Kalkaji Mandir Delhi History in Hindi
कालकाजी मंदिर दिल्ली का इतिहास तथा जानकारी - Kalkaji Mandir Delhi History in Hindi
कालकाजी मंदिर, नई दिल्ली के नेहरू प्लेस मार्केट से कुछ दूर कालकाजी इलाके में स्थित एक हिंदू मंदिर है। ओखला के रास्ते में छोटी-सी पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर भारत में सबसे अधिक भ्रमण किये जाने वाले प्राचीन एवं श्रद्धेय मंदिरों में से एक है। यह मंदिर माँ दुर्गा के अवतार माता काली को समर्पित है। इस मंदिर को मनोकामना सिद्ध पीठ के नाम से भी जाना जाता है। देश की राजधानी दिल्ली के दक्षिणी भाग में कमल मंदिर के पास स्थित यह मंदिर देश के प्राचीनतम सिद्धपीठों में से एक है।
कालकाजी मंदिर की जानकारी: (Kalkaji Mandir History in Hindi)
नेहरू प्लेस के पास स्थित इस मन्दिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था। मौजूदा मंदिर का निर्माण बालक नाथ ने किया था। 19वीं शताब्दी के मध्य में राजा केदारनाथ व सम्राट अकबर के द्वारा मंदिर में कुछ परिवर्तन किए गये थे। मान्यता है कि इसी जगह मां ने महाकाली के रूप में प्रकट होकर राक्षसों का सहंगार किया था। महाभारत के अनुसार इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली का प्राचीन नाम) की स्थापना के समय भगवान श्री कृष्ण और महाराज युधिष्ठिर ने सभी पांडवों सहित सूर्यकूट पर्वत पर स्थित इस सिद्ध पीठ में माता की अराधना की थी। ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद महाराज युधिष्ठिर ने पुन: यहाँ पर माता भगवती की पूजा व यज्ञ किया था। पिछले 50 सालों में मन्दिर का कई बार विस्तार किया गया है, परन्तु मन्दिर का सबसे पुरातन हिस्सा अठारहवीं शताब्दी का है।
कालकाजी मंदिर के बारे में रोचक तथ्य:
- कालकाजी मंदिर पुरानी दिल्ली से मात्र 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- मॉडर्न तरीके से निर्मित यह मंदिर 8 तरफा है, जिसे सफेद व काले संगमरमर के पत्थरों से बनाया गया है।
- इस मंदिर के मुख्य 12 द्वार हैं, जो 12 महीनों का संकेत देते हैं। हर द्वार के पास माता के अलग-अलग रूपों का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया गया है।
- मदिर के अन्दर 300 साल पुराना एक ऐतिहासिक हवन कुंड भी है और वहां आज भी हवन किए जाते हैं। हवन कुंड के रूप में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन इसके आसपास के क्षेत्र का विस्तार जरूर किया गया है।
- मंदिर के गर्भगृह को चारों तरफ से घेरे हुए एक बरामदा है, जिसमें 36 धनुषाकार मार्ग हैं।
- मंदिर में एक प्राचीन शिवलिंग भी स्थापित है। इसे यहां से शिफ्ट करने की कोशिश की गई और करीब 96 फीट तक खोदा गया लेकिन शिवलिंग को शिफ्ट करने में कामयाबी नहीं मिल सकी।
- इस मंदिर के अन्दर मां के श्रृंगार को दिन में दो बार बदला जाता हैं। सुबह के समय मां को 16 श्रृंगार के साथ-2 फूल, वस्त्र आदि पहनाए जाते हैं, वहीं शाम को श्रृंगार में आभूषण से लेकर वस्त्र तक बदले जाते हैं।
- यह मंदिर साल 1857 के संग्राम व सन 1947 के भारत-पाक बंटवारे के समय में भी ¨हिदुओं की गतिविधियों का सक्रिय केंद्र था।
- नवरात्र के दौरान प्रतिदिन मंदिर को 150 किलो फूलों से सजाया जाता है। इनमें से काफी सारे फूल विदेशी होते हैं।
- इस मंदिर की एक खास विशेषता यह है कि नवरात्र के दौरान अष्टमी के दिन सुबह की आरती के बाद कपाट खोल दिए जाते है और दो दिन तक आरती नहीं होती है, उसके बाद दसवीं के दिन आरती की जाती है।
- इस मंदिर पर साल 1737 में तत्कालीन मुगल बादशाह मोहम्मद शाह के शासनकाल के दौरान मराठा पेशवा बाजीराव (प्रथम) ने कुछ देर के लिए अपना कब्ज़ा कर लिया था।
- साल 1805 में भी जसवंत राव होल्कर ने दिल्ली पर धावा बोलते हुए कालकाजी मंदिर के प्रांगण में अपना डेरा डाला था।
- पिछले 5 से 6 दशको में, मंदिर के आस-पास बहुत सी धर्मशालाओ का भी निर्माण किया गया है।
- करीब 3000 साल पुराने इस मंदिर में अक्टूबर-नवम्बर के दौरान आयोजित वार्षिक नवरात्र महोत्सव के समय देश-विदेश से लगभग एक से डेढ़ लाख की संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
- बदरपुर मेट्रो लाइन पर स्थित कालकाजी मंदिर मेट्रो स्टेशन मंदिर के पास का सबसे नजदीकी मेट्रो स्टेशन है, जहाँ से लोग आसानी से पैदल चलकर पहुंच सकते हैं।
कालकाजी मंदिर कैसे पहुंचे ? – Kalkaji Mandir Delhi In Hindi
दिल्ली में स्थित इस कालकाजी मंदिर के पास जाने के लिए आप दिल्ली में चलने वाले स्थानीय साधनों की मदद से आसानी से पहुंच सकते हैं। नहीं तो आप यहां पर मेट्रो के द्वारा भी बहुत ही आसानी से पहुंच सकते हैं। क्योंकि कालकाजी मंदिर के पास में ही स्थित कालकाजी मन्दिर मेट्रो स्टेशन है, जहां से मंदिर काफी पास में ही पड़ता है।
इन सबके अलावा अगर आप यहां पर दिल्ली से दूर स्थित किसी अन्य मुख्य शहर से आना चाहते हैं, तब भी आप यहां पर आसानी से आ सकते हैं। क्योंकि दिल्ली में स्थित अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा एवं यहां पर स्थित कई रेलवे स्टेशन भारत के अन्य शहरों से डायरेक्ट जुड़ा हुआ है।