। फिर, बाली और सुग्रीव के द्वंद्व युद्ध का चित्रण हुआ है। परवर्ती शिलाचित्रों में अशोक वाटिका में हनुमान की उपस्थिति, राम-रावण युद्ध, सीता की अग्नि परीक्षा और राम की अयोध्या वापसी के दृश्य हैं।
मंदिर की यह भी है खासियत
- यह मंदिर एक ऊंचे और बड़े चबूतरे पर स्थित है जिसमें तीन खंड हैं, प्रत्येक में सुन्दर मूर्तियां हैं और प्रत्येक खंड से ऊपर के खंड तक पहुंचने के लिए सीढियां हैं ।
- प्रत्येक खंड में आठ गुम्बज हैं,जिनमें से प्रत्येक गुम्बज की ऊंचाई 180 फीट है ।
- मुख्य मंदिर तीसरे खंड की चौड़ी छत पर स्थित है जिसका शिखर 213 फीट ऊँचा है और यह पूरे क्षेत्र को गरिमामंडित किए हुए हैं।
- इस प्रकार की भव्य और विशालकाय धार्मिक स्मारक संसार के किसी अन्य स्थान पर नहीं मिलती है। भारत से संपर्क के बाद दक्षिण-पूर्वी एशिया में कला, वास्तु कला तथा स्थापत्य कला का जो विकास हुआ,उसका यह मंदिर उत्कृष्ट उदाहरण है ।
- अंकोरवाट मंदिर का भ्रमण करने विदेशों से आए पर्यटकों में पिछले वर्ष सर्वाधिक संख्या चीनी पर्यटकों की रही। लगभग 667, 285 चीनी पर्यटक अंकोरवाट पहुंचे थे।
- साथ ही इस मंदिर का नाम गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है।